Muhavren Evm Lokoktiyan

मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ/ Muhavren Evm Lokoktiyan

मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ/ Muhavren Evm Lokoktiyan

Paryavachi evm muhavare
Paryavachi evm muhavare

कुछ महत्त्वपूर्ण मुहावरे एवं उनके वाक्यों में प्रयोग

नंबर मुहावरा अर्थ
1 अँगारे बरसना अत्यधिक गर्मी पड़ना
2 अंगारों पर पैर रखना कठिन कार्य करना
3 अँगारे सिर पर धरना विपत्ति मोल लेना
4 अँगूठा चूसना बड़े होकर भी बच्चों की तरह नासमझी की बात करना
5 अँगूठा दिखाना इनकार करना
6 अँगूठी का नगीना अत्यधिक सम्मानित व्यक्ति अथवा वस्तु
7 अंग-अंग फूले न समाना अत्यधिक प्रसन्न होना
8 अंगद का पैर होना अति दुष्कर/असम्भव कार्य होना
9 अन्धी सरकार विवेकहीन शासन
10 अन्धे की लाठी लकड़ी होना एकमात्र सहारा होना
11 अन्धे के आगे रोना निष्ठुर के आगे अपना दुःखड़ा रोना
12 अम्बर के तारे गिनना नींद न आना
13 अन्धे के हाथ बटेर लगना भाग्यवश इच्छित वस्तु की प्राप्ति होना
14 अन्धों में काना राजा मूों के बीच कम ज्ञानवाले को भी श्रेष्ठ ज्ञानवान् माना जाता है
15 अक्ल का अन्धा मूर्ख
16 अक्ल के घोड़े दौड़ाना हवाई कल्पनाएँ करना
17 अक्ल चरने जाना मति-भ्रम होना, बुद्धि भ्रष्ट हो जाना
18 अक्ल पर पत्थर पड़ना बुद्धि नष्ट होना
19 अक्ल के पीछे लाठी लिये फिरना मूर्खतापूर्ण कार्य करना
20 अगर मगर करना बचने का बहाना ढूँढना

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क्रमांक मुहावरा अर्थ
21 अटका बनिया देय उधार जब अपना काम अटका होता है तो मजबूरी में अनचाहा भी करना पड़ता है
22 अधजल गगरी छलकत जाए अज्ञानी पुरुष ही अपने ज्ञान की शेखी बघारते हैं
23 अन्त न पाना रहस्य न जान पाना
24 अन्त बिगाड़ना नीच कार्यों से वृद्धावस्था को कलंकित करना
25 अन्न-जल उठना मृत्यु के सन्निकट होना
26 अपना उल्लू सीधा करना अपना काम निकालना
27 अपनी खिचड़ी अलग पकाना सबसे पृथक् कार्य करना
28 अपना राग अलापना दूसरों की अनसुनी करके अपने ही स्वार्थ की बात कहना
29 अपने मुँह मियाँ मिट्ठ बनना अपनी प्रशंसा स्वयं करना
30 अपना-सा मुँह लेकर रह जाना लज्जित होना
31 अपना घर समझना संकोच न करना
32 अपने पैरों पर खड़ा होना स्वावलम्बी होना
33 अपने पाँव में कुल्हाड़ी मारना अपने अहित का काम स्वयं करना
34 आकाश-पाताल एक करना अत्यधिक प्रयत्न अथवा परिश्रम करना
35 आँख चुराना बचना, छिप जाना
36 आँखें फेरना उपेक्षा करना, कृपा दृष्टि न रखना
37 आँखें बिछाना आदरपूर्वक किसी का स्वागत करना
38 आँख मिलाना सामने आना
39 आँखें खुल जाना वास्तविकता का ज्ञान होना, सीख मिलना
40 आँखें नीची होना लज्जा से गड़ जाना, लज्जा का अनुभव करना
41 आँखें चार होना/आँखें दो-चार होना प्रेम होना
42 आँख का तारा अत्यन्त प्यारा
43 आँखों पर परदा पड़ना विपत्ति की ओर ध्यान न जाना
44 आँखों में धूल झोंकना धोखा देना
45 आँखों में सरसों का फूलना मस्ती होना
46 आँखों का पानी ढलना निर्लज्ज हो जाना
47 आँख दिखाना क्रुद्ध होना
48 आँचल-बाँधना गाँठ बाँधना, याद कर लेना
49 आग-बबूला होना अत्यधिक क्रोध करना
50 आग में घी डालना क्रोध अथवा झगड़े को और अधिक भड़का देना

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क्रमांक मुहावरा अर्थ
51 आगे बढ़ना प्रगति करना, आगे बढ़ना
52 आँख उघाड़ना सावधान करना, चेतावनी देना
53 आँखें खुली रखना सतर्क रहना
54 आवाज़ बुलंद करना विरोध करना, आपत्ति जताना
55 आम खाए गुठलियाँ बाँटना अपना लाभ दूसरों से बाँटना
56 इंतज़ार करना प्रतीक्षा करना
57 इकट्ठा करना एकत्रित करना, इकट्ठा करना
58 ईंट से ईंट बजाना बहुत कठिनाई से जीवन निर्वाह करना
59 उखाड़ फेंकना बेरुखी से व्यवहार करना
60 उगाही लेना निकालना, बहार लाना
61 उछल कूद करना बहुत खुश होना, उत्साहित होना
62 उठक बैठक करना बेचैन होना, व्यग्र होना
63 उतरा हुआ झोंका बहुत गरीब व्यक्ति
64 उदर पूर्ति करना पेट भरना, खाना खाना
65 उन्मत्त होना बावला होना, पागल होना
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क्रमांक मुहावरा अर्थ
66 उबलना क्रोधित होना, गुस्सा आना
67 उर से सर निकालना किसी कठिन स्थिति से बाहर निकलना
68 उलटा सीधा कहना गाली देना, बुरा भला कहना
69 उल्लू बनाना मूर्ख बनाना, धोखा देना
70 उल्लू सीधा करना अपना काम निकालना
71 ऊँचा उठाना बड़ाई करना, प्रशंसा करना
72 ऊपर आना सफल होना, आगे बढ़ना
73 ऊँट के मुँह में जीरा बहुत कम देना
74 एड़ी चोटी का जोर लगाना पूरी कोशिश करना
75 ऐब निकालना दोष निकालना, गलती ढूंढना
76 ऐंठन बिगाड़ना कार्य बिगाड़ना
77 ओंठ हिलना कुछ न बोलना, चुप रहना
78 औरत सलेटी होना झगड़ालू औरत
79 औकात से बाहर होना अपनी सीमा से बाहर होना
80 कँवल खिलना खुशहाल होना, आनंदित होना
81 कच्चा चिट्ठा धोखेबाज़, बेईमान व्यक्ति
82 कछुआ पकड़ना झगड़ा करना
83 कटहरा लेना शिकायत करना, नाराज़गी जताना
84 कटाक्ष करना तिरछी नज़र से देखना
85 कटियाना मुश्किल में पड़ना, परेशानी में पड़ना
86 कड़ा मुँह करना अनमना रहना, नाराज़ रहना
87 कड़ी नजर रखना सावधानी से देखना
88 कणा भर न होना बिलकुल न होना, एक भी नहीं होना
89 कण्ठ लगना गले लगना, गले मिलना
90 कन्धा देना सहायता करना, साथ देना
91 कपड़े उतारना बेइज्जत करना, अपमानित करना
92 कपड़े पहनना शादी करना, विवाहित होना
93 कब का मज़ा गया आनंद समाप्त हो गया
94 कबूतर बनना डरपोक होना, कायर होना
95 कर लेना पूरा करना, समाप्त करना
96 करना पड़ना अनिवार्य होना, करना पड़ना
97 करम दिखाना दयालु व्यवहार करना
98 करारा जवाब देना तीखा जवाब देना, कड़ा प्रत्युत्तर देना
99 करीने चूमने पड़ना बुरी तरह परेशान होना
100 कलम टूटना निर्धन हो जाना, गरीब पड़ जाना
101 कलेजा कलेजा होना बहुत डरना, भयभीत होना
102 कलेजा ठंडा करना मन को शांत करना, तसल्ली देना
103 कशिश खींचना कठिनाई उठाना, कष्ट सहना
104 काँटों की सेज पर पड़ना कठिन परिस्थितियों का सामना करना
105 कानफूसी करना गप्प मारना, बकवास करना
106 काम आना उपयोगी होना, लाभदायक होना
107 काम तमाम करना आराम से काम निपटाना
108 कायर का मुँह काला डरपोक व्यक्ति की निंदा करना
109 किनारा कर लेना स्वतंत्र हो जाना, आज़ाद हो जाना
110 किस्मत जागना भाग्य प्रबल होना
111 कुएँ में कूदना संकट में पड़ना
112 कुत्ता भुनना गुस्सा करना, क्रोधित होना
113 कुरेदना धीरे-धीरे नष्ट होना
114 कृपा दृष्टि रखना कृपापूर्वक देखना, दया करना
115 केले से हाथी बनना अति आशा करना, अधिक उम्मीद रखना
116 खाक छानना निराश होना, हतोत्साहित होना
117 खाक उड़ाना बहुत दुखी होना, बेहद परेशान होना
118 खामोश रहना चुप रहना, कुछ न बोलना
119 खींचा तानना लड़ाई-झगड़ा करना
120 खींच ले आना किसी मुश्किल से उबारना
121 खून पसीना एक करना बहुत कड़ी मेहनत करना
122 खून बहाना बहुत कठिन परिश्रम करना
123 खून खौलना बहुत क्रोधित होना
124 खुन्नस किसी पर होना किसी पर क्रोधित होना
125 खुलली करना अपमान करना, बदनाम करना
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नंबर मुहावरा अर्थ
126 खुर्द-बुर्द करना छोटी-मोटी बातों पर लड़ना-झगड़ना
127 खुल्लम खुल्ला होना बिना किसी शर्म या संकोच के बात करना
128 खूनी पसीना बहाना बहुत कठिन परिश्रम करना
129 खूब जमना काम आना, फायदेमंद होना
130 खैर मनाना कृपा करना, अनुग्रह करना
131 खैरियत पूछना कुशलक्षेम पूछना, हालचाल पूछना
132 गज गुंजन होना कोलाहल मच जाना, शोरगुल मच जाना
133 गच्चा खाना मुसीबत में पड़ना, कष्ट सहना
134 गदरागिर्दी करना बखेड़ा करना, अशांति फैलाना
135 गर्दन लटकाना लज्जित होना, शर्मिंदा होना
136 गरदन काटना हंसी करना, मजाक उड़ाना
137 गरम आँखें होना कामुक होना, वासनामय होना
138 गरम मसाला होना बहुत तेज मिजाज वाला होना
139 गरियाहट छोड़ना अपना स्वाभिमान और गरिमा छोड़ देना
140 गल पड़ना घिरना, चारों ओर से घेर लिया जाना
141 गला घोंटना बहुत कठिन परिश्रम करना
142 गला दबाना प्राणघातक हमला करना, जान लेना
143 गली-गली घूमना अपमानित होना, बदनाम होना
144 गिनती का जोड़ा होना महत्वहीन और तुच्छ व्यक्ति होना
145 घिसना पिसना बहुत तंग आना, कष्ट उठाना
146 घूंघट खोलना अपना भेद प्रकट करना
147 घूमकर बात करना इरादतन बात को लंबा खींचना
148 घूरना तिरछी नजर से देखना
149 चक्कर काटना धोखा देना, ठगना
150 चक्कर में डालना भ्रमित करना, गुमराह करना

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नंबर मुहावरा अर्थ
151 चक्की चलना समझदारी से काम करना
152 चट्टान तोड़ना कठिन कार्य करना
153 चटनी बनाना किसी की जमकर आलोचना करना
154 चटपटा होना चुस्त और फुर्तीला होना
155 चट्टान का दिल होना बेदर्द और निष्ठुर होना
156 चणक उठाना किसी बात का बहुत बुरा मानना
157 चप्पल-बटा खाना अपमानित होना
158 चप्पु नौकर होना बहुत आज्ञाकारी होना
159 चर्चा का विषय बनना लोगों द्वारा बहुत चर्चित होना
160 चर्बी निकलना बहुत अधिक परिश्रम करना
161 चर्म पोथी का नाम लेना किसी बात या घटना का बुरा उल्लेख करना
162 चाक चौबंद होना सभी आवश्यक सावधानियां बरतनी
163 चाल चलना कपटपूर्ण कार्य करना
164 चाल चलनी चालाकी से काम निकालना
165 चाल देखना सावधानीपूर्वक परिस्थिति का मूल्यांकन करना
166 चावल नहीं चुगना बिलकुल लाभ नहीं होना
167 चिकनी चुपड़ी होना बहुत चालाक होना
168 चिनगारी बिखेरना झगड़ा करवाना, विवाद उत्पन्न करना
169 चिन्ता की लकीर पड़ना चिंतित होना
170 चिराग तले अंधेरा होना आसपास की बात न देख पाना
171 चीख चीख कर बुलाना मुश्किल से बुलाना, बार-बार पुकारना
172 चीर हरण करना जबरन वस्तु छीन लेना
173 चीरा उतारना सिर से पांव तक निरीक्षण करना
174 चुगली करना लोगों को बिगाड़ना, झगड़ा करवाना
175 चुटकी बजाना मजाक करना, हंसी-मजाक करना
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क्रमांक मुहावरा अर्थ
176 आठ-आठ आँसू बहाना बहुत अधिक रोना
177 आड़े हाथों लेना शर्मिन्दा करना
178 आधा तीतर आधा बटेर अधूरा ज्ञान
179 आपे से बाहर होना सामर्थ्य से अधिक क्रोध प्रकट करना
180 आसमान टूट पड़ना अचानक घोर विपत्ति आ जाना
181 आसमान से बातें करना बहुत बढ़-चढ़कर बोलना
182 आसमान पर दिमाग चढ़ना अत्यधिक घमण्ड होना
183 आसमान पर थूकना सच्चरित्र व्यक्ति पर कलंक लगाने का प्रयास करना
184 आस्तीन का साँप कपटी मित्र
185 इज्जत मिट्टी में मिलाना मान-मर्यादा नष्ट करना
186 इधर की उधर लगाना चुगली करना
187 ईंट से ईंट बजाना हिंसा का करारा जवाब देना, खुलकर लड़ाई करना
188 ईमान बेचना विश्वास समाप्त करना
189 ईद का चाँद होना कभी-कभी दर्शन देना
190 उँगली उठाना दोष दिखाना
191 उँगली पकड़ते-पकड़ते पहुँचा पकड़ना थोड़ा प्राप्त हो जाने पर अधिक पर अधिकार जमाना
192 उँगली पर नचाना संकेत पर कार्य कराना
193 उड़ती चिड़िया पहचानना दूर से भाँप लेना
194 उड़ती चिड़िया के पंख गिनना कार्य-व्यापार को देखकर व्यक्तित्व को जान लेना
195 ऊँची दुकान फीके पकवान प्रसिद्ध स्थान की निकृष्ट वस्तु होना
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क्रमांक मुहावरा अर्थ
196 ऊँट के मुँह में जीरा बहुत कम मात्रा में कोई वस्तु देना
197 उल्टी गंगा बहाना परम्परा के विपरीत काम करना
198 उल्टी माला फेरना किसी के अमंगल की कामना करना, लोक विश्वास अथवा परम्परा के विपरीत कार्य करना
199 उल्लू सीधा करना किसी को बेवकूफ बनाकर काम निकालना
200 एक आँख से देखना सबके साथ समानता का व्यवहार करना, पक्षपातरहित होना
201 एक अनार सौ बीमार एक वस्तु के लिए बहुत-से व्यक्तियों द्वारा प्रयत्न करना
202 एक और एक ग्यारह होना एकता में शक्ति होना
203 एक हाथ से ताली नहीं बजती झगड़ा एक ओर से नहीं होता
204 एड़ी-चोटी का पसीना एक करना अत्यधिक परिश्रम करना
205 ऐसी-तैसी करना अपमानित करना/काम खराब करना
206 ओखली में सिर देना जान-बूझकर अपने को मुसीबत में डालना
207 कंगाली में आटा गीला होना विपत्ति में और विपत्ति आना
208 कन्धे से कन्धा मिलाना सहयोग देना
209 कच्चा चिट्ठा खोलना गुप्त भेद खोलना
210 कमर टूटना हिम्मत पस्त होना
211 कलाम तोड़ना अत्यन्त अनूठा, मार्मिक या हृदयस्पर्शी वर्णन करना
212 कलेजा छलनी होना कड़ी बात से जी दुःखना
213 कलेजा थामना दु:ख सहने के लिए हृदय को कड़ा करना
214 कलेजा धक-धक करना भयभीत होना
215 कलेजा निकालकर रख देना सर्वस्व दे देना
216 कलेजा मुँह को आना अत्यधिक व्याकुल होना
217 कलेजे पर पत्थर रखना धैर्य धारण करना
218 कसाई के खूटे से बाँधना निर्दयी व्यक्ति को सौंपना
219 काँटों पर लोटना ईर्ष्या से जलना, बेचैन होना
220 कागज काला करना व्यर्थ ही कुछ लिखना
221 कागजी घोड़े दौड़ाना कोरी कागजी कार्यवाही करना
222 काठ का उल्लू होना मूर्ख होना
223 कान काटना मात देना, बढ़कर होना
224 कान का कच्चा होना बिना सोचे-विचारे दूसरों की बातों पर विश्वास करना
225 कान खड़े होना सचेत होना

101. कान खाना-निरन्तर बातें करके परेशान करना।
यद्यपि उस समय उसकी बात सुनने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी, तथापि उसने मेरे कान खाकर मुझे परेशान कर दिया।

102. कान पर जूं न रेंगना-~-बार-बार कहने पर भी प्रभाव न होना।
अब अनुत्तीर्ण हो जाने पर क्यों रोते हो? जब मैं पढ़ने के लिए बार-बार कहता था, तब तुम्हारे कानों पर जूं भी न रेंगती थी।

103. कान भरना-चुगली करना।
मोहन ने सोहन से कहा कि आज साहब नाराज हैं, किसी ने उनके कान भरे हैं।

104. काया पलट देना-स्वरूप में आमूल परिवर्तन कर देना।
आपास्थिति ने तो देश की काया ही पलट दी।

105. काला अक्षर भैंस बराबर—बिल्कुल अनपढ़।
संगीत के विषय में मेरी स्थिति काला अक्षर भैंस बराबर है।

106. कीचड़ उछालना-लांछन लगाना।
कुछ लोगों को दूसरों पर कीचड़ उछालने में मजा आता है।

107. कुएँ में भाँग पड़ना-सम्पूर्ण समूह परिवार. का दूषित प्रवृत्ति का होना।
जब घर से भागकर प्रेम-विवाह करनेवाली साधना की दूसरी बेटी भी घर से भाग गई तो सभी सुननेवालों ने यही कहा कि वहाँ तो कुएँ में ही भाँग पड़ी है।

 

108. कुएँ में बाँस डालना-बहुत तलाश करना।
कई दिन से कुएँ में बाँस डाल रखे हैं, किन्तु उनका मिलना तो दूर उनका कोई समाचार भी नहीं मिला है।

109. कुत्ते की मौत मरना-बुरी तरह मरना।
तस्कर व डाकू जब पुलिस के चंगुल में पड़ जाते हैं तो कुत्ते की मौत मारे जाते हैं।

110. कूप-मण्डूक होना-संकुचित विचारवाला होना।
समुद्र पार करने का निषेध करके हमारे पुरखों ने हमें कूप-मण्डूक बना रहने दिया।

111. कोयले की दलाली में हाथ काले-कुसंगति से कलंक अवश्य लगता है।
अपने मातहत दो बाबुओं को रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े जाने के आरोप में अजब सिंह को भी उनके पद से हटा दिया गया। आखिर कोयले की दलाली में हाथ काले होते ही हैं।

112. कोल्हू का बैल-अत्यन्त परिश्रमी।
मजदूर रात-दिन कोल्हू के बैल की तरह जुटे रहने पर भी भरपेट रोटी प्राप्त नहीं कर पाते।

113. खटाई में डालना-उलझन पैदा करना।
मेरे मामले का निर्णय अभी तक नहीं हुआ, लिपिक महोदय ने जान-बूझकर उसे खटाई में डाल दिया है।

114. खरी-खोटी सुनाना-फटकारना।
अध्यापक द्वारा खरी-खोटी सुनाने पर भी निर्लज्ज छात्र पर कोई प्रभाव न पड़ा।

115. खरी मजूरी चोखा काम–अच्छी मजदूरी लेनेवाले से अच्छे काम की ही अपेक्षा की जाती है।
रोजगार की तलाश में शहर जाते बेटे को समझाते हुए पिता ने कहा कि छोटे शहर में खरी मजूरी चोखा काम चाहनेवालों की कमी नहीं है।

116. खाक छानना-भटकना।
मेरा शोध-विषय इतना जटिल है कि इसके लिए मुझे दर-दर की खाक छाननी पड़ रही है।

117. खाक में मिलाना-नष्ट करना।
अयोग्य सन्तान अपने पिता की इज्जत को तनिक-सी देर में खाक में मिला देती है।

118. खून का प्यासा होना-जानी दुश्मन होना।
जब सरदार भगतसिंह ने लाला लाजपतराय की मृत्यु का समाचार सुना तो वे अंग्रेजों के खून के प्यासे हो गए।

119. खून सूख जाना—भयभीत होना।
रमेश अपने पिता से बिना कहे सिनेमा देखने चला गया। सिनेमाहाल पर अचानक अपने पिता को देखकर उसका खून सूख गया।

120. खून सफेद होना—उत्साह का समाप्त हो जाना, बहुत डर जाना।
अपने सामने एक बहुत ही भयानक चेहरे के व्यक्ति को खड़ा देखकर मानो उसका खून सफेद हो गया।

121. खून-पसीना एक करना-कठोर परिश्रम करना।
मुकेश ने परीक्षा में सफलता पाने के लिए खून-पसीना एक कर दिया।

122. खेल खिलाना-प्रतिपक्षी को समय देना।
राम ने रावण को मारने से पूर्व युद्ध के मैदान में उसे तरह-तरह से खेल खिलाए।

123. खेत रहना-लड़ाई में मारा जाना।
भारत और चीन के युद्ध में शत्रुओं के कई हजार सैनिक खेत रहे।

124. गड़े मुर्दे उखाड़ना-बहुत पुरानी बात दोहराना।
गड़े मुर्दे उखाड़ने से किसी समस्या का हल नहीं मिलता। वस्तुतः हमें वर्तमान सन्दर्भ में ही समस्या का समाधान खोजना चाहिए।

125. गागर में सागर भरना-थोड़े शब्दों में अधिक बात कहना।
बिहारी ने अपनी सतसई के दोहों में बड़े-बड़े अर्थ रखकर गागर में सागर भरने की बात को चरितार्थ किया।

126. गाल बजाना-डींग मारना।
केवल गाल बजाने से सफलता नहीं मिल सकती, इसके लिए परिश्रम भी परम आवश्यक है।

127. गुड़-गोबर करना—काम बिगाड़ना।
कवि-सम्मेलन बड़े आनन्द से चल रहा था, श्रोता रसमग्न होकर कविताएँ सुन रहे थे कि अचानक आई तेज वर्षा ने सारा गुड़-गोबर कर दिया।

128. गूलर का फूल होना-अलभ्य वस्तु होना।
आज के युग में ईमानदारी गूलर का फूल हो गई है।

129. घड़ों पानी पड़ना-दूसरों के सामने हीन सिद्ध होने पर अत्यन्त लज्जित होना।
बहू ने जब सास का झूठ सबके सामने पकड़ लिया तो उस पर घड़ों पानी पड़ गया।

130. घर का दीपक-घर की शोभा और कुल की कीर्ति को बढ़ानेवाला।
एकमात्र पुत्र की मृत्यु पर संवेदना व्यक्त करने आए प्रत्येक व्यक्ति ने यही कहा कि उनके घर का तो दीपक ही बुझ गया।

131. घर की खेती सहज में मिलनेवाला पदार्थ।
बाल काट देने पर इतना क्यों रोते हो? यह तो घर की खेती है। कुछ दिन में फिर बढ़ जाएगी।

132. घर फूंक तमाशा देखना-क्षणिक आनन्द के लिए बहुत अधिक खर्च करना।
सेठ भोलामल का बड़ा लड़का शराब व जुए में सम्पत्ति नष्ट करके घर फूंक तमाशा देख रहा है।

133. घाट-घाट का पानी पीना–अनेक स्थलों का अच्छा-बुरा अनुभव प्राप्त करना/चालाक होना।
जिसने घाट-घाट का पानी पिया हो, उसे जीवन में कौन धोखा दे सकता है।

134. घाव पर नमक छिड़कना-दु:खी व्यक्ति के हृदय को और दुःख पहुँचाना।
परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाने पर रमेश वैसे ही दु:खी है। अब अपशब्द कहकर आप उसके घाव पर नमक छिड़क रहे हैं।

135. घाव हरा होना-भूले दुःख की याद आना।
मैं तो अपना दुःख भूल चुका था, किन्तु आज आपको वैसे ही कष्ट में देखकर मेरा घाव हरा हो गया।

136. घी के दीये जलाना-खुशी मनाना।
अपने प्रतिद्वन्द्वी की हार पर सुनील ने घी के दीये जलाए।

Muhavren Evm Lokoktiyan

137. घोड़े बेचकर सोना निश्चिन्त होना।
किशन परीक्षा समाप्त होते ही घोड़े बेचकर सोता है।

138. चम्पत होना-भाग जाना।
सिपाही को देखते ही चोर वहाँ से चम्पत हो गया।

139. चाँद पर थूकना-निर्दोष को दोष देना।
आप सत्यता के साथ अपने कार्य को कीजिए। आप पर दोष लगानेवाले स्वयं चुप हो जाएँगे। चाँद पर थूकने से उसका कुछ बिगड़ता नहीं है।

140. चूना लगाना-हानि पहुँचाना।
उसने मुझे रिश्तेदारी का हवाला दिया और मैं पिघल गया। बेबात में उसने मुझे सौ रुपये का चूना लगा दिया।

141. चाँदी काटना- अधिक लाभ प्राप्त करना।
आपास्थिति से पूर्व काले धन्धे में लगे व्यक्ति कृत्रिम कमी उत्पन्न करके चाँदी काट रहे थे। अब सभी के होश ठिकाने आ गए हैं।

142. चिकना घड़ा होना-निर्लज्ज होना। वह पूरा चिकना घड़ा है। उस पर आपकी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

143. चिकनी-चुपड़ी बातें करना-चालबाजी से भरी मीठी बातें करना। उसकी बातों में न आना।
वह चिकनी-चुपड़ी बातें करके अपना मतलब सिद्ध करने में बड़ा चतुर है।

144. चुल्लूभर पानी में डूब मरना-अपने गलत काम के लिए लज्जा का अनुभव करना।
रमेश ने अपनी बहन की सम्पत्ति पर भी कब्जा करने की कोशिश की। जब सम्बन्धियों को पता चला तो उन्होंने उससे कहा कि जाओ, चुल्लूभर पानी में डूब मरो।।

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145. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना-घबराहट आदि के कारण चेहरे का रंग उड़ जाना।
शहर में दंगा होने की खबर सुनकर शहर में नई आई मेघना के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।

146. चोर की दाढ़ी में तिनका वास्तविक अपराधी का बिना पूछे बोल उठना।
छात्रों ने श्यामपट पर एक कार्टून बना दिया था। अध्यापक ने उसके सम्बन्ध में छात्रों से पूछा। इसी बीच एक छात्र खड़ा होकर कहने लगा कि यह कार्टून मैंने नहीं बनाया। सब छात्र कहने लगे- “चोर की दाढ़ी में तिनका।”

147. चोली-दामन का साथ होना-घनिष्ठ अथवा अटूट सम्बन्ध।
पन्ना रूपवती स्त्री थी और रूप तथा गर्व में चोली-दामन का नाता था।

148. छक्के छुड़ाना-हिम्मत पस्त कर देना।
व्यापारमण्डल ने मेरे प्रस्ताव को स्वीकार करके मेरे विरोधियों के छक्के छुड़ा दिए।

149. छठी का दूध याद आना-घोर संकट में फँसना।
अचानक आए तूफान ने पर्वतारोहियों को छठी का दूध याद दिला दिया।

150. छठी का दूध याद कराना-बहुत अधिक कष्ट देना।
सतपाल ने अखाड़े में बड़े-बड़े पहलवानों को भी छठी का दूध याद करा दिया।

151. छाती पर मूंग दलना-अत्यन्त कष्ट देना।
माँ ने नाराज होकर बच्चों से कहा कि मेरी छाती पर ही मूंग दलते रहोगे या कुछ पढ़ोगे-लिखोगे भी।

152. छाती पर पत्थर रखना-दुःख सहने के लिए हृदय कठोर करना।
अपनी छाती पर पत्थर रखकर उसने अपना पुश्तैनी मकान भी बेच दिया।

153. छाती/कलेजे पर साँप लोटना-ईर्ष्या से हृदय जल उठना।
किसी की उन्नति की चर्चा सुनकर उसकी छाती पर साँप लोटने लगते हैं।

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164. जमीन पर पैर न रखना-बहुत अभिमान करना।
प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने के बाद उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं।

155. जहर उगलना-कठोर, जली-कटी, लगनेवाली बात कहना।
उन्हें जब देखो, तब जहर उगलते रहते हैं। उन्हें किसी की उन्नति तनिक भी नहीं सुहाती।

156. जली-कटी कहना-व्यंग्यपूर्ण बात करना।
जब देखो जली-कटी कहते रहते हो। कभी तो प्रेम के साथ बोला करो।

157. जहाज का पंछी होना—ऐसी मजबूरी होना, जिससे वही आश्रय लेने के लिए बाध्य होना पड़े।
बहुत ढूँढने पर भी मुझे कहीं स्थान नहीं मिला। जहाज के पंछी की तरह मैं फिर लौटकर वहीं आ गया।

158. जी-जान लड़ाना-बहुत परिश्रम करना।
हमने तो कार्यक्रम की सफलता के लिए जी-जान लड़ा दी, किन्तु उन्हें कोई बात पसन्द ही नहीं आती।

159. जीती मक्खी निगलना-अहित की बात स्वीकार करना।
मोहना को भली प्रकार ज्ञात था कि घर और वर दोनों उसके अनुरूप नहीं हैं, फिर भी माता-पिता की विवशता देखकर उसने जीती मक्खी को निगल लिया।

160. जोड़-तोड़ करना–दाँव-पेंचयुक्त उपाय करना।
किसी भी तरह जोड़-तोड़ करके रमेश उत्तीर्ण हो ही गया।

161. झख मारना-व्यर्थ समय गँवाना/विवश होना।
i. तुम कब से बैठे झख मार रहे हो, जाकर स्नान क्यों नहीं करते?
ii. झख मारकर उसे रुपया देना ही पड़ा।

162. टस से मस न होना—विचलित न होना।
कितनी ही विपत्तियाँ आईं, किन्तु रमेश टस से मस नहीं हुआ। अन्ततः जीत उसी की हुई।

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163. टका-सा जवाब देना-साफ इनकार करना।
मैंने कितनी ही बार उसकी सहायता की, किन्तु आवश्यकता पड़ने पर उसने मुझे टका-सा जवाब देने में तनिक भी संकोच नहीं किया।

164. टपक पड़ना-सहसा बिना बुलाए आ पहुँचना।।
अरे! अभी तुम्हारी ही बात हो रही थी, तुम एकदम कहाँ से टपक पड़े?

165. टाँग अड़ाना-दखल देना।
उसे कुछ आता-जाता तो है नहीं, किन्तु टाँग हर बात में अड़ाता रहता है।

166. टाट उलटना-दिवालिया होने की सूचना देना।
लोगों ने समय-समय पर उसकी बहुत आर्थिक मदद की, किन्तु जब लोगों ने अपनी रकम उससे माँगी तो उसने टाट उलट दिया।

167. टेढ़ी खीर-कठिन कार्य।
परीक्षा में प्रथम श्रेणी के अंक प्राप्त करना टेढ़ी खीर है।

168. टोपी उछालना-इज्जत से खिलवाड़ करना।
कैसे भी प्रिय व्यक्ति को कोई अपनी टोपी उछालने की इजाजत नहीं दे सकता।

169. ठकुरसुहाती करना/कहना-चापलूसी करना।
स्वाभिमानी व्यक्ति भूखा मर जाता है, किन्तु ठकुरसुहाती नहीं करता।

170. ठगा-सा रह जाना—चकित रह जाना।
साईं बाबा के चमत्कार देखकर मैं ठगा-सा रह गया।

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171. ठिकाने लगाना-मार डालना।
तुम्हारा मामला है, वरना उस दुष्ट को मैं कब का ठिकाने लगा देता।

172. ठोकर खाना-असावधानी के कारण नुकसान उठाना।
रमेश हमेशा सुरेश को समझाता रहता था कि यदि बुरी राह चलोगे तो ठोकर खाओगे, लेकिन सुरेश न माना।

173. डूबते को तिनके का सहारा-संकट में छोटी वस्तु से भी सहायता मिलना।
भूख के कारण उसके प्राण निकले जा रहे थे। तभी किसी ने उसे एक रोटी देकर मानो डूबते को तिनके का सहारा दिया।

174. ढाई ईंट की मस्जिद अलग बनाना-सार्वजनिक मत के विरुद्ध कार्य करना।
उससे हमारी मित्रता सम्भव नहीं है। वह सदैव ढाई ईंट की मस्जिद अलग बनाता रहता है।

175. ढिंढोरा पीटना-बात का खुलेआम प्रचार करना।
रमा के पेट में कोई बात नहीं पचती, वह तुरन्त बात का ढिंढोरा पीट देती है।

176. ढोल की पोल/ढोल के भीतर पोल—बाहरी दिखावे के पीछे छिपा खोखलापन।
ये स्वामी लोग व्याख्यान तो बहुत सुन्दर देते हैं, परन्तु उनके जीवन को निकट से देखने पर पता चलता है कि ढोल के भीतर भी पोल है।

177. तकदीर फूट जाना—भाग्यहीन होना।
युवावस्था में विधवा होने पर स्त्री की तो मानो तकदीर ही फूट जाती है।

178. तलवे चाटना-खुशामद करना। रमेश में तनिक भी स्वाभिमान नहीं है।
वह सदैव अपने अधिकारी के तलवे चाटता रहता है।

179. तिल का ताड़ करना/बनाना-छोटी-सी बात को बड़ी बनाना।
बात तो बहुत छोटी-सी थी, किन्तु उन्होंने तिल का ताड़ करके आपस में झगड़ा करा दिया।

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180. तीन-तेरह करना-गायब करना, तितर-बितर करना।
छापा पड़ने से पहले ही लालाजी ने अपने सारे कागजों को तीन-तेरह कर दिया।

181. तीन-पाँच करना-बहाना बनाना, इधर-उधर की बात करना।
सच-सच बताओ कि बात क्या है? तीन-पाँच करोगे तो अच्छा न होगा।

182. तोते के समान रहना-बात के सार को समझे बिना उसे रट लेना।
वर्तमान शिक्षा-प्रणाली छात्रों को केवल तोते के समान रटना सिखाती है।

183. थाली का बैंगन होना-पक्ष बदलते रहना।
उसकी बात पर कोई विश्वास नहीं करता। वह तो थाली का बैंगन है। कभी इस ओर हो जाता है और कभी उस ओर।

184. थूककर चाटना-त्यक्त वस्तु को पुनः ग्रहण करना, कही हुई बात पर अमल न करना।
पहले तो आवेश में तुमने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। अब उसके लिए पुनः आवेदन-पत्र देकर थूककर चाटते क्यों हो?

185. दंग रह जाना—आश्चर्यचकित होना।
बाबा के चमत्कारों को देखकर मैं तो दंग रह गया।

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186. दाँत खट्टे करना-हरा देना।
भारतीय सैनिकों ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों के दाँत खट्टे कर दिए।

187. दाँत पीसकर रह जाना-क्रोध रोक लेना।
रमेश की बदतमीजी पर पिताजी को क्रोध तो बहुत आया, किन्तु अपने मित्रों के सामने वे दाँत पीसकर। रह गए।

188. दाँतों तले उँगली दबाना-आश्चर्यचकित होना।
महारानी लक्ष्मीबाई के रणकौशल को देखकर अंग्रेजों ने दाँतों तले उँगली दबा ली।

189. दाने-दाने को तरसना-भूखों मरना।
जिन लोगों ने देश की स्वतन्त्रता के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया, उनके बच्चे आज दाने-दाने को तरस रहे हैं।

190. दाल न गलना-युक्ति में सफल न होना।
जब अधिकारी के सामने लिपिक की दाल न गली तो वह निराश होकर लौट आया।

191. दाल में काला होना-दोष छिपे होने का सन्देह होना।
पड़ोसी के घर पुलिस को आया देखकर पिता ने पुत्र से कहा-मुझे तो दाल में कुछ काला लगता है।

192. दिल बाग-बाग होना अत्यधिक प्रसन्न होना।
आपके घर की सजावट देखकर मेरा दिल बाग-बाग हो गया।

193. दिल भर आना-दुःखी होना।
जाड़े की रात में भिखारिन और उसके बच्चे को ठिठुरते हुए देखकर मेरा दिल भर आया।

194. दूध का दूध पानी का पानी-सही और उचित न्याय।।
विक्रमादित्य के राज्य में प्रजा सब प्रकार से सन्तुष्ट थी; क्योंकि उनके यहाँ दूध का दूध पानी का पानी किया जाता था।

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195. दूध की नदियाँ बहाना-दूध का जरूरत से अधिक उत्पादन करना/धन-धान्य से परिपूर्ण होना।
श्वेत क्रान्ति भी देश में दूध की नदियाँ न बहा सकी।

196. दूध की मक्खी की तरह निकाल देना-अवांछित, अनुपयोगी व्यक्ति को व्यवस्था से अलग करना।
रामसिंह ने लालाजी की जीवनभर सेवा की, किन्तु उन्होंने बुढ़ापे में उसे दूध की मक्खी की तरह निकाल दिया।

197. दुम दबाकर चल देना-डरकर हट जाना। पुलिस की ललकार सुनकर चोर दुम दबाकर भाग गए।

198. देवता कूच कर जाना—अत्यन्त भयभीत हो जाना, होश गायब हो जाना।
जंगल में अचानक सिंह को अपने सामने देखकर मनमोहन के तो देवता कूच कर गए।

199. दो नावों पर पैर रखना-दो अलग-अलग पक्षों से मिलकर रहना।
जो व्यक्ति दो नावों पर पैर रखकर चलते हैं, वे ठीक मझधार में डूबते हैं।

200. दो टूक बात कहना–स्पष्ट कहना। मोहन किसी से भी नहीं डरता।
वह हर व्यक्ति के सामने उचित बात को दो टूक कह देता है।

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201. दो दिन का मेहमान होना-थोड़े दिन रहना।
वकील साहब का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। वे अब दो दिन के मेहमान हैं। इसलिए सब मिलकर उनकी सेवा करें।

202. धूप में बाल सफेद नहीं होना-अनुभवी होना।
तुम मुझे धोखा नहीं दे सकते, मेरे बाल धूप में सफेद नहीं हुए हैं।

203. नकेल हाथ में होना-नियन्त्रण अपने हाथ में होना।।
चिन्ता न करो, उसकी नकेल मेरे हाथ में है। वह तुम्हारा विरोध नहीं कर सकता।

204. नजर लग जाना—बुरी दृष्टि का प्रभाव पड़ना।
नजर लगने के भय से माताएँ अपने बच्चों के माथे पर दिठौना काजल का टीका. लगा देती हैं।

205. नजर से गिरना-प्रतिष्ठा खो देना।
कुकर्मों के प्रकट होने के बाद प्रवीण सभी की नजरों से गिर गया।

206. नदी-नाव संयोग-आश्रय-आश्रित का सम्बन्ध।
कर्मचारी के हितों के नाम पर यूनियन के नेता फैक्ट्री में तालाबन्दी की बात कर रहे हैं, अब भला कोई उनसे पूछे फैक्ट्री और कर्मचारी में नदी-नाव का संयोग होता है, फिर तालाबन्दी से कर्मचारियों का कल्याण कैसे हो सकता है।

207. नमक-मिर्च लगाना-बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
कुछ लोगों की आदत होती है कि वे हर बात को नमक-मिर्च लगाकर ही कहते हैं।

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208. नमकहरामी करना-कृतघ्नता करना।
यदि कोई व्यक्ति हमारी भलाई करता है तो हमें उसका कृतज्ञ होना चाहिए, किन्तु बहुत-से व्यक्ति सरासर नमकहरामी करते हैं।

209. नहले पे दहला चलना-अकाट्य दाँव चलना।
बड़ी संख्या में सवर्णों को विधानसभा-टिकट देकर सुश्री मायावती ने ऐसा नहले पे दहला चला कि उन पर दलित राजनीति करने का आरोप लगानेवाले चारों खाने चित्त हो गए।

210. नाक कटना-बेइज्जती होना।
बेटे के चोरी करते पकड़े जाने पर निखिल के पिता की नाक कट गई।

211. नाक कटने से बचाना-बेइज्जत होने से बचाना।
माता-पिता बच्चों के अन्तर्जातीय विवाह सम्बन्धों को सहज रूप में स्वीकार करके ही अपनी नाक कटने से बचा सकते हैं।

212. नाक का बाल-अत्यन्त अन्तरंग, प्रिय।
अपनी नाक का बाल बने घोटाले में फँसे विधायक को पार्टी से कैसे निकालें, मुख्यमन्त्री के सामने अब यह एक बड़ी समस्या है।

213. नाक नीची कराना–बेइज्जती कराना।
अखिल ने कार चोरी का कार्य करके समाज में अपने पिता की नाक नीची करा दी।

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214. नाक बचाना-इज्जत बचाना।
आजकल के बच्चे अपने माँ-बाप की नाक बचाए रखें, यही उनकी सबसे बड़ी सेवा और भक्ति है।

215. नाक रगड़ना-किसी बात के लिए अत्यधिक खुशामद और क्षमा-याचना करना।
रावण ने हनुमान् से कहा कि राम आकर मेरे चरणों में अपनी नाक रगड़े तो वह सीता को वापस कर देगा।

216. नाक रख लेना-इज्जत रख लेना।
मुकेश ने अपने बड़े भाई की बात मानकर उनकी नाक रख ली।

217. नाकों चने चबाना-बहुत तंग करना।
अगर हम और कहीं होते तो लोगों को नाकों चने चबवा देते।

218. नौ-दो-ग्यारह होना—गायब हो जाना।
पुलिस को आता देखकर गिरहकट नौ-दो-ग्यारह हो गए।

219. पगड़ी उछालना-बेइज्जती करना।
किसी इज्जतदार आदमी की पगड़ी उछालना इंसानियत की बात नहीं है।

220. पत्ता काटना-मामले या पद से हटा देना।
अपने मण्डल दौरे पर आई मुख्यमन्त्री ने सभी दोषी अधिकारियों का पत्ता काट दिया।

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221. पत्थर की लकीर-अमिट बात।
महापुरुषों की बातें पत्थर की लकीर के समान अटल होती हैं।

222. पर्दा डालना-दुर्गुणों को छिपाना।
बच्चे तभी बिगड़ते हैं, जब माँ-बाप उनकी गलतियों पर पर्दा डालते हैं।

223. पसीना-पसीना होना-पसीने से तर-ब-तर होना।
भयंकर गर्मी में कार्य करते हुए मजदूर पसीना-पसीना हो गया।

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224. पहाड़ टूट पड़ना—मुसीबतें आना।
राम के पिता की मृत्यु से उसके परिवार पर मानो पहाड़ टूट पड़ा।

225. पाँचों उँगली घी में होना-आनन्द-ही-आनन्द होना।
दीपक की मम्मी के आ जाने पर आजकल उसकी पाँचों उँगली घी में हैं।

226. पानी उतर जाना-इज्जत समाप्त हो जाना।
रमेश की चोरी पकड़े जाने के बाद से जनता की निगाह में उसका पानी उतर गया।

227. पानी-पानी होना–शर्मिन्दगी अनुभव होना।
दरवाजे की खटखटाहट सुनकर अंशु भीतर से ही बड़बड़ाती आई कि इन भिखारियों ने भी नाक में दम कर रखा है, किन्तु दरवाजे पर अपने ससुर को खड़ा देखकर बेचारी पानी-पानी हो गई।

228. पानी फेर देना—निराश कर देना।
अनमोल ने विद्यालय छोड़कर अपने पिता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

229. पापड़ बेलना–कष्ट झेलना।
राम को नौकरी प्राप्त करने के लिए बड़े पापड़ बेलने पड़े।

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230. पीठ दिखाना-हारकर भाग जाना।
भारतीय सेना के सम्मुख पाकिस्तानी सिपाही पीठ दिखाकर भाग गए।

231. पेट में दाढ़ी होना—कम अवस्था में ही अधिक बुद्धिमान्/चतुर-चालाक होना।
श्याम की आयु केवल पन्द्रह साल की है, किन्तु वह अपने चाचा से राजनीति की चर्चा कर रहा था। यह देखकर वहाँ बैठे एक व्यक्ति ने कहा कि इस लड़के के पेट में तो दाढ़ी है।

232. पौ बारह होना-खूब लाभ प्राप्त होना।
आपात्काल से पहले गल्ला-व्यापारियों के पौ बारह हो रहे थे।

233. प्यासा ही कुएँ के पास जाता है—जरूरतमन्द ही अपनी जरूरत की वस्तु के स्रोत को ढूँढता हुआ उस तक पहुँचता है।
बेटा! बाजार में एक से बढ़कर एक पुस्तक उपलब्ध है; वहाँ जाना तो पड़ेगा ही; क्योंकि प्यासा ही कुएँ के पास जाता है, कुआँ स्वयं चलकर उसके पास नहीं आता।

234. प्राण हथेली पर रखना-मृत्यु के लिए तैयार रहना।
भारतीय सैनिक प्राण हथेली पर रखकर अपने शत्रुओं का सामना करते हैं।

235. फुलझड़ी छोड़ना-हँसी की बात कहना।
तुम तो बात-बात में फुलझड़ी छोड़ते हो। कभी तो गम्भीरता से बात किया करो।

236. फूटी आँखों न देखना-ईर्ष्या रखना।
अधिकतर विमाताएँ अपने सौतेले पुत्र को फूटी आँखों नहीं देख सकतीं।

237. फूला न समाना-अत्यधिक प्रसन्न होना।
अपनी प्यारी बहन मीरा के मिलने पर विमल फूला नहीं समाया।

238. बगुलाभगत होना–साधु के वेश में ठग, पाखण्डी।
आजकल अनेक लोग गेरुए वस्त्र धारण करके बगुलाभगत बने बैठे हैं।

239. बगलें झाँकना-निरुत्तर होना।
अध्यापक के प्रश्न को सुनकर तथा उत्तर समझ में न आने पर छात्रगण बगलें झाँकने लगे।

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240. बाँछे खिल जाना—प्रसन्नता से भर उठना।।
अपनी प्रोन्नति का समाचार सुनकर शशांक की बाँछे खिल गईं।

241. बाल की खाल निकालना–बारीकी से जाँच-पड़ताल करना।
मोहन का स्वभाव ऐसा ही है कि वह हर बात में बाल की खाल निकालता है।

242. बाल-बाँका न होना-कुछ भी हानि न पहुँचना।
इस मुकदमे में तुम चाहे कितना ही धन व्यय करो, किन्तु उनका बाल-बाँका नहीं हो सकता।

243. बालू की दीवार-दुर्बल आधार।
बालू की दीवार पर जीवन का महल बनाना उचित नहीं है।

244. बिजली गिरना-घोर विपत्ति आना।
सरला के जवान बेटे की मौत क्या हुई, उस पर तो मानो बिजली गिर गई।

245. बीड़ा उठाना-कोई जोखिम भरा काम करने की जिम्मेदारी लेना।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने युद्ध-क्षेत्र में घायलों की सेवा का बीड़ा उठाया।

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246. बे-पर की उड़ाना-झूठी बात फैलाना।
यद्यपि मीनू का परीक्षाफल नहीं आया था, किन्तु उसने अपनी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने की घोषणा करके बे-पर की उड़ा दी।

247. बे-सिर-पैर की बात करना—निरर्थक बात करना।
उन्हें काम तो कुछ है नहीं, हर समय बे-सिर-पैर की बात करते हैं।

248. बोटी-बोटी फड़कना-जोश आना।
कवि-सम्मेलन में वीर रस की कविताओं को सुनकर श्रोताओं की बोटी-बोटी फड़कने लगी।

249. भण्डा फूटना-भेद खुल जाना, रहस्य प्रकट हो जाना।
जनसभा में जब नेताजी के भ्रष्टाचार का भण्डा फूट गया तो वे चुपचाप ही वहाँ से खिसक लिए।

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250. भीगी बिल्ली बनना-भय या स्वार्थवश अति नम्र होना।
घर पर रहकर मूंछों पर ताव देनेवाले मुरलीधर कार्यालय में अपने अधिकारी के सामने भीगी बिल्ली बने रहते हैं।

251. मक्खन लगाना-चापलूसी करना।
अफसरों को मक्खन लगाना कोई शोभित से सीखे, जिसने सालभर में ही प्रोन्नति प्राप्त कर ली।

252. मक्खियाँ मारना-बेकार बैठे रहना।
जब से यहाँ आया हूँ, बैठा-बैठा मक्खियाँ मारा करता हूँ।

253. मन के मोदक खाना-काल्पनिक बातों से प्रसन्न होना।
उनके पास पैसा तो है नहीं, वे मन के मोदक खाकर ही प्रसन्न हो लेते हैं।

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254. मन खट्टा हो जाना–मन घृणा से भर जाना।
उधर तो दीपक के पिता की लाश पड़ी थी, इधर उसका छोटा भाई बँटवारे के लिए झगड़ रहा था। यह देखकर उसके प्रति दीपक का मन खट्टा हो गया।

255. मन मारकर बैठना-विवशता के कारण निराश होना।
हामिद के पास तीन पैसे थे, उनसे वह मिठाई कैसे खरीदता। बेचारा, साथियों को मिठाई खाता देख मन मारकर रह गया।

256. मन्त्र फॅकना-सफल युक्ति का प्रयोग करना।
विवेकीजी पता नहीं, अपने छात्रों में ऐसा कौन-सा मन्त्र फूंकते हैं, कि कोई भी छात्र प्रथम श्रेणी से कम उत्तीर्ण ही नहीं होता।

257. मिट्टी के मोल बिकना-अत्यन्त कम मूल्य पर बिकना।
विवश होकर प्रेमचन्दजी को अपने उपन्यास प्रकाशकों के हाथ मिट्टी के मोल बेचने पड़े।

258. मिट्टी में मिलाना–पूरी तरह नष्ट कर देना।
कुपुत्र अपने पूर्वजों के यश को मिट्टी में मिला देते हैं।

259. मुँह पर कालिख लगना-कलंक लगना।
चन्दर के बेटे के चोरी के अपराध में रंगे हाथों पकड़े जाने पर उसके मुँह पर कालिख लग गई।

260. मुँह की खाना-परास्त होना, अपमानित होना।
सतपाल से बड़े-बड़े पहलवानों ने मुँह की खाई।

261. मुँह में पानी भर आना-जी ललचाना।
मिठाइयों का नाम सुनते ही उसके मुँह में पानी भर आया।

262. मुट्ठी गर्म करना-रिश्वत देना।
लिपिक की मुट्ठी गर्म करने पर ही लाभचन्द को चीनी का परमिट मिल सका।

263. मँखें नीची हो जाना-अपमानित होना।
बेटी के साँवले दूल्हे से शादी करने से इनकार कर देने पर चौधरी की मूंछे नीची हो गईं।

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264. मूंछों पर ताव देना-शक्ति पर घमण्ड करना।
रमेश के पिता एक बाहुबली सांसद हैं; अत: वह मूंछों पर ताव दिए फिरता है।

265. मैदान मारना-सफलता/जीत प्राप्त करना।
राजेन्द्र अग्रवाल चुनाव का मैदान मारकर संसद पहुँच ही गए हैं।

266. रंग उतरना-रौनक खत्म होना।
जब से मेले में दो गुटों में झगड़ा हुआ है, मेले का रंग ही उतर गया है।

267. रंग जमाना-धाक जमाना।
किसी समय फिल्मी दुनिया में अमिताभ बच्चन ने अपना रंग जमा रखा था।

268. रंग में भंग पड़ना-आनन्द में विघ्न होना।
सिनेमाहाल में झगड़ा होने पर दर्शकों के रंग में भंग पड़ गया।

269. राई से पर्वत करना-छोटी बात को बहुत बढ़ा देना।
साम्प्रदायिक दंगों के समय समाज-विरोधी तत्त्व राई-जैसी बातों को पर्वत बनाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति करते हैं।

270. रास्ते का काँटा बनना-मार्ग में बाधा डालना।
देश की प्रगति के रास्ते में काँटा बननेवालों को समाप्त कर देना चाहिए।

271. रोंगटे खड़े होना-भयभीत होना, हर्ष/आश्चर्य से पुलकित होना।
अनियन्त्रित बस जब पहाड़ी के किनारे एक पेड़ से रुक गई और यात्रियों ने पहाड़ी से नीचे देखा तो खाई की गहराई देखकर उनके रोंगटे खड़े हो गए।

272. लकीर का फकीर होना-पुरानी नीति पर चलना।
आधुनिक विज्ञान के युग में लकीर का फकीर होना समझदारी का प्रमाण नहीं है।

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273. लाल-पीला होना क्रोधित होना।
रामू से दूध बिखर जाने पर उसकी माँ उस पर खूब लाल-पीली हुई।

274. लुटिया डुबोना-प्रतिष्ठा नष्ट करना, काम बिगाड़ देना, कलंक लगाना।
उसने तो दस-बारह रुपये का ही नुकसान किया था, तुमने तो लुटिया ही डुबो दी।

275. लोहा लोहे को काटता है-कठोर बनकर ही कठोरता का समाधान किया जा सकता है।
कश्मीरियों ने जब अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं हथियार उठाए, तब जाकर वहाँ कुछ शान्ति स्थापित हुई; क्योंकि वे जानते थे कि लोहा ही लोहे को काटता है।

276. लोहा लेना-साहसपूर्वक सामना करना।
हमें अपने शत्रुओं से डटकर लोहा लेना चाहिए।

277. लोहे के चने चबाना-अत्यधिक कठिन काम करना।
किसी भी व्यापार को आरम्भ करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को लोहे के चने चबाने पड़ते हैं, तब कहीं सफलता मिलती है।

278. श्रीगणेश करना-कार्य आरम्भ करना।
इस शुभ कार्य का श्रीगणेश तुरन्त कर देना चाहिए।

279. सफेद झूठ-बिल्कुल झूठ।
उसके प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने का समाचार सफेद झूठ है।

280. सिर उठाना–विरोध में खड़े होना, बगावत करना।
भगवान् श्रीकृष्ण के सम्मुख कंस जैसे अनेक दुराचारियों ने सिर उठाया, जो उनके द्वारा मार दिए गए।

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281. सिर खाना-परेशान करना।
इस समय मैं अपनी परीक्षा की तैयारी में लगा हूँ, बार-बार प्रश्न पूछकर मेरा सिर मत खाओ।

282. सिर खुजलाना-सोच में पड़ जाना, अनिर्णय की स्थिति में होना।
परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने के कारण पूछे जाने पर निकेत सिर खुजलाने लगा कि क्या जवाब दे।

283. सितारा चमकना-उन्नति पर होना।।
हमारे वैज्ञानिकों के प्रयत्नों से विज्ञान के क्षेत्र में भी हमारा सितारा चमक रहा है।

284. सिर पर सवार होना-कड़ाई से निगरानी करना।
वह व्यक्ति मेरे काम को बार-बार टालता रहता है। अब तो उसके सिर पर सवार होकर ही काम करवाया जा सकता है।

285. सिर माथे पर चढ़ाना/लेना-सादर स्वीकार करना।
जुम्मन ने भरी पंचायत में खड़े होकर कहा कि मैं पंचों का हुक्म सिर माथे पर चढ़ाऊँगा।

286. सीधी उँगली से घी नहीं निकलता-बेशर्म लोगों से काम कराने के लिए कठोर टेढ़ा. होना ही पड़ता है।
लाख अनुनय-विनय के बाद भी जब सोमनाथ का फंड न मिला तो वह समझ गया कि सीधी उँगली से घी नहीं निकलनेवाला।

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287. सीधे मुँह बात न करना-अकड़कर बोलना।
सरकारी कार्यालय के लिपिक सीधे मुँह बात ही नहीं करते।

288. सौ बात की एक बात-सार तत्त्व।
सौ बात की एक बात है कि मैं आज सिनेमा नहीं जा सकता। मुझे जरूरी काम निपटाने हैं।

289. साँप-छछंदर की गति होना-दुविधा में पड़ना।
रावण के प्रस्ताव से मारीच की गति साँप-छडूंदर की-सी हो गई।

290. हथियार डाल देना-हिम्मत हार जाना, समर्पण कर देना।
कलिंग की सेना ने अन्तिम साँस रहने तक अशोक के सामने हथियार नहीं डाले।

291. हवाई किले बनाना/हवा में किले बनाना-काल्पनिक योजनाएँ बनाना।
वह बुद्धि जो हवा में किले बनाती रहती थी, अब इस गुत्थी को भी न सुलझा सकती थी।

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292. हवा से बातें करना-बहुत तेज गति से दौड़ना।
चेतक राणा के सवार होते ही हवा से बातें करने लगता था।

293. हाथ मलना-अपनी विवशता व्यक्त करना।
उसने मेरा पर्स छीना और भाग गया। मैंने बहुत शोर मचाया, किन्तु कोई भी सहायता के लिए न आया। अन्त में मैं हाथ मलता रह गया।

294. हाँ में हाँ मिलाना-चापलूसी करना।
स्वार्थी लोग अधिकारियों की हाँ में हाँ मिलाकर अपना काम निकाल लेते हैं।

295. हाथ के तोते उड़ना-अचानक किसी अनिष्ट के कारण स्तब्ध रह जाना।
अपने पुत्र के दुर्घटना में मारे जाने का समाचार सुनकर मानो गिरधर के हाथ के तोते उड़ गए।

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296. हाथ पर हाथ रखकर बैठना-निष्प्रयत्न निष्क्रिय. होना।
हाथ पर हाथ रखकर बैठने से तो किसी की समस्या का समाधान नहीं हो सकता।

297. हाथ-पाँव मारना-प्रयत्न करना।
आप चाहे कितने भी हाथ-पाँव मार लें, किन्तु आपकी समस्या का समाधान बिना सुविधा-शुल्क के नहीं हो सकता।

298. हाथ-पाँव फूलना-भय से घबरा जाना।
डाकुओं को देखकर यात्रियों के हाथ-पाँव फूल गए।

299. हाथ पीले करना-विवाह करना।
कमला अपने पति की मृत्यु के पश्चात् बड़ी मुश्किल से अपनी बेटी के हाथ पीले कर सकी।

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300. हाथ को हाथ नहीं सूझना-बहुत अँधेरा होना।
हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा है, वहाँ कैसे जाऊँ?

301. हाथ मलते रह जाना-पश्चात्ताप होना।
पहले तो परिश्रम नहीं किया, अब अनुत्तीर्ण हो जाने पर हाथ मलने से क्या होता है।

302. हिलोरें मारना-तरंगित होना, उत्साहित होना।
समुद्र को हिलोरें मारते देखना सभी को आनन्दित करता है।

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303. हुक्का भरना–सेवा करना, जी हुजूरी करना।
साहब ने जब अपने मातहत से अपने विरुद्ध षड्यन्त्र रचने के विषय में पूछा तो वह गिड़गिड़ाकर बोला-साहब हमें तो उम्रभर आपका हुक्का भरना है, भला मैं आपके विरुद्ध षड्यन्त्र की बात सोच भी कैसे सकता हूँ।

304. होश ठिकाने होना-अक्ल ठिकाने होना।
आपात्काल में बड़ी-बड़ों के होश ठिकाने आ गए।

305. होश उड़ जाना—घबरा जाना।
सामने से शेर को आता देखकर शिकारी के होश उड़ गए।

लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ – Hindi Loktokis with Meanings

1. अन्त बुरे का बुरा-बुरे का परिणाम बुरा होता है।
2. अन्त भला सो भला-परिणाम अच्छा रहता है तो सब-कुछ अच्छा कहा जाता है।
3. अन्धा क्या चाहे दो आँखें—प्रत्येक व्यक्ति अपनी उपयोगी वस्तु को पाना चाहता है।
4. अन्धी पीसे कुत्ता खाय-परिश्रमी के असावधान रहने पर उसके परिश्रम का फल निकम्मों को मिल जाता है।
5. अन्धे के आगे रोए अपने नैन खोए-जिसमें सहानुभूति की भावना न हो, उसके सामने दुःख-दर्द की बातें करना व्यर्थ है।

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6. अन्धों में काना राजा-मूों के समाज में कम ज्ञानवाला भी सम्मानित होता है।
7. अक्ल बड़ी या भैंस-शारीरिक शक्ति की अपेक्षा बुद्धि अधिक बड़ी होती है।
8. अधजल गगरी छलकत जाय-अधूरे ज्ञानवाला व्यक्ति ही अधिक बोलता डींगें हाँकता. है।
9. अपना पैसा खोटा तो परखनेवाले का क्या दोष-अपने अन्दर अवगुण हों तो दूसरे बुरा कहेंगे ही।
10. अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग-सबका अपनी-अपनी अलग बात करना।
11. अपनी करनी पार उतरनी-अपने बुरे कर्मों का फल भुगतना ही होता है।
12. अपने घर पर कुत्ता भी शेर होता है-अपने स्थान पर निर्बल भी अपने को बलवान् प्रकट करता है।
13. अपना हाथ जगन्नाथ-अपना कार्य स्वयं करना।
14. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता-अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता।
15. अशर्फियाँ लुटें और कोयलों पर मुहर-मूल्यवान् वस्तुओं की उपेक्षा करके तुच्छ वस्तुओं की चिन्ता करना।

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16. आँख के अन्धे गाँठ के पूरे—मूर्ख और हठी।
17. आँखों के अन्धे, नाम नयनसुख-गुणों के विपरीत नाम होना।।
18. आई मौज फकीर की दिया झोपड़ा फूंक-वह व्यक्ति, जो किसी भी वस्तु से मोह नहीं करता है।
19. आगे कुआँ पीछे खाई—विपत्ति से बचाव का कोई मार्ग न होना।
20. आगे नाथ न पीछे पगहा-कोई भी जिम्मेदारी न होना।

21. आटे के साथ घुन भी पिसता है-अपराधी के साथ निरपराधी भी दण्ड प्राप्त करता है।
22. आधी तज सारी को धाए, आधी मिले न सारी पाए-लालच में सब-कुछ समाप्त हो जाता है।
23. आप भला सो जग भला-अपनी नीयत ठीक होने पर सारा संसार ठीक लगता है।
24. आम के आम गुठलियों के दाम-दुहरा लाभ उठाना।
25. आये थे हरि भजन को ओटन लगे कपास-किसी महान कार्य को करने का लक्ष्य बनाकर भी निम्न स्तर के काम में लग जाना।
26. आसमान से गिरा खजूर पर अटका-एक विपत्ति से छूटकर दूसरी में उलझ जाना।
27. उठी पैंठ आठवें दिन लगती है—एक बार व्यवस्था भंग होने पर उसे पुन: कायम करने में समय लगता है।
28. उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई-निर्लज्ज बन जाने पर किसी की चिन्ता न करना।
29. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे-अपना दोष स्वीकार न करके उल्टे पूछनेवाले पर आरोप लगाना।
30. ऊधो का लेना न माधो का देना–स्पष्ट व्यवहार करना।
31. एक और एक ग्यारह होना—एकता में शक्ति होती है।
32. एक चुप सौ को हराए-चुप रहनेवाला अच्छा होता है।
33. एक तन्दुरुस्ती हजार नियामत-स्वास्थ्य का अच्छा रहना सभी सम्पत्तियों से श्रेष्ठ होता है।
34. एक तो करेला, दूसरे नीम चढ़ा-अवगुणी में और अवगुणों का आ जाना।
35. एक तो चोरी दूसरी सीनाजोरी-गलती करने पर भी उसे स्वीकार न करके विवाद करना।

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36. एक थैली के चट्टे-बट्टे-सबका एक-सा होना।
37. एक पन्थ दो काज-एक ही उपाय से दो कार्यों का करना।
38. एक हाथ से ताली नहीं बजती-झगड़ा एक ओर से नहीं होता।
39. एक म्यान में दो तलवारें नहीं समा सकतीं—एक ही स्थान पर दो विचारधाराएँ नहीं रह सकतीं।
40. एकै साधे सब सधे, सब साधे सब जाय-प्रभावशाली एक ही व्यक्ति के प्रसन्न कर लेने पर सबको प्रसन्न करने की आवश्यकता नहीं रह जाती। सबको प्रसन्न करने के प्रयास में कोई भी प्रसन्न नहीं हो पाता।

41. ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर–कठिन कार्य में उलझकर विपत्तियों से घबराना बेकार है।
42. ओछे की प्रीत बालू की भीत-नीच व्यक्ति का स्नेह रेत की दीवार की तरह अस्थायी क्षणभंगुर. होता है।
43. कभी गाड़ी नाव पर, कभी नाव गाड़ी पर संयोगवश कभी कोई किसी के काम आता है तो कभी कोई दूसरे के।
44. कभी घी घना, कभी मुट्ठीभर चना, कभी वह भी मना-जो कुछ मिले, उसी से सन्तुष्ट रहना चाहिए।
45. करघा छोड़ तमाशा जाय, नाहक चोट जुलाहा खाय-अपना काम छोड़कर व्यर्थ के झगड़ों में फँसना हानिकर होता है।
46. कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली-दो असमान स्तर की वस्तुओं का मेल नहीं होता।
47. कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा; भानुमती ने कुनबा जोड़ा-इधर-उधर से उल्टे-सीधे प्रमाण एकत्र कर अपनी बात सिद्ध करने का प्रयत्न करना।

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48. कागज की नाव नहीं चलती-बिना किसी ठोस आधार के कोई कार्य नहीं हो सकता।
49. कागा चला हंस की चाल-अयोग्य व्यक्ति का योग्य व्यक्ति जैसा बनने का प्रयत्न करना।
50. काठ की हाँड़ी केवल एक बार चढ़ती है-कपटपूर्ण व्यवहार बार-बार सफल नहीं होता।
51. का बरसा जब कृषि सुखाने-उचित अवसर निकल जाने पर प्रयत्न करने का कोई लाभ नहीं होता।
52. को नृप होउ हमहिं का हानी—राजा चाहे कोई भी हो, प्रजा की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता। प्रजा, प्रजा ही रहती है।
53. खग जाने खग ही की भाषा–एकसमान वातावरण में रहनेवाले अथवा प्रवृत्तिवाले एक-दूसरे की बातों के सार शीघ्र ही समझ लेते हैं।
54. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है—एक का प्रभाव दूसरे पर पड़ता है।
55. खोदा पहाड़ निकली चुहिया-अधिक परिश्रम करने पर भी मनोवांछित फल न मिलना।
56. गंगा गए गंगादास जमुना गए जमुनादास-देश-काल-वातावरण के अनुसार स्वयं को ढाल लेना।
57. गुड़ न दे, गुड़ जैसी बात तो करे–चाहे कुछ न दे, परन्तु वचन तो मीठे बोले।
58. गुड़ खाए, गुलगुलों से परहेज-किसी वस्तु से दिखावटी परहेज।
69. घर का भेदी लंका ढावै-अपना ही व्यक्ति धोखा देता है।
60. घर का जोगी जोगना,आन गाँव का सिद्ध-गुणवान् व्यक्ति की अपने स्थान पर प्रशंसा नहीं होती।

61. घर की मुर्गी दाल बराबर-घर की वस्तु का महत्त्व नहीं समझा जाता।
62. घर खीर तो बाहर खीर-यदि व्यक्ति अपने घर में सुखी और सन्तुष्ट है तो उसे सब जगह सुख और सन्तुष्टि का अनुभव होता है।
63. घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने-झूठी शान दिखाना।
64. घी कहाँ गिरा, दाल में व्यक्ति का स्वार्थ के लिए पतित होना।
65. घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या-संकोचवश पारिश्रमिक न लेना।
66. घोड़े को लात, आदमी को बात-घोड़े के लिए लात और सच्चे आदमी के लिए बात का आघात असहनीय होता है।
67. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए-लालची होना।

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68. चलती का नाम गाड़ी—जिसका नाम चल जाए वही ठीक।
69. चादर के बाहर पैर पसारना—हैसियत क्षमता. से अधिक खर्च करना।
70. चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात-सुख क्षणिक ही होता है।
71. चिड़िया उड़ गई फुरै-अभीष्ट व्यक्ति अथवा वस्तु का प्राप्ति से पूर्व ही गायब हो जाना/मृत्यु हो जाना।
72. चिराग तले अँधेरा-अपना दोष स्वयं को दिखाई नहीं देता।
73. चोर-चोर मौसेरे भाई-समाजविरोधी कार्य में लगे हुए व्यक्ति समान होते हैं।
74. चूहे का जाया बिल ही खोदता है-बच्चे में पैतृक गुण आते ही हैं।
75. चोरी का माल मोरी में जाता है—छल की कमाई यों ही समाप्त हो जाती है।
76. छछून्दर के सिर पर चमेली का तेल-कुरूप व्यक्ति का अधिक शृंगार करना।
77. जल में रहकर मगर से बैर-अधिकारी से शत्रुता करना।

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78. जहाँ चाह वहाँ राह—इच्छा, शक्ति से ही सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
79. जहाँ देखी भरी परात, वहीं गंवाई सारी रात-लोभी व्यक्ति वहीं जाता है, जहाँ कुछ मिलने की आशा होती है।
80. जाके पाँव व फटी बिबाई, सो क्या जाने पीर पराई—जिसने कभी दुःख न देखा हो, वह दूसरे की पीड़ा दुःख. को नहीं समझ सकता।

81. जिसकी लाठी उसकी भैंस-शक्तिशाली की विजय होती है।
82. जिस थाली में खाना उसी में छेद करना-कृतघ्न होना।
83. जैसे कंता घर रहे वैसे रहे विदेश–स्थान परिवर्तन करने पर भी परिस्थिति में अन्तर न होना।
84. जैसा देश वैसा भेष—प्रत्येक स्थान पर वहाँ के निवासियों के अनुसार व्यवहार करना।
85. जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ-दो नीच व्यक्तियों में किसी को अच्छा नहीं कहा जा सकता।
86. जो गरजते हैं बरसते नहीं-अकर्मण्य लोग ही बढ़-चढ़कर डींग मारते हैं। अथवा कर्मनिष्ठ लोग बातें नहीं बनाते। .
87. ढाक के वही तीन पात-कोई निष्कर्ष हल. न निकलना।
88. तबेले की बला बन्दर के सिर—एक के अपराध के लिए दूसरे को दण्डित करना।
89. तीन लोक से मथुरा न्यारी-सबसे अलग, अत्यन्त महत्त्वपूर्ण।

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90. तीन में न तेरह में, मृदंग बजावे डेरा में किसी गिनती में न होने पर भी अपने अधिकार का ढिंढोरा पीटना।
91. तुम डाल-डाल हम पात-पात-प्रतियोगी से अधिक चतुर होना। अथवा प्रतियोगी की प्रत्येक चाल को विफल करने का उपाय ज्ञात होना।
92. तुरत दान महाकल्याण-किसी का देय जितनी जल्दी सम्भव हो, चुका देना चाहिए।
93. तू भी रानी मैं भी रानी, कौन भरेगा पानी—सभी अपने को बड़ा समझेंगे तो काम कौन करेगा।
94. तेली का तेल जले, मशालची का दिल-व्यय कोई करे, दुःख किसी और को हो।
95. तेल देख तेल की धार देख–कार्य को सोच-विचारकर करना और अनुभव प्राप्त करना।
96. थोथा चना बाजे घना-कम गुणी व्यक्ति में अहंकार अधिक होता है।
97. दान की बछिया के दाँत नहीं देखे जाते-मुफ्त की वस्तु का अच्छा-बुरा नहीं देखा जाता।
98. दाल-भात में मूसलचंद-किसी कार्य में व्यर्थ टाँग अड़ाना।
99. दिन दूनी रात चौगुनी-गुणात्मक वृद्धि।
100. दीवार के भी कान होते हैं रहस्य खुल ही जाता है।

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101. दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम-दुविधाग्रस्त व्यक्ति को कुछ भी प्राप्त नहीं होता।
102. दूर के ढोल सुहावने होते हैं—प्रत्येक वस्तु दूर से अच्छी लगती है।
103. धोबी का कुत्ता घर का न घाट का-लालची व्यक्ति कहीं का नहीं रहता/लालची व्यक्ति लाभ से वंचित रह ही जाता है।
104. न तीन में, न तेरह में महत्त्वहीन होना, किसी काम का न होना।
105. न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी-झगड़े की जड़ काट देना।
106. नाच न जाने/आवै आँगन टेढ़ा-काम न आने पर दूसरों को दोष देना।
107. नाम बड़े, दर्शन छोटे-प्रसिद्धि के अनुरूप निम्न स्तर होना।
108. न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी-न इतने अधिक साधन होंगे और न काम होगा।
109. नीम हकीम खतरा-ए-जान-अप्रशिक्षित चिकित्सक रोगी के लिए जानलेवा होते हैं।
110. नौ नकद न तेरह उधार-नकद का विक्रय कम होने पर भी उधार के अधिक विक्रय से अच्छा है।
111. नौ दिन चले अढ़ाई कोस-धीमी गति से कार्य करना।
112. नौ सौ चूहे खाय बिल्ली हज को चली—जीवनभर पाप करने के बाद बुढ़ापे में धर्मात्मा होने का ढोंग करना।
113. पढ़े फारसी बेचे तेल, यह देखा कुदरत का खेल-भाग्यवश योग्य व्यक्ति द्वारा तुच्छ कार्य करने के लिए विवश होना।
114. बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी-विपत्ति अधिक समय तक नहीं टल सकती।
115. बगल में छोरा, नगर में ढिंढोरा-वाँछित वस्तु की प्राप्ति के लिए अपने आस-पास दृष्टि न डालना।
116. बड़े मियाँ सो बड़े मियाँ छोटे मियाँ सुभानअल्लाह-छोटे का बड़े से भी अधिक धूर्त होना।
117. बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद-मूर्ख व्यक्ति गुणों के महत्त्व को नहीं समझ सकता।
118. बाप ने मारी मेंढकी, बेटा तीरंदाज-कुल-परम्परा से निम्न कार्य करते चले आने पर भी महानता का दम्भ भरना।
119. बिल्ली के भाग्य से छींका टूटना-अचानक कार्य सिद्ध हो जाना।
120. भइ गति साँप छछून्दति केरी-दुविधा की स्थिति।

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121. भरी जवानी में माँझा ढीला-युवावस्था में पौरुष उत्साह.हीन होना।
122. भागते भूत की लँगोटी भली-न देनेवाले से जो भी मिल जाए, वही ठीक है।
123. भूखे भजन न होय गोपाला-भूखे पेट भक्ति भी नहीं होती।
124. भैंस के आगे बीन बजाना-मूर्ख के आगे गुणों का प्रदर्शन करना व्यर्थ होता है।
125. मन चंगा तो कठौती में गंगा-मन के शुद्ध होने पर तीर्थ की आवश्यकता नहीं होती।
126. मरे को मारे शाहमदार राजा से लेकर धूर्त तक सभी सामर्थ्यवान् कमजोर को ही सताते हैं।
127. मान न मान मैं तेरा मेहमान-जबरदस्ती गले पड़ना।
128. मुँह में राम बगल में छुरी-कपटपूर्ण व्यवहार।
129. मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक-प्रत्येक व्यक्ति अपनी पहुँच के भीतर कार्य करता है।
130. यथा नाम तथा गुण-नाम के अनुरूप गुण।
131. यथा राजा तथा प्रजा-जैसा स्वामी वैसा सेवक।
132. रस्सी जल गई ऐंठ न गई-अहित होने पर भी अकड़ न जाना।

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133. राम नाम जपना पराया माल अपना-धर्म का आडम्बर करते हुए दूसरों की सम्पत्ति को हड़पना।
134. लातों के भूत बातों से नहीं मानते-नीच बिना दण्ड के नहीं मानते।
135. लाल गुदड़ी में भी नहीं छिपते—गुणवान् हीन दशा में होने पर भी पहचाना जाता है।
136. शौकीन बुढ़िया चटाई का लहँगा-शौक पूरे करते समय अपनी आर्थिक स्थिति की अनदेखी करना।
137. साँच को आँच नहीं सत्यपक्ष का कोई भी विपत्ति कुछ नहीं बिगाड़ सकती/सत्य की सदैव विजय होती है।
138. साँप निकल गया लकीर पीटते रहे कार्य का अवसर हाथ से निकल जाने पर भी परम्परा का निर्वाह करना।
139. साँप भी मरे और लाठी भी न टूटे-काम भी बन जाए और कोई हानि भी न हो।
140. सावन हरे न भादों सूखे-सदैव एक-सी स्थिति में रहना।

141. सावन के अन्धे को सब जगह हरियाली दिखना-स्वार्थ में अन्धे व्यक्ति को सब जगह स्वार्थ ही दिखता है।
142. सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना—कार्य के आरम्भ में ही बाधा उत्पन्न होना।
143. सूरज को दीपक दिखाना-सामर्थ्यवान को चुनौती देना; ज्ञानी व्यक्ति को उपदेश देना।
144. हंसा थे सो उड़ गए, कागा भए दिवान–सज्जनों के पलायन कर जाने पर सत्ता दुष्टों के हाथ में आ जाती है।
145. हमारी बिल्ली हमीं को म्याऊँ-पालक पालनेवाले. के प्रति विद्रोह की भावना रखना।
146. हल्दी/हर्र लगे न फिटकरी, रंग चोखा आए-बिना कुछ प्रयत्न किए कार्य अच्छा होना।
147. हाथ कंगन को आरसी क्या-प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती।
148. हाकिम की अगाड़ी, घोड़े की पिछाड़ी-विपत्ति से बचकर ही निकलना चाहिए।
149. हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और-कपटी व्यक्ति कहते कुछ हैं, करते कुछ हैं।
150. हाथी के पाँव में सबका पाँव-ओहदेदार व्यक्ति की हाँ में ही सबकी हाँ होती है।
151. होनहार बिरवान के होत चीकने पात-प्रतिभाशाली व्यक्ति के लक्षण आरम्भ से ही दिखने लगते हैं।
152. हाथी निकल गया, दुम रह गई—सभी मुख्य काम हो जाने पर कोई मामूली-सी अड़चन रह जाना।
153. होइहि सोइ जो राम रचि राखा-वही होता है, जो भगवान् ने लिखा होता है।

 

मुहावरे

  1. अपने पाँव में आप कुल्हाड़ी मारना – स्वयं ही अपनी समस्या खड़ी करना या मुसीबत में पड़ना।
  2. अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना – अलग रहना या किसी समूह से अलग होना।
  3. अपना सा मुँह लेकर रह जाना – किसी काम में असफल होकर लज्जित होना।
  4. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना – स्वयं की बड़ाई करना या अपनी प्रशंसा करना।
  5. अरमान निकालना – अपनी इच्छा या लक्ष्य को पूरा करना।
  6. अरमान रहना (या रह जाना) – इच्छा पूरी न होना या असफल होना।
  7. आँख उठाकर न देखना – किसी को नजरअंदाज करना या तिरस्कार करना।
  8. आँख का काँटा होना – किसी का शत्रु या बैरी होना।
  9. आँख का काजल चुराना – चालाकी से चोरी करना या चतुराई से काम निकालना।
  10. आँख का तारा, आँख की पुतली – बहुत प्यारा और महत्वपूर्ण व्यक्ति या वस्तु।
  1. आँख दिखाना – क्रोध से देखना, धमकाना या रोकना।
  2. आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना या छलने की कोशिश करना।
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  3. आँखों पर चढ़ना – किसी चीज के लिए लोभ होना या वह चीज पसंद आ जाना।
  4. आँखें फेर लेना – किसी से नाता तोड़ लेना या उससे संबंध खत्म कर देना।
  5. आँखें बिछाना – किसी का बेसब्री से इंतजार करना या उसकी राह देखना।
  6. आँख में पानी न होना – बेशर्म या निर्लज्ज होना।
  7. आँखों में खून उतरना – बहुत ज्यादा क्रोध होना या गुस्सा आना।
  8. आँखों में गड़ना (या चुभना) – किसी चीज को पसंद आना या अच्छा लगना।
  9. आँखों में चरबी छाना – घमंड होना या अहंकारी बन जाना।
  10. आँखे लाल करना – बहुत क्रोध करना या गुस्से से देखना।
  11. आँखे सेंकना – निरंतर देखते रहना या दर्शन करना।
  12. आँच न आने देना – किसी को नुकसान न पहुंचने देना।
  13. आटे दाल का भाव मालूम होना – जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों का अनुभव होना।
  14. आँसू पीकर रह जाना – अपमान को बर्दाश्त करना या चुपचाप सहन कर लेना।
  15. आकाश के तारे तोड़ लाना – असंभव काम करना या बहुत मुश्किल से काम निकालना।
  1. आकाश पाताल एक करना – बहुत अधिक परिश्रम करना या कठिन प्रयास करना।
  2. आग पर पानी डालना – किसी विवाद या झगड़े को शांत करना।
  3. आग में घी डालना – किसी स्थिति को और भी विगड़ना या झगड़े को बढ़ाना।
  4. आग में कूदना – जानबूझकर खतरे में पड़ना या मुसीबत मोल लेना।
  5. आग बबूला होना – बहुत अधिक क्रोधित होना या गुस्से से भरना।
  6. आग लगने पर कुआँ खोदना – समस्या आने पर उसका समाधान ढूंढना या उपाय करना।
  7. आटा गीला करना – नुकसान होना या घाटा उठाना।
  8. आधा तीतर आधा बटेर – अस्त-व्यस्त या असंगत स्थिति होना।
  9. आपे से बाहर होना – बहुत अधिक गुस्सा होना या नियंत्रण खोना।
  10. आबरू पर पानी फिरना – प्रतिष्ठा या इज्जत को नुकसान पहुंचना।
  11. आवाज उठाना – विरोध करना या असहमति जताना।
  12. आसमान सिर पर उठाना – बहुत अधिक शोर-शराबा करना या उपद्रव मचाना।
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  13. आसमान से बातें करना – बहुत ऊंचा होना या अत्यधिक महत्वपूर्ण होना।
  14. आस्तीन का साँप – मित्र के भेष में छिपा शत्रु।
  15. इधर उधर करना – टालमटोल करना या बहाना बनाना।
  16. इधर की दुनिया उधर होना – असंभव या अनहोनी घटना घटना।
  17. इधर की उधर करना – चुगली करना या मखौल उड़ाना।
  18. ईट से ईट बजाना – अंतिम संघर्ष करना या पूरी तरह बर्बाद करना।
  19. ईंट का जवाब पत्थर से देना – दुष्टता का मुंहतोड़ जवाब देना।
  20. ईद (दूज) का चाँद होना – बहुत कम दिखाई देना या दुर्लभ होना।
  21. उड़ती खबर – अफवाह या निराधार चर्चा।
  22. उल्लू का पट्ठा – बेहद मूर्ख व्यक्ति।
  23. उल्लू बनाना – बेवकूफ बनाना या मूर्ख समझना।
  24. उल्लू सीधा करना – अपना काम निकालना या अपना मकसद पूरा करना।
  25. उधेड़बुन में पड़ना – सोच-विचार में पड़ना या उलझन में फंसना।
  26. उल्टी गंगा बहाना – असंभव काम करना या बहुत कठिन कार्य करना।
  27. उल्टे अस्तुरे से मूढ़ना – चतुराई से धोखा देना या ठगना।
  28. उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना – थोड़ा सा लाभ मिलने पर पूरा का लालच करना।
  29. उँगली पर नचाना – पूरी तरह वश में करना या अपनी इच्छा से चलाना।
  30. न उधी का लेना न माधो का देना – किसी से कोई लेना-देना नहीं रखना।
  31. एँड़ी चोटी का पसीना एक करना – बहुत मेहनत करना।
  32. एक आँख न भाना – बिल्कुल पसंद न आना।
  33. एक एक ग्यारह होना – एकजुट होकर शक्तिशाली बनना।
  34. एक टाँग (पैर) पर खड़ा रहना – किसी काम के लिए तत्पर रहना।
  35. एक लाठी से हाँकना – सभी के साथ एक समान व्यवहार करना।
  36. एक हाथ से ताली न बजना – सहयोग के बिना काम नहीं होना।
  37. ऐसी तैसी करना – अपमान करना या बदतमीजी से पेश आना।
  38. ओखल में सिर देना – जानबूझकर मुसीबत में पड़ना।
  39. औधी खोपड़ी का होना – बहुत मूर्ख होना।
  40. औधे मुँह गिरना – बुरी तरह धोखा खाना।
  41. कटक बनना – बाधा डालना या रुकावट बनना।
  42. ककड़ी खीरा समझना – महत्वहीन समझना या तुच्छ आंकना।
  43. कटे (जले) पर नमक छिड़कना – दुख बढ़ाना या परेशानी में परेशानी डालना।
  44. कफन सिर से बाँधना – मौत को नजरअंदाज करना या जान की परवाह न करना।
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  45. कमर कसना – तैयार होना या प्रयास करने के लिए तत्पर रहना।
  46. कमर टूटना – उत्साह खो देना या असहाय हो जाना।
  47. कलेजा का टुकड़ा – बहुत प्यारा और लाडला व्यक्ति।
  48. कलेजा चीरकर दिखाना – पूरा विश्वास दिलाना या पारदर्शिता बरतना।
  49. कलेजा टूक टूक होना – बहुत दु:खी होना।
  50. कलेजा ठंढा होना – संतुष्ट होना।
  51. कलेजा थामकर रहना – विषय न बढ़ाना और शांत रहना।
  52. कलेजा निकालकर रख देना – सच बोल देना या सच कह देना।
  53. कलेजा मुँह को आना – डरना या घबराह
  1. कलेजे पर साँप लोटना – ईर्ष्या या जलन होना।
  2. काठ की हाँड़ी – अस्थायी या नाशवान चीज।
  3. कान ऐंठना – सुधरने की प्रतिज्ञा करना या वादा करना।
  4. कान काटना – किसी से बेहतर होना या उसे मात देना।
  5. कान पर जूँ न रेंगना – बिल्कुल भी ध्यान न देना।
  6. कान भरना – किसी के विरुद्ध शिकायत करना या बदनामी करना।
  7. कान में तेल डालकर बैठना – बिल्कुल भी परवाह न करना।
  8. काम आना – वीरगति को प्राप्त होना या मर जाना।
  9. काम तमाम करना – किसी को मार डालना।
  10. कीचड़ उछालना – निंदा करना या बदनाम करना।
  11. कील काँटे से दुरुस्त होना – पूरी तरह तैयार होना।
  12. कुएँ में भाँग पड़ना – किसी स्थिति में सभी की समझ बिगड़ जाना।
  13. कुत्ते की मौत मरना – बुरी तरह मरना या दुर्व्यवहार सहना।
  14. कुम्हड़े की बतिया – कमजोर और निर्बल व्यक्ति।
  15. कुहराम मचाना – बहुत अधिक रोना और शोर मचाना।
  16. कौड़ी का तीन होना – बहुत सस्ता या बेकदर हो जाना।
  17. खबर लेना – सजा देना या दंडित करना।
  18. खाक उड़ाते फिरना – निर्धन होकर भटकना।
  19. खाक में मिलना – पूरी तरह नष्ट या बर्बाद हो जाना।
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  20. खिलखिला पड़ना – खुशी से हँसने लगना।
  21. खुशामदी टट्टू होना – अत्यधिक चापलूसी करना।
  22. खून की नदी बहाना – बहुत बड़े पैमाने पर मार-काट करना।
  23. खून खौलना – बहुत अधिक क्रोध होना या गुस्से से भर जाना।
  24. खेत आना – युद्ध में मारा जाना या वीरगति को प्राप्त होना।
  25. ख्याली पुलाव पकाना – असंभव बातें सोचना या बेसिर-पैर की बातें करना।
  26. गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी घटनाओं या बातों को फिर से उठाना।
  27. गड्ढे खोदना – दूसरे के नुकसान के लिए षड्यंत्र रचना या जाल बिछाना।
  28. गहरी छनना – गाढ़ मित्रता होना या घनिष्ठ संबंध बनना।
  29. गाँठ बाँधना – किसी बात को अच्छी तरह याद रखना या ध्यान रखना।
  30. गिरगिट की तरह रंग बदलना – बार-बार विचार या स्वभाव बदलना।
  31. गुड़ गोबर करना – किसी सुव्यवस्थित चीज को बिगाड़ देना।
  32. गुल खिलाना – असाधारण या अनोखा काम करना।
  33. गाजर मूली समझना – किसी को कमजोर या महत्वहीन समझना।
  34. गोटी लाल होना – लाभ होना या अनुकूल स्थिति बनना।
  35. गोली मारना – किसी चीज को त्यागना या छोड़ देना।
  36. गोलमाल करना – गड़बड़ करना या अव्यवस्था फैलाना।
  37. घड़ों पानी पड़ जाना – बहुत अधिक शर्मिंदा होना।
  38. घर का न घाट का – बिलकुल बेकार या अनुपयोगी होना।
  39. घाट घाट का पानी पीना – बहुत अनुभवी होना या संघर्षों से गुजरना।
  40. घुटना टेक देना – आज्ञा मानना या हार स्वीकार करना।
  41. घुला घुला कर मारना – बहुत परेशान करके मारना।
  42. घोड़ा बेचकर सोना – पूरी निश्चिंतता से सोना।
    1. चंगुल में आना (पड़ना) – काबू में आना
    2. चडाल चौकड़ी – दुष्टों का दल, मनचलों का जमघट
    3. चक्कर में डालना – परेशान करना
    4. चक्कर में आना – धोखा खाना
    5. चकमा देना – ठगना
    6. चल निकलना – प्रसिद्ध होना, जम जाना
    7. चाँदी काटना – खूब कमाना, मौज करना
    8. चाँदी का जूता मारना – घूस देना
    9. छाती पर मूंग दलना – किसी के सामने ही ऐसी बात कहना, जिससे उसका जी दुखें
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    10. छाती पर साँप लोटना – ईष्या या जलन होना
    11. छान बीन करना – पूछताछ या जाँच करना
    12. छीछालेदर करना – हँसी उड़ाना, दुर्गति करना
    13. छू मंतर होना – भाग जाना
    14. जंजाल में फसना – झंझट में पड़ना
    15. जख्म (जले) पर नमक छिड़कना – दु:ख पर दु:ख देना
    16. जड़ उखाड़ना – समूल नाश करना
    17. जबानी जमा खर्च करना – केवल बात करना, कुछ काम न करना
    18. जमीन आसमान एक करना – बहुत बड़े बड़े उपाय करना
    19. जमीन पर नाक रगड़ना – पछताना, माफी माँगना
    20. जमीन पर पैर न रखना – बहुत घमंड करना
    21. जलती आग में घी डालना – लड़ाई बढ़ाना
    22. जली कटी सुनाना – डॉट फटकार करना
    23. जहर का घूंट पीना – क्रोध को दबा लेना
    24. जी की जी में रहना – इच्छा अधूरी रहना
    25. जी नहीं भरना – संतोष नहीं होना
    26. जी भर आना – दया होना
    27. जीती मक्खी निगलना – सरासर बेईमानी करना
    28. जीवन दान बनना – जीवन की रक्षा करना
    29. जूतियाँ सीधी करना – बहुत खुशामद करना
    30. जोर लगाना – बल प्रयोग करना
    31. झक मारना – विवश होना, व्यर्थ समय बिताना
    32. झाँसा देना – धोखा देना
    33. झाड़ फेरना – मान नष्ट करना
    34. झाड़ मारना – तिरस्कार करना, दूर हटाना
    35. झूठ का पुल बाँधना – बहुत झूठ बोलना
    36. टक्कर लेना – मुकाबला करना
    37. टका सा जवाब देना – इनकार कर देना
    38. टका सा मुँह लेकर रह जाना – शर्मिंदा होना
    39. टट्टी की ओट में शिकार खेलना – छिपकर गलत काम करना
    40. टस से मस न होना – थोड़ा सा भी न हिलना
    41. टाएँ टाएँ फिस होना – असफल हो जाना
    42. टाल मटोल करना – बहाने करना
    43. टूट पड़ना – वेग से धावा बोलना
    44. टाँग अड़ाना – दखल देना, अडचन डालना
    45. टेढ़ी उँगली से घी निकालना – आसानी से काम न होना
    46. टेढ़ी खीर होना – मुश्किल काम
    47. ठंढा करना – शांत करना
    48. ठंढा होना – शांत होना, मर जाना
    49. ठकुर सुहाती करना – मुँहदेखी करना, चापलूसी करना
    50. ठनठन गोपाल होना – निर्धन होना
    51. ठोकर खाना – नुकसान सहना, मारा मारा फिरना
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    52. डंक मारना – कटु वचन कहना
    53. डंके की चोट पर कहना – खुल्लम खुल्ला कहना
    54. डूबते को तिनके का सहारा होना – असहाय का कुछ भी सहारा होना
    55. डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाना – अपनी तुच्छ राय अलग रखना
    56. ढाई दिन की बादशाहत – क्षणिक सुख
    57. ढाक के तीन पात – सदा एक सा रहना
    58. ढिंढोरा पीटना – सबको सुनाना
    59. ढेर करना – मार डालना
    60. तकदीर चमकना – भले दिन आना
    61. तख्ता उलटना – बना बनाया काम बिगाड़ना
    62. तबीयत फड़क उठना – चित्त प्रसन्न हो जाना
    63. तलवार के घाट उतारना – हत्या कर देना
    64. तलवे धो धोकर पीना – बहुत अधिक खुशामद करना
    65. ताक में रहना – मौका देखते रहना
    66. ताना मारना – व्यंग्य करना
    67. तारे गिनना – चिंता में रात काटना
    68. तारे तोड़ लाना – असंभव काम करना
    69. तिनके का सहारा – थोड़ा सा सहारा
    70. तिल का ताड़ कर देना – बहुत बढ़ा चढ़ाकर कहना
    71. त्राहि त्राहि करना – रक्षा के लिए गुहार करना
    72. थुड़ी थुड़ी करना – धिक्कारना
    73. थू थू करना – धिक्कारना
    74. थूककर चाटना – वादा से मुकर जाना
    75. थूक से सत्तू सानना – बहुत कंजूसी करना
    76. थोथी बात होना – सारहीन बात होना
    1. दबी जबान से कहना – धीरे धीरे कहना
    2. दम भरना – भरोसा करना, हर समय किसी की तारीफ करना
    3. दर दर मारा फिरना – दुर्दशाग्रस्त होकर घूमना
    4. दलदल में फसना – मुश्किल में पड़ना
    5. दाँतों उँगली दबाना (दाँत तले उँगली दबाना) – आश्चर्य करना, अफसोस करना
    6. दाल न गलना – उलझन भरे काम न होना
    7. दाँत खट्टे करना – बहुत कष्ट उठाना, बहुत परिश्रम करना
    8. दाँत पीसना – क्रोधित होना
    9. दाँत लेना – लज्जित होना, शर्मिंदा होना
    10. दिल टूटना – निराश होना, हताश होना
    11. दिल जलना – इर्ष्या होना, जलन होना
    12. दिल की गाँठ खोलना – मन की बात कहना
    13. दिल बहलाना – मनोरंजन करना, मन को प्रसन्न करना
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    14. दिन कटने लगना – समय बिताने लगना
    15. दिनों-रात एक करना – अथक परिश्रम करना
      1. दाँतकटी रोटी होना – गहरी दोस्ती होना
      2. दाँत तोड़ना – परास्त करना
      3. दाँतों में तिनका लेना – अधीनता स्वीकार करना
      4. दाई से पेट छिपाना – ऐंसी जगह भेद छिपाना जहाँ ऐसा करना संभव नहीं हो
      5. दाना पानी उठना – अन्न जल न मिलना
      6. दाने दाने को मुँहताज – भोजन न पाना, अत्यंत दरिद्र
      7. दाल गलना – मतलब निकलना
      8. दाल भात का कौर समझना – बहुत आसान समझना
      9. दाल में काला होना – संदेह की बात होना
      10. दिन दूना रात चौगुना होना (या बढ़ना) – खूब तरक्की करना
      11. दिल के फफोले फोड़ना – मन की भडास निकालना
      12. दिल्ली दूर होना – लक्ष्य दूर होना
      13. दीन दुनिया भूल जाना – सुध बुध भूल जाना
      14. दीया लेकर ढूँढना – हैरान होकर ढूँढना
      15. दुनिया की हवा लगना – सांसारिक अनुभव होना
      1. दुम दबाकर भागना – कायरतापूर्वक भागना
      2. दूज (ईद) का चाँद होना – मुश्किल से दिखाई देना
      3. दूध का दूध पानी का पानी करना – पक्षपातरहित न्याय करना
      4. दूध की लाज रखना – माँ की प्रतिष्ठा रखना
      5. दूध की नदियाँ बहाना – संपन्नता की भरमार होना
      6. दूध के दाँत न टूटना – अनुभवहीन होना
      7. दूधो नहाओ, पूतों फलो – धन और संतान की वृद्धि होना
      8. दो दिन का मेहमान – शीघ्र ही मरनेवाला, या कहीं बाहर जानेवाला
      9. दो नावों पर पैर रखना – दो विरोधी काम एकसाथ करना
      10. द्रविड़ प्राणायाम करना – सीधी बात को घुमा फिराकर कहना
      11. धक्का लगना – नुकसान होना, दु:ख होना
      12. धज्जियाँ उड़ाना – दुर्गति करना, दोष दिखाना
      13. धता बताना – टाल देना
      14. धरना देना – सत्याग्रह करना
      15. धुएँ के बादल उड़ाना – भारी गप हाँकना
      16. धुन सवार होना – किसी काम को पूरा करने की लगन होना
      17. धूप में बाल सफेद करना – अनुभवहीन होना
      18. धूल फाँकना – मारा मारा फिरना
      19. धूल में मिलना – बर्बाद हो जाना
      20. धोती ढीली होना – डर जाना
      21. धोबी का कुत्ता – बेकार आदमी
      22. नजर पर चढ़ना – पसंद आ जाना
      23. नमक मिर्च लगाना – किसी बात को खूब बढ़ा चढ़ाकर कहना
      24. नाक कट जाना – प्रतिष्ठा नष्ट होना
      25. नाक का बाल होना – बहुत प्रिय होना
      26. नाकों चने चबवा देना – खूब परेशान करना
      27. नाक भौं चढ़ाना – नाराज होना, घृणा प्रकट करना
      28. नाक में दम करना – खूब तंग करना
      29. नाक रगड़ना – गिड़गिड़ाना, विनती करना
      30. नानी याद आना – होश उड़ जाना, हौसला पस्त होना
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      31. नीचा दिखाना – अपमानित करना
      32. नीला पीला होना – क्रोध करना
      33. नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना
      34. पंचतत्व को प्राप्त करना – मृत्यु होना
      35. पगड़ी उछालना – बेइज्जत करना, हँसी उड़ाना
      36. पगड़ी रखना – मर्यादा की रक्षा करना
      37. पत्थर की लकीर – अमिट, स्थायी
      38. पत्थर पर दूब जमना – अनहोनी बात या असंभव काम होना
      39. पत्थर से सिर फोड़ना – असंभव बात के लिए कोशिश करना
      40. पहाड़ से टक्कर लेना – जबर्दस्त से मुकाबला करना
      41. पाँव उखड़ जाना – हार जाना
      42. पाँव फूंक फूंक कर रखना – सोच समझकर काम करना
      43. पजामे से बाहर होना – कुद्ध होना, जोश में आना
      44. पानी की तरह पैसा बहाना – अंधाधुंध खर्च करना
      45. पानी पानी होना – लज्जित होना
      46. पानी में आग लगाना – असंभव को संभव करना
      47. पिल पड़ना – जी जान से लग जाना
      48. पीठ ठोंकना – शाबाशी देना, बढ़ावा देना
      49. पीठ दिखाना – लड़ाई में भाग जाना
      50. पेट में चूहे दौड़ना – जोरों की भूख लगना
      51. पौ बारह होना – लाभ का अवसर मिलना
      52. प्राण मुँह को आना – अत्यधिक कष्ट होना
      53. प्राणों से हाथ धोना – मर जाना
      54. प्राण हथेली में लेना – मरने के लिए तैयार रहना
      55. प्राणों की बाजी लगाना – अत्यधिक साहस करना
      56. पोल खोलना – रहस्य प्रकट करना
      57. फंदे में पड़ना – धोखे में पड़ना
      58. फटेहाल होना – बुरी हालत में होना
      59. फूंक से पहाड़ उड़ाना – थोडी शक्ति से बड़ा काम करना
      60. फूटी आँखों न भाना – अप्रिय लगना
      61. फूलकर कुप्पा होना – खुशी से इतराना
      62. फेर में डालना – कठिनाई में डालना
      63. बगलें झाँकना – लज्जित होकर इधर उधर देखना
      64. बट्टा लगाना – कलंक लगाना
      65. बरस पड़ना – क्रोध में आकर खरी खोटी सुनाना
      66. बाग बाग होना – बहुत खुश होना
      67. बाजी ले जाना – आगे निकल जाना
      68. बात चलाना – शुरू करना
      69. बातों में आना – बात व्यवहार में धोखा खाना
      70. बाल बाँका न होना – कुछ भी हानि न पहुँचना
      71. बाल की खाल निकालना – निरर्थक बहस करना
      72. बासी कढ़ी में उबाल आना – बुढ़ापे में जवानी की उमंग उठना, समय बीत जाना
      1. बीड़ा उठाना – किसी काम को पूरा करने का संकल्प करना
      2. बुखार उतारना – क्रोध करना
      3. बेड़ा पार लगाना – कष्ट से उबारना
      4. बे सिर पैर की बात कहना – निरर्थक बात कहना
      5. बेवक्त की शहनाई बजाना – अवसर के विरुद्ध काम करना
      6. बोलती बंद करना – निरुत्तर करना, बोलने न देना
      7. बौछार करना – अधिक मात्रा में उपस्थित करना
      8. भंडा फूटना – भेद खुलना
      9. भानुमती का पिटारा – वह पात्र, जिसमें तरह-तरह की चीजें मौजूद रहती हैं
      10. भार उठाना – उत्तरदायित्व लेना
      11. भार उतारना – ऋण से मुक्त होना
      12. भूत सवार होना – सनक सवार होना
      13. भौंह चढ़ाना – क्रोध करना
      14. मुहावरा – घुटने टेकना अर्थ – विनम्र होना, आज्ञा स्वीकार करना
      15. मुहावरा – घूंघट उठाना
        अर्थ – भेद खोलना, रहस्य उजागर करना
      16. मुहावरा – चरण स्पर्श करना अर्थ – विनम्रतापूर्वक प्रणाम करना
      17. मुहावरा – चरण धूल लेना अर्थ – किसी के आगे नतमस्तक होना
      18. मुहावरा – चार चाँद लगाना अर्थ – बहुत खुश होना, फूला न समाना
      19. मुहावरा – चार खाने चिट्ठे होना अर्थ – पूरी तरह नष्ट हो जाना
      20. मुहावरा – चारों खाने चित्त होना
        अर्थ – पूरी तरह बर्बाद हो जाना
      21. मुहावरा – चारों खुने चित्त करना अर्थ – पूरी तरह नष्ट कर देना
      22. मुहावरा – चिकनी चुपड़ी बात करना अर्थ – मीठी-मीठी बातें करना
      23. मुहावरा – चिड़चिड़ाना अर्थ – बुरा-भला कहना
      24. मुहावरा – चिड़चिड़ापन दिखाना अर्थ – बुरा व्यवहार करना
      25. मुहावरा – चीत्कार मचाना अर्थ – खूब शोर मचाना
      26. मुहावरा – चुक्की भरना अर्थ – शराब पीना
      27. मुहावरा – चुगल खाना अर्थ – गप्पें हाँकना
      28. मुहावरा – चुनरी बिछाना अर्थ – अपमान करना
      29. मुहावरा – चौखट पर आना अर्थ – गरीब हो जाना
      30. मुहावरा – चौपट होना अर्थ – बेचैन होना
      31. मुहावरा – छाती गरम करना अर्थ – शान से जीना
      32. मुहावरा – छाती चौड़ी करना अर्थ – घमंड करना
      33. मुहावरा – छाती पर पत्थर पड़ना अर्थ – काफी दुखी होना

      मुहावरे और उनके वाक्य प्रयोग

       अ से शुरू होने वाले 36 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग 

      1) अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि भष्ट होना
      वाक्य – विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने माता सीता का अपहरण किया।

      2) अंक भरना – स्नेह से लिपटा लेना
      वाक्य – माँ ने बेटी को देखते ही अंक भर लिया।

      3) अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना – स्वयं अपनी प्रशंसा करना
      वाक्य – अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता।

      4) अक्ल का चरने जाना – समझ का अभाव होना
      वाक्य – कभी-कभी राम को बात समझ नहीं आती, ऐसा लगता है उसकी अक्ल चरने गई हो।

      5) अपने पैरों पर खड़ा होना – स्वालंबी होना
      वाक्य – युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।

      6) अक्ल का दुश्मन – मूर्ख
      वाक्य – राहुल अपने पिता की बात का सही से जवाब नहीं देता है, लगता है आजकल राहुल अक्ल के दुश्मन हो गया है।

      7) अपना उल्लू सीधा करना – मतलब निकालना
      वाक्य – आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है।

      8) अंगारों पर लेटना – डाह होना, दुःख सहना
      वाक्य – वह उसकी तरक्की देखते ही अंगारों पर लोटने लगा।

      9) अँचरा पसारना – माँगना, याचना करना
      वाक्य – हे भगवान्, अपने बीमार बेटे के लिए आपके आगे अँचरा पसारती हूँ। उसे भला-चंगा कर दो।

      10) अन्धा बनना – आगे-पीछे कुछ न देखना
      वाक्य – धर्म से प्रेम करो, पर उसके पीछे अन्धा बनने से तो दुनिया नहीं चलती।

      11) अन्धा होना – विवेक भ्रष्ट होना
      वाक्य – आज कल पैसा ही सब कुछ है क्योंकि पैसा के मोह में सब अंधे हो जाते हैं।

      12) अन्धेरखाता – अन्याय
      वाक्य – मुँहमाँगा दो, फिर भी चीज खराब। यह कैसा अन्धेरखाता है।

      13) अढाई दिन की हुकूमत – कुछ दिनों की शानो-शौकत
      वाक्य – जनाब, जरा होशियारी से काम लें। यह अढाई दिन की हुकूमत जाती रहेगी।

      14) अपना-सा मुँह लेकर रह जाना – शर्मिन्दा होना
      वाक्य – बड़े भाई ने छोटे भाई को ऐसी चुभती बात कही कि वह अपना-सा मुँह लिए रह गया।

      15) अपनी खिचड़ी अलग पकाना – स्वार्थी होना, अलग रहना
      वाक्य – यदि सभी अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगें, तो देश और समाज की उन्नति होने से रही।

      16) अब-तब करना – बहाना करना
      वाक्य – कोई भी चीज माँगो, वह अब-तब करना शुरू कर देगा।

      17) अंग-अंग ढीला होना – अत्यधिक थक जाना
      वाक्य – विवाह के अवसर पर दिन भर मेहमानों के स्वागत में लगे रहने से मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा हैं।

      18) अंगारे उगलना – कठोर और कड़वी बातें कहना
      वाक्य – मित्र! अवश्य कोई बात होगी, बिना बात कोई क्यों अंगारे उगलेगा।

      19) अंगारों पर लोटना – ईर्ष्या से व्याकुल होना
      वाक्य – मेरे सुख को देखकर रामू अंगारों पर लोटता हैं।

      20) अँगुली उठाना – किसी के चरित्र या ईमानदारी पर संदेह व्यक्त करना
      वाक्य – हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे कोई हम पर अँगुली उठाए।

      21) अँगूठा छाप – अनपढ़
      वाक्य – रामेश्वर अँगूठा छाप हैं, परंतु अब वह पढ़ना चाहता हैं।

      22) अंजर-पंजर ढीला होना – शरीर शिथिल होना या बहुत थक जाना
      वाक्य – दिन-भर भागते-भागते आज तो मेरा अंजर-पंजर ढीला हो गया।

      23) अंतिम घड़ी आना – मौत निकट आना
      वाक्य – शायद रामू की दादी की अंतिम घड़ी आ गई हैं। वह पंद्रह दिन से बिस्तर पर पड़ी हैं।

      24) अंधे के हाथ बटेर लगना – अनाड़ी आदमी को सफलता प्राप्त होना
      वाक्य – रामू मात्र आठवीं पास हैं, फिर भी उसकी सरकारी नौकरी लग गई। इसी को कहते हैं- अंधे के हाथ बटेर लगना।

      25) अक्ल के पीछे लट्ठ लेकर फिरना – हर वक्त मूर्खता का काम करना
      वाक्य – रमेश तो हर वक्त अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता हैं- चीनी लेने भेजा था, नमक लेकर आ गया।

      26) अक्ल घास चरने जाना – वक्त पर बुद्धि का काम न करना
      वाक्य – लगता हैं, तुम्हारी अक्ल घास चरने गई है, तभी तो तुमने सरकारी नौकरी छोड़ दी।

      27) अगर-मगर करना – तर्क करना या टालमटोल करना
      वाक्य – ज्यादा अगर-मगर करने वाले व्यक्ति को कोई पसंद नहीं करता।

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      28) अपना सिक्का जमाना – अपनी धाक या प्रभुत्व जमाना
      वाक्य – रामू ने कुछ ही दिनों में अपने मोहल्ले में अपना सिक्का जमा लिया हैं।

      29) अपना सिर ओखली में देना – जान-बूझकर संकट मोल लेना
      वाक्य – खटारा स्कूटर खरीदकर मोहन ने अपना सिर ओखली में दे दिया है।

      30) अक्ल दंग होना – चकित होना
      वाक्य – मोहन को पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता लेकिन परीक्षा परिणाम आने पर सब की अक्ल दंग रह गई।

      31) अन्त पाना – भेद पाना
      वाक्य – उसका अन्त पाना कठिन है।

      32) अक्ल के घोड़े दौड़ाना – कल्पनाएँ करना
      वाक्य – मोहन हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ाता रहता है।

      33) अलाद्दीन का चिराग – आश्चर्यजनक या अद्भुत वस्तु
      वाक्य – सुरेश कलम पाकर ऐसे चल पड़ा जैसे उसे अलाद्दीन का चिराग मिल गया हो।

      34) अपनी डफली आप बजाना – अपने मन की करना
      वाक्य – राधा दूसरे की बात नहीं सुनती, वह हमेशा अपनी डफली आप बजाती है।

      35) अपना-अपना राग अलापना – किसी की न सुनना
      वाक्य – सभी छात्र एक साथ प्रधानाचार्य के कमरे में घुस गए और लगे अपना-अपना राग अलापने। बेचारे प्रधानाचार्य सर पकड़कर बैठ गए।

      36) अपनी राम कहानी सुनाना – अपना हाल बताना
      वाक्य – सुरेश रमेश के पास अपनी मुसीबत बताने गया था और सुरेश अपनी ही राम कहानी सुनाने लग गया।

       आ से शुरू होने वाले 29 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग 

      1) आँख भर आना – आँसू आना
      वाक्य – बेटी की विदाई पर माँ की आखें भर आयी।

      2) आँखों में बसना – हृदय में समाना
      वाक्य – श्री कृष्ण का रूप सभी की आँखों में बसा हुआ है।

      3) आँखे खुलना – सचेत होना
      वाक्य – ठोकर खाने के बाद ही बहुत से लोगों की आँखे खुलती है।

      4) आसमान से बातें करना – बहुत ऊँचा होना
      वाक्य – आजकल ऐसी-ऐसी इमारते बनने लगी है, जो आसमान से बातें करती है।

      5) आँच न आने देना – जरा भी कष्ट या दोष न आने देना
      वाक्य – पिता अपनी संतान को आंच भी नहीं आने देता।

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      6) आठ-आठ आँसू रोना – बुरी तरह पछताना
      वाक्य – समय को खेल-कूद में गवा कर राम अब आठ-आठ आँसू रो रहा है।

      7) आस्तीन का साँप – कपटी मित्र
      वाक्य – उससे सावधान रहो। वह आस्तीन का साँप है।

      8) आकाश छूना – बहुत तरक्की करना
      वाक्य – राखी एक दिन अवश्य आकाश चूमेगी।

      9) आकाश-पाताल एक करना – अत्यधिक परिश्रम करना
      वाक्य – सूरज ने इंजीनियर पास करने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया।

      10) आँचल पसारना – प्रार्थना करना या किसी से कुछ माँगना
      वाक्य – मैं ईश्वर से आँचल पसारकर यही माँगता हूँ कि मैं कक्षा में उत्तीर्ण हो जाओ।

      11) आँतें कुलबुलाना – बहुत भूख लगना
      वाक्य – मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया, मेरी आँतें कुलबुला रही हैं।

      12) आँतों में बल पड़ना – पेट में दर्द होना
      वाक्य – रात की पूड़ियाँ खाकर मेरी आँतों में बल पड़ गए।

      13) आँसू पीना या पीकर रहना – दुःख या कष्ट में भी शांत रहना
      वाक्य – जब राकेश कक्षा में फेल हो गया तो वह आँसू पीकर रह गया।

      14) आग पर लोटना – ईर्ष्या से जलना
      वाक्य – मेरी कार खरीदने की बात सुनकर रामू आग पर लोटने लगा।

      15) आग में घी डालना – क्रोध को और भड़काना
      वाक्य – आपसी लड़ाई में अनुपम के आँसुओं ने आग में घी डाल दिया।

      16) आग लगाकर तमाशा देखना – दूसरों में झगड़ा कराके अलग हो जाना
      वाक्य – वह तो आग लगाकर तमाशा देखने वाला हैं, वह तुम्हारी क्या मदद करेगा।

      17) आटे-दाल का भाव मालूम होना – दुनियादारी का ज्ञान होना या कटु परिस्थिति का अनुभव होना
      वाक्य – जब पिता की मृत्यु हो गई तो राकेश को आटे-दाल का भाव मालूम हो गया।

      18) आग से खेलना – खतरनाक काम करना
      वाक्य – मजदूर अपने घर का खर्चा चलाने के लिए रोज आग से खेलते हैं।

      19) आगा-पीछा न सोचना – कार्य करते समय हानि-लाभ के बारे में न सोचना
      वाक्य – कुनाल कुछ भी करने से पहले आगा-पीछा नहीं सोचता।

      20) आज-कल करना – टालमटोल करना
      वाक्य – राजू कह रहा था-उसके दफ्तर में कोई काम नहीं करता, सब आज-कल करते हैं।

      21) आटे के साथ घुन पिसना – अपराधी के साथ निर्दोष को भी सजा मिलना
      वाक्य – राघव तो जुआरियों के पास केवल खड़ा हुआ था, पुलिस उसे भी पकड़कर ले गई। इसे ही कहते हैं- आटे के साथ घुन पिसना।

      22) आड़े हाथों लेना – झिड़कना, बुरा-भला कहना
      वाक्य – रमेश ने जब होमवर्क (गृह-कार्य) नहीं किया, तो अध्यापक ने कक्षा में उसे आड़े हाथों लिया।

      23) आधा तीतर, आधा बटेर – बेमेल वस्तुएँ
      वाक्य – राजू तो आधा तीतर, आधा बटेर हैं-हिंदुस्तानी धोती-कुर्ते के साथ सिर पर अंग्रेजी टोप पहनता हैं।

      24) आसमान सिर पर उठाना – अत्यधिक उधम मचाना
      वाक्य – अध्यापक के कक्षा में ना रहने पर बच्चे आसमान सिर पर उठा लेते हैं।

      25) आसमान सिर पर टूटना – बहुत मुसीबत आना
      वाक्य – पिता के देहान्त पर राजू के सिर पर आसमान टूट पड़ा।

      26) आसमान से गिरे, खजूर में अटके – एक परेशानी से निकलकर दूसरी परेशानी में आना
      वाक्य – अध्यापक की मदद से राजू गणित में तो पास हो गया, परंतु विज्ञान में उसकी कम्पार्टमेंट आ गई। इसी को कहते हैं- आसमान से गिरे, खजूर में अटके।

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      27) आस्तीन चढ़ाना – लड़ने को तैयार होना
      वाक्य – मुन्ना हर वक्त आस्तीन चढ़ाकर रखता हैं।

      28) आफत मोल लेना – व्यर्थ का झगड़ा मोल लेना
      वाक्य – राजू ने पहलवान से झगड़ा कर के आफत मोल ले ली।

      29) आव देखा न ताव – बिना सोच-विचार के काम करना
      वाक्य – दोनों भाइयों में झगड़ा हो गया। गुस्से में आकर छोटे भाई ने आव देखा न ताव, डंडे से बड़े भाई का सर फोड़ दिया।

       इ, ई से शुरू होने वाले 10 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग 

      1) इंद्र की परी – बहुत सुन्दर स्त्री
      वाक्य – राधा तो इंद्र की परी हैं, वह तो विश्व सुन्दरी बनेगी।

      2) इज्जत मिट्टी में मिलाना – प्रतिष्ठा या सम्मान नष्ट करना
      वाक्य – रामू की शराब की आदत ने उसके परिवार की इज्जत मिट्टी में मिला दी हैं।

      3) इधर-उधर की लगाना या इधर की उधर लगाना – चुगली करना
      वाक्य – बड़े-बुजुर्ग हमेशा कहते हैं कि इधर की उधर लगाना बहुत बुरी बात है।

      4) इधर-उधर की हाँकना – बेकार की बातें करना या गप मारना
      वाक्य – महेश हमेशा इधर-उधर की हाँकता रहता हैं, कभी बैठकर पढ़ता नहीं।

      5) इस कान सुनना, उस कान निकालना – ध्यान न देना
      वाक्य – जो बात आपको दुःख दे उस बात को इस कान सुनना, उस कान निकाल देना चाहिए।

      6) इंतकाल होना – मर जाना
      वाक्य – पिता के इंतकाल के बाद सारे घर की जिम्मेदारी अब फारुख के कंधों पर ही है।
      7) ईंट से ईंट बजाना – युद्धात्मक विनाश लाना
      वाक्य – शुरू में तो हिटलर ने यूरोप में ईंट से ईंट बजा छोड़ी, मगर बाद में खुद उसकी ईंटे बजनी लगी।

      8) ईंट का जबाब पत्थर से देना – जबरदस्त बदला लेना
      वाक्य – भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा।

      9) ईद का चाँद होना – बहुत दिनों बाद दिखाई देना
      वाक्य – तुम तो कभी दिखाई ही नहीं देते, तुम्हें देखने को तरस गया, ऐसा लगता है कि तुम ईद के चाँद हो गए हो।

      10) ईमान बेचना – बेईमानी करना
      वाक्य – ईमान बेचने वाले कभी संतुष्ट नहीं हो सकते।

      उ, ऊ से शुरू होने वाले 18 मुहावरे और उनके अर्थ  

      1) उड़ती चिड़िया को पहचानना – मन की या रहस्य की बात तुरंत जानना
      वाक्य – कोई मोहन को धोखा नहीं दे सकता। वह उड़ती चिड़िया पहचान लेता है।

      2) उन्नीस बीस का अंतर होना – थोड़ा-सा अन्तर
      वाक्य – रामू और मोहन की सूरत में बस उन्नीस-बीस का अन्तर हैं।

      3) उलटी गंगा बहाना – अनहोनी या लीक से हटकर बात करना
      वाक्य – अमित हमेशा उल्टी गंगा बहाता हैं – कह रहा था कि वह हाथों के बल चलकर स्कूल जाएगा।

      4) उँगली पकड़कर पौंहचा पकड़ना – थोड़ा-सा सहारा या मदद पाकर ज्यादा की कोशिश करना
      वाक्य – उस भिखारी को मैंने दस रुपए दे दिए तो वह बीस रुपए और माँगने लगा। तब मैंने उससे कहा – अरे भाई, तुम तो उँगली पकड़कर पौंहचा पकड़ रहे हो।

      5) उड़ती खबर – अफवाह
      वाक्य – उड़ती खबरों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

      6) उड़न-छू हो जाना – गायब हो जाना
      वाक्य – जो भी हाथ लगा, चोर वही लेकर उड़न-छू हो गया।

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      7) उधेड़बुन में पड़ना या रहना – फिक्र या चिन्ता करना
      वाक्य – माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य के लिए हमेशा उधेड़बुन में पड़े रहते हैं।

      8) उलटी-सीधी सुनाना – डाँटना-फटकारना
      वाक्य – जब माला ने दादी का कहना नहीं माना तो वे उसे उल्टी-सीधी सुनाने लगीं।

      9) उलटे पाँव लौटना – बिना रुके, तुरंत वापस लौट जाना
      वाक्य – मनीषा के घर पर ताला लगा था इसलिए मैं उलटे पाँव लौट आई।

      10) उल्लू बनाना – बेवकूफ बनाना
      वाक्य – कल एक साधु, ममता को उल्लू बनाकर उससे रुपए ले गया।

      11) उँगलियों पर नचाना – वश में करना
      वाक्य – इब्राहीम की पत्नी तो उसे अपनी उँगलियों पर नचाती है।

      12) उगल देना – भेद प्रकट कर देना
      वाक्य – जब पुलिस के डंडे पड़े तो उस चोर ने सब कुछ सच-सच उगल दिया।

      13) उलटे मुँह गिरना – दूसरे को नीचा दिखाने के प्रयास में स्वयं नीचा देखना
      वाक्य – दूसरों को धोखा मत दो। किसी दिन सेर को सवा सेर मिल गया तो उलटे मुँह गिरोगे।

      14) ऊँच-नीच समझाना – भलाई-बुराई के बारे में बताना
      वाक्य – माँ ने पुत्री ममता को ऊँच-नीच समझाकर ही पिकनिक पर जाने दिया।

      15) ऊँच-नीच समझना – भलाई-बुराई की समझ होना
      वाक्य – दूसरों को राय देने से पहले तुम्हें ऊँच-नीच समझ लेनी चाहिए।

      16) ऊँट के मुँह में जीरा – अधिक आवश्यकता वाले के लिए थोड़ा सामान
      वाक्य – पेटू रामदीन के लिए दो रोटी तो ऊँट के मुँह में जीरा हैं।

      17) ऊपर की आमदनी – नियमित स्रोत से न होने वाली आय
      वाक्य – पुलिस की नौकरी में तनख्वाह भले ही कम हो पर ऊपर की आमदनी का तो कोई हिसाब ही नहीं हैं।

      18) ऊपरी मन से कहना/करना – दिखावे के लिए कहना/करना
      वाक्य – राधा हमेशा ऊपरी मन से खाना खाने के लिए पूछती थी और मैं हमेशा मना कर देता था।

      ए, ऐ से शुरू होने वाले 10 मुहावरे और उनके अर्थ  

      1) एक आँख से सबको देखना – सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना
      वाक्य – अध्यापक विद्यालय में सब बच्चों को एक आँख से देखते हैं।

      2) एक लाठी से सबको हाँकना – उचित-अनुचित का बिना विचार किये व्यवहार
      वाक्य – समानता का अर्थ एक लाठी से सबको हाँकना नहीं है, बल्कि सबको समान अवसर और जीवन-मूल्य देना है।

      3) एक और एक ग्यारह होना – आपस में संगठित होकर शक्तिशाली होना
      वाक्य – राजू और रामू पुनः मित्रता करके एक और एक ग्यारह हो गए हैं।

      4) एक तीर से दो शिकार करना – एक साधन से दो काम करना
      वाक्य – रवि एक तीर से दो शिकार करने में माहिर हैं।

      5) एक से इक्कीस होना – उन्नति करना
      वाक्य – सोहन की दुकान चल पड़ी हैं, अब तो शीघ्र ही एक से इक्कीस हो जाएगा।

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      6) एक ही थैली के चट्टे-बट्टे – एक जैसे स्वभाव के लोग
      वाक्य – उस कक्षा में तो सब बच्चे एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं- सबके सब उधम मचाने वाले।

      7) एक ही नाव में सवार होना – एक जैसी परिस्थिति में होना
      वाक्य – साल भर राम और श्याम मज़े करते रहे, अब परीक्षा के समय दोनों एक ही नाव में सवार हैं।

      8) ऐरा-गैरा नत्थू खैरा – मामूली व्यक्ति
      वाक्य – नेता लोग ऐरे-गैरे नत्थू खैरे से बात नहीं करते।

      9) ऐसा-वैसा – साधारण, तुच्छ
      वाक्य – राजू ऐसा-वैसा नहीं हैं, वह लखपति हैं और वकील भी हैं।

      10) ऐसी की तैसी करना/होना – अपमान करना/होना
      वह गया तो था मदन को धमकाने पर उलटे ऐसी की तैसी करा के लौट आया।

      ओ, औ से शुरू होने वाले मुहावरे और उनके अर्थ  

      1) ओखली में सिर देना – जान-बूझकर परेशानी में फँसना
      वाक्य – कल बदमाशों से उलझकर केशव ने ओखली में सिर दे दिया।

      2) ओर छोर न मिलना – रहस्य का पता न चलना
      वाक्य – रोहन विचित्र आदमी हैं, उसकी योजनाओं का कुछ ओर-छोर नहीं मिलता।

      3) ओस के मोती – क्षणभंगुर
      वाक्य – काँच की चीज़े बहुत संभल कर रखनी पड़ती है क्योंकि काँच की चीज़े ओस के मोती की तरह होती है।

      4) औंधी खोपड़ी – उलटी बुद्धि
      वाक्य – मुन्ना तो औंधी खोपड़ी का हैं, उससे क्या बात करना।

      क से शुरू होने वाले 38 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग

      1) कागजी घोड़े दौड़ाना – केवल लिखा-पढ़ी करना, पर कुछ काम की बात न होना
      वाक्य – आजकल सरकारी दफ्तर में सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ते है; होता कुछ नही।

      2) कमर कसना – तैयार होना
      वाक्य – शत्रुओं से लड़ने के लिए भारतीयों को कमर कसकर तैयार हो जाना चाहिए।

      3) कलेजा मुँह का आना – भयभीत होना
      वाक्य – गुंडों को देख कर सबका कलेजा मुँह में आ जाता है।

      4) कमर टूटना – बेसहारा होना
      वाक्य – जवान बेटे के मर जाने बाप की कमर ही टूट गयी।

      5) किताब का कीड़ा होना – पढाई के अलावा कुछ न करना
      वाक्य – विद्यार्थी को केवल किताब का कीड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि स्वस्थ शरीर और उन्नत मस्तिष्क वाला होनहार युवक होना है।

      6) कुआँ खोदना – हानि पहुँचाने के यत्न करना
      वाक्य – जो दूसरों के लिये कुआँ खोदता है उसमे वह खुद गिरता है।

      7) कुत्ते की मौत मरना – बुरी तरह मरना
      वाक्य – कंस की किस्मत ही ऐसी थी। कुत्ते की मौत मरा।

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      8) काँटा निकलना – बाधा दूर होना
      वाक्य – उस बेईमान से पल्ला छूटा। चलो, काँटा निकला।

      9) किस खेत की मूली – अधिकारहीन, शक्तिहीन
      वाक्य – मेरे सामने तो बड़ों-बड़ों को झुकना पड़ा है। तुम किस खेत की मूली हो?

      10) कंठ का हार होना – बहुत प्रिय होना
      वाक्य – राजू अपनी दादी का कंठ का हार हैं, वह उसका बहुत ख्याल रखती हैं।

      11) कंपकंपी छूटना – डर से शरीर काँपना
      वाक्य – ताज होटल में आतंकवादियों को देखकर मेरी कंपकंपी छूट गई।

      12) कटकर रह जाना – बहुत लज्जित होना
      वाक्य – जब मैंने राजू से सबके सामने उधार के पैसे माँगे तो वह कटकर रह गया।

      13) कड़वा घूँट पीना – चुपचाप अपमान सहना
      वाक्य – पड़ोसी की जली-कटी सुनकर रामलाल कड़वा घूँट पीकर रह गए।

      14) कदम पर कदम रखना – अनुकरण करना
      वाक्य – महापुरुषों के कदम पर कदम रखना अच्छी आदत हैं।

      15) कफ़न को कौड़ी न होना – बहुत गरीब होना
      वाक्य – राजू बातें तो राजाओं की-सी करता हैं, पर कफ़न को कौड़ी नहीं हैं।

      16) कफ़न सिर से बाँधना – लड़ने-मरने के लिए तैयार होना
      वाक्य – हमारे सैनिक सिर से कफ़न बाँधकर ही देश की रक्षा करते हैं।

      17) कमान से तीर निकलना या छूटना – मुँह से बात निकलना
      वाक्य – जो बात मुँह से निकल जाय वह कमान से तीर निकलने के समान होती है।

      18) कलेजा टुकड़े-टुकड़े होना – बहुत दुःखी होना
      वाक्य – उसकी कटु बातें सुनकर आज मेरा कलेजा टुकड़े-टुकड़े हो गया।

      19) कलेजा ठण्डा होना – सुख-संतोष मिलना
      वाक्य – जब रवि की नौकरी लग गई तब उसकी माँ का कलेजा ठण्ड हुआ।

      20) कलेजे पर छुरी चलना – बातें चुभना
      वाक्य – कुछ लोगों की बातों से कलेजे पर छुरियाँ चलती हैं।

      21) कसाई के खूँटे से बाँधना – निर्दयी या क्रूर मनुष्य के हाथों में देना
      वाक्य – उसने खुद अपनी बेटी को कसाई के खूँटे से बाँध दिया हैं।

      22) कहर टूटना – भारी विपत्ति या मुसीबत पड़ना
      वाक्य – बाढ़ से फसल नष्ट होने पर रामू पर कहर टूट पड़ा।

      23) कागज की नाव – न टिकने वाली वस्तु
      वाक्य – हमें अपने शरीर पर गर्व नहीं करना चाहिए, ये तो कागज की नाव हैं।

      24) काठ का उल्लू – महामूर्ख व्यक्ति
      वाक्य – रामू तो काठ का उल्लू हैं। उसकी समझ में कुछ नहीं आता।

      25) कान का कच्चा – बिना सोचे-समझे दूसरों की बातों में आना
      वाक्य – वह तो कान का कच्चा हैं, जो कहोगे वही मान लेगा।

      26) कान खाना – किसी बात को बार-बार कहना
      वाक्य – कान मत खाओ, अब चुप भी हो जाओ।

      27) कान या कानों पर जूँ न रेंगना – किसी की बात पर ध्यान न देना
      वाक्य – मैं चीख-चीख कर हार गया, पर मोहन के कान पर जूँ नहीं रेंगी।

      28) कानाफूसी करना – निन्दा करना
      वाक्य – अरे भाई! क्या कानाफूसी कर रहे हो? हमारे आते ही चुप हो गए।

      29) कानोंकान खबर न होना – चुपके-चुपके कार्य करना
      वाक्य – प्रधानाध्यापक ने सभी अध्यापकों से कहा कि परीक्षा-प्रश्न पत्र आ गए हैं, किसी को इसकी कानोंकान खबर न हो।

      30) किला फतह करना – बहुत कठिन कार्य करना
      वाक्य – रामू ने बारहवीं पास करके किला फतह कर लिया हैं।

      31) किसी के कंधे से बंदूक चलाना – किसी पर निर्भर होकर कार्य करना
      वाक्य – किसी के कंधे से बंदूक चलाना आत्मनिर्भरता की कमी है।

      32) किसी के आगे दुम हिलाना – खुशामद करना
      वाक्य – आज कल के सरकारी कर्मचारी बड़े लोगों के सामने दुम हिलाते हैं।

      33) कीचड़ उछालना – किसी को बदनाम करना
      बेवजह किसी पर कीचड़ उछालना अच्छी बात नहीं होती।

      34) कोरा जवाब देना – साफ इनकार करना
      वाक्य – मैंने मामाजी से पैसे उधार माँगे तो उन्होंने मुझे कोरा जवाब दे दिया।

      35) कोल्हू का बैल – अत्यधिक परिश्रमी व्यक्ति
      वाक्य – धीरू चौबीस घण्टे काम करता हैं, वह तो कोल्हू का बैल हैं।

      36) कौड़ियों के मोल बिकना – बहुत सस्ता बिकना
      वाक्य – आजकल मकान कौड़ियों के मोल बिक रहे हैं।

      37) कन्नी काटना – आँख बचाकर भाग जाना
      वाक्य – मेरा कर्ज न लौटना पड़े इसलिए वह आजकल मुझसे कन्नी काटता फिरता है।

      38) कच्चा चिट्ठा खोलना – गुप्त बातों का उद्घाटन करना

      वाक्य – यदि तुमने मेरी बात न मानी तो सारी दुनिया के सामने तुम्हारा कच्चा चिट्ठा खोल दूँगा।

      ख से शुरू होने वाले 15 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग

      1) ख़ाक छानना – भटकना
      वाक्य – नौकरी की खोज में वह खाक छानता रहा।

      2) खून-पसीना एक करना – अधिक परिश्रम करना
      वाक्य – खून पसीना एक करके विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होते है।

      3) खटाई में पड़ना – झमेले में पड़ना, रुक जाना
      वाक्य – बात तय थी, लेकिन ऐन मौके पर उसके मुकर जाने से सारा काम खटाई में पड़ गया।

      4) खेल खेलाना – परेशान करना
      वाक्य – राम ने राहुल से कहा,’खेल खेलाना छोड़ो और साफ-साफ कहो कि तुम्हारा इरादा क्या है।’

      5) खबर लेना – सजा देना या किसी के विरुद्ध कार्यवाई करना
      वाक्य – उसने मेरा काम करने से इनकार किया हैं, मुझे उसकी खबर लेनी पड़ेगी।

      6) खाई से निकलकर खंदक में कूदना – एक परेशानी या मुसीबत से निकलकर दूसरी में जाना
      वाक्य – मुझे ज्ञात नहीं था कि मैं खाई से निकलकर खंदक में कूदने जा रहा हूँ।

      7) खाक में मिलना – सब कुछ नष्ट हो जाना
      वाक्य – बाढ़ आने पर उसका सब कुछ खाक में मिल गया।

      8) खिचड़ी पकाना – गुप्त बात या कोई षड्यंत्र करना
      वाक्य – छात्रों को खिचड़ी पकाते देख अध्यापक ने उन्हें डाँट दिया।

      9) खीरे-ककड़ी की तरह काटना – अंधाधुंध मारना-काटना
      वाक्य – 1857 की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को खीरे-ककड़ी की तरह काट दिया था।

      10) खूँटा गाड़ना – रहने का स्थान निर्धारित करना
      वाक्य – उसने तो यहीं पर खूँटा गाड़ लिया हैं, लगता हैं जीवन भर यहीं रहेगा।

      11) खून-पसीना एक करना – बहुत कठिन परिश्रम करना
      वाक्य – रामू खून-पसीना एक करके दो पैसे कमाता हैं।

      12) खून के आँसू रुलाना – बहुत सताना या परेशान करना
      वाक्य – रामू कलियुगी पुत्र हैं, वह अपने माता-पिता को खून के आँसू रुला रहा हैं।

      13) खून पीना – शोषण करना
      वाक्य – सेठ रामलाल जी अपने कर्मचारियों का बहुत खून चूसते हैं।

      14) खेल बिगड़ना – काम बिगड़ना
      वाक्य – अगर पिताजी ने साथ नहीं दिया तो हमारा सारा खेल बिगड़ जाएगा।

      15) खोज खबर लेना – समाचार मिलना
      वाक्य – मदन के दादा जी घर छोड़कर चले गए। बहुत से लोगों ने उनकी खोज खबर ली तो भी उनका पता नहीं चला।

       ग से शुरू होने वाले 12 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग

      1) गले का हार होना – बहुत प्यारा
      वाक्य – लक्ष्मण राम के गले का हार थे।

      2) गर्दन पर सवार होना – पीछा ना छोड़ना
      वाक्य – जब देखो, तुम मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।

      3) गड़े मुर्दे उखाड़ना – दबी हुई बात फिर से उभारना
      वाक्य – जो हुआ सो हुआ, अब गड़े मुर्दे उखारने से क्या लाभ?

      4) गागर में सागर भरना – एक रंग-ढंग पर न रहना
      वाक्य – उसका क्या भरोसा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है।

      5) गिरगिट की तरह रंग बदलना – बातें बदलना
      वाक्य – गिरगिट की तरह रंग बदलने से कोई किसी की इज्जत नहीं करता।

      6) गुस्सा पीना – क्रोध दबाना
      वाक्य – बच्चों की नादानियों पर कभी-कभी माता-पिता गुस्सा पी कर रह जाते हैं।

      7) गुदड़ी का लाल – गरीब के घर में गुणवान का उत्पन्न होना
      वाक्य – अपने वंश में प्रेमचन्द सचमुच गुदड़ी के लाल थे।

      8) गुड़ गोबर करना – बनाया काम बिगाड़ना
      वाक्य – वीरू ने जरा-सा बोलकर सब गुड़-गोबर कर दिया।

      9) गढ़ फतह करना – कठिन काम करना
      वाक्य – आई.ए.एस. पास करके शंकर ने सचमुच गढ़ फतह कर लिया।

      10) गधे को बाप बनाना – काम निकालने के लिए मूर्ख की खुशामद करना
      वाक्य – रामू गधे को बाप बनाना अच्छी तरह जानता हैं।

      11) गाढ़ी कमाई – मेहनत की कमाई
      वाक्य – माता-पिता की गाढ़ी कमाई को बेकार में खर्च करना बहुत बुरी बात है।

      12) गोद लेना – दत्तक बनाना, अपना पुत्र न होने पर किसी बच्चे को विधिवत अपना पुत्र बनाना
      वाक्य – महिमा दीदी के जब कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने एक बच्चा गोद लिया।

       घ से शुरू होने वाले 15 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग

      1) घर का न घाट का – कहीं का नहीं
      वाक्य – कोई काम आता नही और न लगन ही है कि कुछ सीखे-पढ़े। ऐसा घर का न घाट का जिये तो कैसे जिये।

      2) घाव पर नमक छिड़कना – दुःख में दुःख देना
      वाक्य – राम वैसे ही दुखी है, तुम उसे परेशान करके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।

      3) घोड़े बेचकर सोना – बेफिक्र होना
      वाक्य – बेटी तो ब्याह दी। अब क्या, घोड़े बेचकर सोओ।

      4) घी के दीए जलाना – अप्रत्याशित लाभ पर प्रसन्नता
      वाक्य – राम जी के अयोध्या लौटने पर हर घर में घी के दीए जलाए गए थे।

      5) घात लगाना – मौका ताकना
      वाक्य – वह चोर दरवान इसी दिन के लिए तो घात लगाये था, वरना विश्र्वास का ऐसा रँगीला नाटक खेलकर सेठ की तिजोरी-चाबी का पता कैसे करता?

      6) घाट-घाट का पानी पीना – हर प्रकार का अनुभव होना
      वाक्य – मुन्ना घाट-घाट का पानी पिए हुए है, उसे कौन धोखा दे सकता है।

      7) घर का उजाला – सुपुत्र अथवा इकलौता पुत्र
      वाक्य – सब जानते हैं कि मोहन अपने घर का उजाला हैं।

      8) घर काट खाने दौड़ना – सुनसान घर
      वाक्य – घर में कोई नहीं है इसलिए मुझे घर काट खाने को दौड़ रहा है।

      9) घर का चिराग गुल होना – पुत्र की मृत्यु होना
      वाक्य – यह सुनकर बड़ा दुःख हुआ कि मेरे मित्र के घर का चिराग गुल हो गया।

      10) घर का बोझ उठाना – घर का खर्च चलाना या देखभाल करना
      वाक्य – बचपन में ही अपने पिता के मरने के बाद से राकेश घर का बोझ उठा रहा है।

      11) घर का नाम डुबोना – परिवार या कुल को कलंकित करना
      वाक्य – रामू ने चोरी के जुर्म में जेल जाकर घर का नाम डुबो दिया।

      12) घाव पर मरहम लगाना – सांत्वना या तसल्ली देना
      वाक्य – दादी पहले तो मारती है, फिर घाव पर मरहम लगाती है।

      13) घाव हरा होना – भूला हुआ दुःख पुनः याद आना
      वाक्य – राजा ने अपने मित्र के मरने की खबर सुनी तो उसके अपने घाव हरे हो गए।

      14) घी-दूध की नदियाँ बहना – समृद्ध होना
      वाक्य – श्रीकृष्ण के युग में हमारे देश में घी-दूध की नदियाँ बहती थी।

      15) घुटने टेकना – हार या पराजय स्वीकार करना
      वाक्य – संजू इतनी जल्दी घुटने टेकने वाला नहीं है, वह अंतिम साँस तक प्रयास करेगा।

      च से शुरू होने वाले 22 मुहावरे और उनके अर्थ  

      1) चल बसना – मर जाना
      वाक्य – बेचारे का बेटा भरी जवानी में चल बसा।

      2) चार चाँद लगाना – चौगुनी शोभा देना
      वाक्य – निबन्धों में मुहावरों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाते है।

      3)चिकना घड़ा होना – बेशर्म होना
      वाक्य – मोहित ऐसा चिकना घड़ा है कि उसके ऊपर कहने सुनने का कोई असर नहीं पड़ता।

      4) चार दिन की चाँदनी – थोड़े दिन का सुख
      वाक्य – राजा बलि का सारा बल भी जब चार दिन की चाँदनी ही रहा, तो तुम किस खेत की मूली हो?

      5) चींटी के पर लगना या जमना – विनाश के लक्षण प्रकट होना
      वाक्य – इसे चींटी के पर जमना ही कहेंगे कि अवतारी राम से रावण बुरी तरह पेश आया।

      6) चादर से बाहर पैर पसारना – आय से अधिक व्यय करना
      वाक्य – डेढ़ सौ ही कमाते हो और इतनी खर्चीली आदतें पाल रखी है। चादर के बाहर पैर पसारना कौन-सी अक्लमन्दी है?

      7) चमड़ी उधेड़ना या खींचना – बहुत पीटना
      वाक्य – चोर को पकड़ कर पुलिस ने उसकी चमड़ी उधेड़ दी।

      Muhavren Evm Lokoktiyan

      8) चस्का लगना – बुरी आदत
      वाक्य – धीरू को धूम्रपान का बहुत बुरा चस्का लग गया है।

      9) चाँदी ही चाँदी होना – खूब धन लाभ होना
      वाक्य – यदि राजू की दुकान चल गई तो उसकी चाँदी ही चाँदी हो जाएगी।

      10) चार सौ बीस – कपटी एवं धूर्त व्यक्ति
      वाक्य – मुन्ना चार सौ बीस है, इसलिए सब उससे दूर रहते हैं।

      11) चिनगारी छोड़ना – लड़ाई-झगड़े वाली बात करना
      वाक्य – राजू ने ऐसी चिनगारी छोड़ी कि दो मित्रों में झगड़ा हो गया।

      12) चिराग लेकर ढूँढना – बहुत छानबीन या तलाश करना
      वाक्य – मैंने माँ से कहा कि राजू जैसा मित्र तो चिराग लेकर ढूँढ़ने से भी नहीं मिलेगा, इसलिए मैं उसे अपने घर लाया हूँ।

      13) चुल्लू भर पानी में डूब मरना – अत्यन्त लज्जित होना
      वाक्य – जब सबके सामने राजू का झूठ पकड़ा गया तो उसके लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात हो गई।

      14) चूहे-बिल्ली का बैर – स्वाभाविक विरोध
      वाक्य – राम और मोहन में तो चूहे-बिल्ली का बैर है। दोनों भाई हर समय झगड़ते रहते हैं।

      15) चेहरा तमतमाना – बहुत क्रोध आना
      वाक्य – जब बच्चे कक्षा में शोर मचाते हैं तो अध्यापक का चेहरा तमतमा जाता हैं।

      16) चैन की वंशी बजाना – सुख से समय बिताना
      वाक्य – मेरा मित्र डॉक्टर बनकर चैन की वंशी बजा रहा हैं।

      17) चोटी और एड़ी का पसीना एक करना – खूब परिश्रम करना
      वाक्य – मुकेश ने नौकरी के लिए चोटी और एड़ी का पसीना एक कर दिया हैं।

      18) चोली-दामन का साथ – काफी घनिष्ठता
      वाक्य – धीरू और वीरू का चोली-दामन का साथ है।

      19) चहल-पहल होना – रौनक होना
      वाक्य – दिवाली के कारण आज बाजार में बहुत चहल-पहल है।

      20) चूर चूर कर देना – नष्ट करना
      वाक्य – कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान का घमंड चूर-चूर कर दिया था।

      21) चूल्हा जलना – खाना बनना
      वाक्य – रामेश्वर के यहाँ इतनी तंगी है कि दो दिन से घर में चूल्हा तक नहीं जला है।

      22) चौखट पर माथा टेकना – अनुनय-विनय करना
      वाक्य – वैष्णोदेवी की चौखट पर जाकर माथा टेको, तभी कष्ट दूर होंगे।

       छ से शुरू होने वाले 10 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग 

      1) छक्के छूटना – बुरी तरह पराजित होना
      वाक्य – भारत और पाकिस्तान के युद्ध में हर बार पाकिस्तान के छक्के छूटे हैं।

      2) छप्पर फाडकर देना – बिना मेहनत का अधिक धन पाना
      वाक्य – ईश्वर जिसे देता है, उसे छप्पर फाड़कर देता है।

      3) छाती पर पत्थर रखना – कठोर ह्रदय
      वाक्य – उसने छाती पर पत्थर रखकर अपने पुत्र को विदेश भेजा था।

      4) छाती पर मूँग या कोदो दलना – किसी को कष्ट देना
      वाक्य – राजन के घर रानी दिन-रात उसकी विधवा माँ की छाती पर मूँग दल रही है।

      5) छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या से हृदय जलना
      वाक्य – जब पड़ोसी ने नई कार ली तो शेखर की छाती पर साँप लोट गया।

      6) छत्तीस का आँकड़ा – घोर विरोध
      वाक्य – मुझमें और मेरे मित्र में आजकल छत्तीस का आँकड़ा है।

      7) छाती पीटना – मातम मनाना
      वाक्य – अपने किसी संबंधी की मृत्यु पर मेरे पड़ोसी छाती पीट रहे थे।

      8) छाती दूनी होना – अत्यधिक उत्साहित होना
      वाक्य – जब रोहन बारहवीं कक्षा में प्रथम आया तो कक्षा अध्यापक की छाती दूनी हो गई।

      9) छाती फूलना – गर्व होना
      वाक्य – जब मैंने एम.ए. कर लिया तो मेरे अध्यापक की छाती फूल गई।

      10) छिपा रुस्तम – अप्रसिद्ध गुणी
      वाक्य – वरुण तो छिपा रुस्तम निकला। सब देखते रह गए और परीक्षा में उसी ने पहला स्थान प्राप्त कर लिया।

      11) छोटा मुँह बड़ी बात – हैसियत से अधिक बात करना
      वाक्य – अध्यापक ने विद्यार्थियों को समझाया कि हमें कभी छोटे मुँह बड़ी बात नहीं करनी चाहिए, वरना पछताना पड़ेगा।

      12) छाप पड़ना – प्रभाव पड़ना
      वाक्य – प्रोफेसर शर्मा का व्यक्तित्व ही ऐसा है। उनकी छाप सब पर जरूर पड़ती है।

      ज से शुरू होने वाले 22 मुहावरे, उनके अर्थ और वाक्य 

      1) जान पर खेलना – साहसिक कार्य
      वाक्य – हम जान पर खेलकर भी अपने देश की रक्षा करेंगे।

      2) जूती चाटना – खुशामद करना, चापलूसी करना
      वाक्य – संजीव ने अफसरों की जूतियाँ चाटकर ही अपने बेटे की नौकरी लगवाई है।

      3) जहर उगलना – कड़वी बातें कहना या भला-बुरा कहना
      वाक्य – पता नहीं क्या बात हुई, आज राजू अपने मित्र के खिलाफ जहर उगल रहा था।

      4) जबान चलाना – अनुचित शब्द कहना
      वाक्य – सीमा बहुत जबान चलाती है, उससे कौन बात करेगा?

      5) जबान देना – वायदा करना
      वाक्य – अध्यापक ने विद्यार्थियों से कहा कि अच्छा आदमी वही होता है जो जबान देकर निभाता है।

      6) जमाना देखना – बहुत अनुभव होना
      वाक्य – दादाजी बात-बात पर यही कहते हैं कि हमने जमाना देखा है, तुम हमारी बराबरी नहीं कर सकते।

      7) जमीन पर पाँव न पड़ना – अत्यधिक खुश होना
      वाक्य – सीता दसवीं में उत्तीर्ण हो गई है तो आज उसके जमीन पर पाँव नहीं पड़ रहे हैं।

      8) जमीन में समा जाना – बहुत लज्जित होना
      वाक्य – जब उधार के पैसे ने देने पर सबके सामने रामू का अपमान हुआ तो वह जमीन में ही समा गया।

      9) जल में रहकर मगर से बैर करना – अपने आश्रयदाता से शत्रुता करना
      वाक्य – मैंने रामू से कहा कि जल में रहकर मगर से बैर मत करो, वरना नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

      10) जहर का घूँट पीना – कड़वी बात सुनकर चुप रह जाना
      वाक्य – सबके सामने अपमानित होकर रानी जहर का घूँट पीकर रह गई।

      11) जादू चढ़ना – प्रभाव पड़ना
      वाक्य – राम के सिर पर लता मंगेशकर का ऐसा जादू चढ़ा है कि वह हर समय उन्ही के गाने गाता रहता है।

      12) जान हथेली पर लेना – जान की परवाह न करना
      वाक्य – सीमा पर सैनिक जान हथेली पर लेकर चलते हैं और देश की रक्षा करते हैं।

      13) जाल फेंकना – किसी को फँसाना
      वाक्य – उस अजनबी ने मुझ पर ऐसा जाल फेंका कि मेरे 500 रुपये ठग लिए।

      14) जी खट्टा होना – मन में वैराग पैदा होना
      वाक्य – मेरे दादाजी का तो शहर से जी खट्टा हो गया है। वे अब गाँव में ही रहते हैं।

      15) जीते जी मर जाना – जीवन काल में मृत्यु से बढ़कर कष्ट भोगना
      वाक्य – बेटे के काले कारनामों के कारण रामप्रसाद तो बेचारा जीते जी मर गया।

      16) जेब गर्म करना – रिश्वत देना
      वाक्य – लालू जेब गर्म करके ही किसी को अपने साहब से मिलने देता है।

      17) जौहर दिखाना – वीरता दिखाना
      वाक्य – भारतीय जवान सीमा पर अपना खूब जौहर दिखाते हैं।

      18) जौहर करना – स्त्रियों का चिता में जलकर भस्म होना
      वाक्य – अंग्रेजी शासनकाल में भारतीय नारियों ने खूब जौहर किया था।

      19) जान का प्यासा होना – मार डालने के लिए तत्पर
      वाक्य – सारे मुहल्ले वाले तुम्हारी जान के प्यासे हो रहे हैं। भलाई इसी में है कितुम चुपचाप यहाँ से खिसक जाओ।

      20) जान के लाले पड़ना – प्राण बचाना कठिन लगना
      वाक्य – रात के अँधेरे में मुसाफिरों को डाकुओं ने घेर लिया। बेचारे मुसाफिरों की जान के लाले पड़ गए। सब कुछ छीन लिया तब बड़ी मुश्किल से छोड़ा।

      21) जुल्म ढाना – अत्याचार करना
      वाक्य – जो लोग असहायों पर जुल्म ढाते हैं, ईश्वर उन्हें कभी-न-कभी सजा देता ही हैं।

      22) जोश ठंडा पड़ना – उत्साह कम होना
      वाक्य – वह कई बार आई० ए० एस० की परीक्षा में बैठा, पर सफल न हो सका। अब तो बेचारे का जोश ही ठंडा पड़ गया है।

      झ से शुरू होने वाले मुहावरे, उनके अर्थ और वाक्य 

      1) झण्डा गाड़ना/झण्डा फहराना – अपना आधिपत्य स्थापित करना
      वाक्य – अंग्रेजों ने झाँसी की रानी को परास्त करने के पश्चात् भारत में अपना झण्डा गाड़ दिया था।

      2) झण्डी दिखाना – स्वीकृति देना
      वाक्य – साहब के झण्डी दिखाने के बाद ही क्लर्क बाबू ने लालू का काम किया।

      3) झाँसा देना – धोखा देना
      वाक्य – विपिन को उसके सगे भाई ने ही झाँसा दे दिया।

      4) झाड़ू फेरना – बर्बाद करना
      वाक्य – प्रेम ने अपने पिताजी की सारी दौलत पर झाड़ू फेर दी।

      5) झोली भरना – भरपूर प्राप्त होना
      वाक्य – ईश्वर बड़ा दयालु है। अपने भक्तों को वह हमेशा झोली भरकर ही देता है।

       ट, ठ से शुरू होने वाले मुहावरे, उनके अर्थ और वाक्य 

      1) टाँग अड़ाना – अड़चन डालना
      वाक्य – हर बात में टाँग ही अड़ाना अच्छी बात नहीं होती।

      2) टका सा जबाब देना – साफ़ इनकार करना
      वाक्य – मैं नौकरी के लिए मैनेज़र से मिला लेकिन उन्होंने टका सा जबाब दे दिया।

      3) टस से मस न होना – कुछ भी प्रभाव न पड़ना
      वाक्य – दवा लाने के लिए मैं घंटों से कह रहा हूँ, परन्तु आप टस से मस नहीं हो रहे हैं।

      4) टोपी उछालना – निरादर करना
      वाक्य – जब पुत्री के विवाह में दहेज नहीं दिया तो लड़के वालों ने रमेश की टोपी उछाल दी।

      5) टके सेर मिलना – बहुत सस्ता मिलना
      वाक्य – आजकल आलू टके सेर मिल रहे हैं।

      6) टर-टर करना – बकवास करना/व्यर्थ में बोलते रहना
      वाक्य – सुनील तो हर वक्त टर-टर करता रहता है। कौन सुनेगा उसकी बात?

      7) टेढ़ी खीर – अत्यन्त कठिन कार्य
      वाक्य – आई.ए.एस. पास करना टेढ़ी खीर है।

      8) टालमटोल करना – बहाना बनाना
      वाक्य – मैंने उनसे पूछा, ‘टालमटोल मत कीजिए। साफ बताइए, आप मेरी मदद करेंगे या नहीं?’

      9) टूट पड़ना – आक्रमण करना
      वाक्य – सब लोगों को इतनी तेज भूख लगी थी कि खाना देखते ही वे टूट पड़े।

      10) टोह लेना – पता लगाना
      वाक्य – रमा अचानक कहाँ भाग गई, किसी को नहीं मालूम अब उसकी टोह लेना आसान नहीं है।

      11) ठन-ठन गोपाल – खाली जेब अथवा अत्यन्त गरीब
      वाक्य – सुमेर तो ठन-ठन गोपाल है, वह चंदा कहाँ से देगा?

      12) ठंडा करना – क्रोध शान्त करना
      वाक्य – महेश ने समझा-बुझाकर दादाजी को ठंडा कर दिया।

      13) ठंडा पड़ना – मर जाना
      वाक्य – वह साईकिल से गिरते ही ठंडा पड़ गया।

      14) ठोड़ी पकड़ना – खुशामद करना
      वाक्य – मैंने सेठजी की बहुत ठोड़ी पकड़ी, परंतु उन्होंने मुझे पैसे उधार नहीं दिए।

      15) ठंडी आहें भरना – दुखभरी साँस लेना
      वाक्य – दूसरों की शोहरत को देखकर ठंडी आहें नहीं भरनी चाहिए।

      16) ठहाका मारना – जोर से हँसना
      वाक्य – मंजू छोटी-छोटी बातों पर भी ठहाका मारती है।

      17) ठाट-बाट से रहना – शानौशौकत से रहना
      वाक्य – वे जिस ठाट-बाट से रहते हैं, उसकी बराबरी शायद ही कोई कर सके।

      18) ठीकरा फोड़ना – दोष लगाना
      वाक्य – गलती आपकी है और ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ रहे हैं?

      19) ठोंक बजाकर देखना – अच्छी तरह से जाँच-परख करना
      वाक्य – घर-परिवार के लोग लड़के को ठोंक बजाकर देखने के बाद ही शादी के लिए हाँ करते हैं।

       ड, ढ शुरू होने वाले मुहावरे, अर्थ और वाक्य 

      1) डकार जाना – हड़प जाना
      वाक्य – सियाराम अपने भाई की सारी संपत्ति डकार गया।

      2) डींग मारना या हाँकना – शेखी मारना
      वाक्य – जब देखो, शेखू डींग मारता रहता है- ‘मैंने ये किया, मैंने वो किया’।

      3) डेढ़/ढाई चावल की खिचड़ी पकाना – सबसे अलग काम करना
      वाक्य – सुधीर अपनी डेढ़ चावल बनी खिचड़ी अलग पकाता है।

      4) डंके की चोट पर – खुल्लमखुल्ला
      वाक्य – शेरसिंह जो भी काम करता है, डंके की चोट पर करता है।

      5) डूबती नैया को पार लगाना – संकट से छुड़ाना
      वाक्य – ईश्वर की कृपा होगी तभी सबकी डूबती नैया पार लगेगी।

      6) डेरा डालना – निवास करना
      वाक्य -साधु ने मंदिर में जाकर अपना डेरा डाल दिया।

      7) ढील देना – छूट देना
      वाक्य – दादी माँ कहती हैं कि बच्चों को अधिक ढील नहीं देनी चाहिए।

      8) ढेर हो जाना – गिरकर मर जाना
      वाक्य – कल पुलिस की मुठभेड़ में दो बदमाश ढेर हो गए।

      9) ढलती-फिरती छाया – भाग्य का खेल या फेर
      वाक्य – कल राजू गरीब था, आज अमीर है- सब ढलती-फिरती छाया है।

      10) ढाई ईंट की मस्जिद – सबसे अलग कार्य करना
      वाक्य – राजेश घर में कुआँ खुदवाकर ढाई ईंट की मस्जिद बना रहा है।

      11) ढाई दिन की बादशाहत होना या मिलना – थोड़े दिनों की शान-शौकत या हुकूमत होना
      वाक्य – मैनेजर के बाहर जाने पर मोहन को ढाई दिन की बादशाहत मिल गई है।

      12) ढिंढोरा पीटना – घोषणा करना
      वाक्य – केवल ढिंढोरा पीटने से काम नहीं बनता। काम बनाने के लिए लोगों का विश्वास जीतना जरूरी है।

      13) ढोंग रचना – पाखंड करना
      वाक्य – ढोंग रचने वाले साधुओं से मुझे सख्त नफ़रत है।

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       त, त्र, थ से शुरू होने वाले मुहावरे 

      1) तारे गिनना – चिंता के कारण रात में नींद न आना
      वाक्य – अपने पुत्र की चिन्ता में पिता रात भर तारे गिनते रहे।

      2) तिल का ताड़ बनाना – छोटी-सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना
      वाक्य – शांति तो तिल का ताड़ बनाने में माहिर है।

      3) तख्ता पलटना – एक शासक द्वारा दूसरे शासक को हटाकर उसके सिंहासन पर खुद बैठना
      वाक्य – पाकिस्तान में मुशर्रफ ने तख्ता पलट दिया और कोई कुछ न कर सका।

      4) तलवार की धार पर चलना – बहुत कठिन कार्य करना
      वाक्य – मित्रता निभाना तलवार की धार पर चलने के समान है।

      5) तलवार सिर पर लटकना – खतरा होना
      वाक्य – आजकल रामू के मैनेजर से उसकी कहासुनी हो गई है इसलिए तलवार उसके सिर पर लटकी हुई है।

      6) तांत-सा होना – दुबला-पतला होना
      वाक्य – चार दिन की बीमारी में गौरव तांत-सा हो गया है।

      7) ताक में बैठना – मौके की तलाश में रहना
      वाक्य – सुधीर बहुत दिनों से ताक में बैठा था कि उसे मैं कब अकेला मिलूँ और वो मुझे पीटे।

      8) तिनके का सहारा – थोड़ी-सी मदद
      वाक्य – मैंने मोहित की जब सौ रुपए की मदद की तो उसने कहा कि डूबते को तिनके का सहारा बहुत होता है।

      9) तीस मारखाँ बनना – अपने को बहुत शूरवीर समझना
      वाक्य – मुन्ना खुद को बहुत तीस मारखाँ समझता है, जब देखो लड़ाई की बातें करता रहता है।

      10) तेल निकालना – खूब कस कर काम लेना
      वाक्य – प्राइवेट फर्म तो कर्मचारी का तेल निकाल लेती है। तभी विकास को नौकरी करना पसंद नहीं है।

      11) तकदीर फूटना – भाग्य खराब होना
      वाक्य – उस लड़की की तो तकदीर ही फूट गई जो तुम जैसे जाहिल से उसकी शादी हो गई।

      12) तरस खाना – दया करना
      वाक्य – ठंड में काँपते हुए उस भिखारी पर तरस खाकर मैंने अपना कंबल उसी को दे दिया।

      13) तानकर सोना – निश्चित होकर सोना
      वाक्य – बेटी के विवाह के बाद मोहन सारी चिंताओं से मुक्त हो गया है और अब तानकर सोता है।

      14) तिल रखने की जगह न होना – स्थान का ठसाठस भरा होना
      वाक्य – शनिवार के दिन शनि मंदिर में तिल रखने तक की जगह नहीं होती।

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      15) तोबा करना – भविष्य में किसी काम को न करने की प्रतिज्ञा करना
      वाक्य – ईंट के व्यापार में घाटा होने से सुरेश ने इससे तोबा कर दिया।

      16) तौल-तौल कर मुँह से शब्द निकालना – बहुत सोच-विचार कर बोलना
      वाक्य – शालिनी बहुत विवेकशील है। वह तौल-तौलकर मुँह से शब्द निकालती है।

      17) त्राहि-त्राहि करना – विपत्ति या कठिनाई के समय रक्षा या शरण के लिए प्रार्थना करना
      वाक्य – आग लगने पर बच्चे का उपाय न देखकर लोग त्राहि-त्राहि करने लगे।

      18) त्रिशुंक होना – बीच में रहना, न इधर का होना, न उधर का
      वाक्य – केशव न तो अभी तक आया और न ही फोन किया। समारोह में जाना है या नहीं कुछ भी नहीं पता। मैं तो त्रिशुंक हो गया हूँ।

      19) थाली का बैंगन होना – ऐसा आदमी जिसका कोई सिद्धान्त न हो
      वाक्य – आजकल के नए-नए नेता तो थाली के बैंगन हैं।

      20) थक कर चूर होना – बहुत थक जाना
      वाक्य – मई की धूप में चार कि० मी० की पैदल यात्रा करने के कारण राम थककर चूर हो गया।

      21) थर्रा उठना – अत्यंत भयभीत होना
      वाक्य – अचानक इतनी तेज धमाका हुआ कि दूर तक के लोग थर्रा उठे।

      22) थैली का मुँह खोलना – खूब धन व्यय करना
      वाक्य – सेठ रामप्रसाद ने अपनी बेटी के विवाह में थैली का मुँह खोल दिया था।

       द से शुरू होने वाले 27 मुहावरे, उनके अर्थ और वाक्य 

      1) दिन दूना रात चौगुना – तेजी से तरक्की करना
      वाक्य – रामदास अपने व्यापार में दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है।

      2) दाल में काला होना – संदेह होना
      वाक्य – हम लोगों की ओट में ये जिस तरह धीरे-धीरे बातें कर रहें है, उससे मुझे दाल में काला लग रहा है।

      3) दौड़-धूप करना – बड़ी कोशिश करना
      वाक्य – कौन बाप अपनी बेटी के ब्याह के लिए दौड़-धूप नहीं करता?

      4) दो कौड़ी का आदमी – तुच्छ या अविश्र्वसनीय व्यक्ति
      वाक्य – किसी को बिना परखे दो कौड़ी का आदमी नहीं समझना चाहिए।

      5) दो टूक बात कहना – थोड़े शब्दों में स्पष्ट बात कहना
      वाक्य – दो टूक बात कहना अच्छा रहता है।

      6) दूध के दाँत न टूटना – ज्ञानहीन या अनुभवहीन
      वाक्य – मोहन सभा में क्या बोलेगा? अभी तो उसके दूध के दाँत भी नहीं टूटे हैं।

      7) दूध का दूध और पानी का पानी कर देना – पूरा-पूरा इन्साफ करना
      वाक्य – कल सरपंच ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।

      8) दरार पड़ना – मतभेद पैदा होना
      वाक्य – अब कौशल और कौशिक की दोस्ती में दरार पड़ गई है।

      9) दसों उंगलियाँ घी में होना – खूब लाभ होना
      वाक्य – आजकल राम की दसों उंगलियाँ घी में हैं।

      10) दाँतों तले उँगली दबाना – दंग रह जाना
      वाक्य – जब एक गरीब छात्र ने आई.ए.एस. पास कर ली तो सब दाँतों तले उँगली दबाने लगे।

      11) दाई से पेट छिपाना – जानने वाले से भेद छिपाना
      वाक्य – मैं पंकज की हरकत जानता हूँ, फिर भी वह दाई से पेट छिपा रहा था।

      Muhavren Evm Lokoktiyan

      12) दिन गँवाना – समय नष्ट करना
      वाक्य – बेरोजगारी में रोहन आजकल यूँ ही दिन गँवा रहा है।

      13) दिन पूरे होना – अंतिम समय आना
      वाक्य – लगता है किशन के दिन पूरे हो गए हैं तभी अत्यधिक धूम्रपान कर रहा है।

      14) दिन पलटना – अच्छे दिन आना
      वाक्य – नौकरी लगने के बाद अब शम्भू के दिन पलट गए हैं।

      15) दिमाग सातवें आसमान पर होना – बहुत अधिक घमंड होना
      वाक्य – सरकारी नौकरी लगने पर परमजीत का दिमाग सातवें आसमान पर हो गया है।

      16) दिल का काला या खोटा – कपटी अथवा दुष्ट
      वाक्य – मुन्ना दिल का काला है।

      17) दिल बाग-बाग होना – अत्यधिक हर्ष होना
      वाक्य – वर्षों बाद बेटा घर आया तो माता-पिता का दिल बाग-बाग हो गया।

      18) दिल का गुबार निकालना – मन का मलाल दूर करना
      वाक्य – अपने बेटे के विवाह में पंडित रामदीन ने अपने दिल के सारे गुबार निकाल लिए।

      19) दिल्ली दूर होना – लक्ष्य दूर होना
      वाक्य – अभी तो मोहन ने सिर्फ दसवीं पास की है। उसे डॉक्टर बनना है तो अभी दिल्ली दूर है।

      20) दूध का धुला – निष्पाप; निर्दोष
      वाक्य – मुकेश तो दूध का धुला है, लोग उसे चोरी के इल्जाम में खाहमखाह फँसा रहे हैं।

      21) दोनों हाथों में लड्डू होना – हर प्रकार से लाभ होना
      वाक्य – अजय की शादी भी हो गई और नौकरी भी लग गई। अब अजय के तो दोनों हाथों में लड्डू हैं।

      22) दूर के ढोल सुहावने होना या लगना – दूर की वस्तु या व्यक्ति अच्छा लगना
      वाक्य – जब मैंने वैष्णो देवी जाने को कहा तो पिताजी बोले कि तुम्हें दूर के ढोल सुहावने लग रहे हैं, चढ़ाई चढ़ोगे तब मालूम पड़ेगा।

      23) दर-दर की खाक छानना/दर-दर-मारा-मारा फिरना – जगह-जगह की ठोकरें खाना
      वाक्य – नौकरी के चक्कर में माधव दर-दर की खाक छानता फिर रहा है।

      24) दाने-दाने को तरसना – भूखों मरना
      वाक्य – पिता की मृत्यु के कारण बच्चे दाने-दाने को तरसने लगे हैं।

      25) दीवारों के कान होना – किसी गोपनीय बात के प्रकट हो जाने का खतरा
      वाक्य -दीवारों के भी कान होते हैं। अतः सब लोग बात करते समय सावधानी रखा करें।

      26) दुखती रग को छूना – मर्म पर आघात करना
      वाक्य – किसी की दुखती रग को छूना बहुत बुरी बात है।

      27) दाल-भात का कौर समझना – आसान समझना
      वाक्य – यह आई० ए० एस० की परीक्षा है। कोई दाल-भात का कौर नहीं।

       ध, न से शुरू होने वाले 27 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग 

      Muhavren Evm Lokoktiyan

      1) धज्जियाँ उड़ाना – किसी के दोषों को चुन-चुनकर गिनाना
      वाक्य – उसने उन लोगों की धज्जियाँ उड़ाना शुरू किया कि वे वहाँ से भाग खड़े हुए।

      2) धूप में बाल सफेद करना – बिना अनुभव के जीवन का बहुत बड़ा भाग बिता देना
      वाक्य – रामू काका ने धूप में बाल सफेद नहीं किए हैं, उन्हें बहुत अनुभव है।

      3) धोबी का कुत्ता घर का न घाट का – जिसका कहीं ठिकाना न हो, निरर्थक व्यक्ति
      वाक्य – जब से रामू की नौकरी छूटी है, उसकी दशा धोबी का कुत्ता घर न घाट का जैसी है।

      4) घब्बा लगना – कलंकित करना
      वाक्य – मोहन ने चोरी करके खुद पर धब्बा लगा लिया।

      5) धमाचौकड़ी मचाना – उपद्रव करना
      वाक्य – अंकुर और टीटू मिलकर बहुत धमाचौकड़ी मचाते हैं।

      6) धाक जमाना – रोब या दबदबा जमाना
      वाक्य – वह जहाँ भी जाता है वहीं अपनी धाक जमा लेता है।

      7) धरना देना – अड़कर बैठना
      वाक्य – सत्याग्रही मंत्री की कोठी के सामने धरना दे रहे है।

      8) धोती ढीली होना – डर जाना
      वाक्य – मास्टर साहब के आते ही लड़के की धोती ढीली हो गयी।

      9) न इधर का, न उधर का – कही का नही
      वाक्य – कमबख्त ने न पढ़ा, न बाप की दस्तकारी सीखी। अब तो वह न इधर रहा, न उधर का।

      10) नमक का हक अदा करना – बदला/ऋण चुकाना
      वाक्य – यदि आप मेरी मदद करेंगे तो जीवन भर मैं आपके नमक का हक अदा करता रहूँगा।

      11) नमक-मिर्च लगाना – बढ़ा-चढ़ाकर कहना
      वाक्य – मेरे भाई ने नमक-मिर्च लगाकर मेरी शिकायत पिता जी से कर डाली।

      12) नस-नस पहचानना – भलीभाँति अच्छी तरह जानना
      वाक्य – माता-पिता अपने बच्चों की नस-नस पहचानते हैं।

      13) नाक में नकेल डालना – नियंत्रण में करना
      वाक्य – अशोक ने मैनेजर बनकर सबकी नाक में नकेल डाल दी है।

      14) नाक ऊँची रखना – सम्मान या प्रतिष्ठा रखना
      वाक्य – शांति हमेशा अपनी नाक ऊँची रखती है।

      15) नाकों चने चबाना – बहुत परेशान होना
      वाक्य – शिवाजी से टक्कर लेकर मुगलों को नाकों चने चबाने पड़े।

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      16) नाक रखना – इज्जत रखना
      वाक्य – आई० ए० एस० की परीक्षा में प्रथम आकर मेरी बेटी ने मेरी नाक रख ली।

      17) नाक काटना – इज्जत जाना
      वाक्य – पोल खुलते ही सबके सामने उसकी नाक कट गयी।

      18) नाक कटना – प्रतिष्ठा या मर्यादा नष्ट होना
      वाक्य – माँ ने बेटी को समझाया कि कोई ऐसा काम न करना जिससे उनकी नाक कट जाए।

      19) नाम उछालना – बदनामी करना
      वाक्य – छात्रों ने बेमतलब ही संस्कृति के आचार्य जी का नाम उछाल दिया कि ये बच्चों को मारते हैं।

      20) नाम डुबोना – प्रतिष्ठा, मर्यादा आदि खोना
      वाक्य – सीमा ने घर से भाग कर अपने माँ-बाप का नाम डुबो दिया।

      21) नंबर दो का पैसा/रुपया – अवैध धन
      वाक्य – सारे नेता नंबर दो के पैसे को स्विस बैंक में जमा करने में लगे हैं।

      22) नजर उतारना – बुरी दृष्टि के प्रभाव को मंत्र आदि युक्ति से दूर करना
      वाक्य – लगता है राधा को लोगों की नजर लग जाती है इसलिए जल्दी-जल्दी बीमार पड़ जाती है। इस बार किसी साधु-संत से नजर उतरवा लेनी चाहिए।

      23) नजर बचाकर – चुपके से
      वाक्य – माता-पिता की नजर बचाकर वह सिनेमा देखने आई थी।

      24) नजर से गिरना – प्रतिष्ठा कम करना
      वाक्य – जो लोग अपने बड़ों की नजर में गिर जाते हैं, उनको कोई नहीं पूछता।

      25) नाक के नीचे – बहुत निकट
      वाक्य – आपकी नाक के नीचे आपका नौकर चोरी करता रहा और आपको तब पता चला जब उसने सारा खजाना खाली कर दिया।

      26) नाक भौं चढ़ाना – घृणा प्रदर्शित करना
      वाक्य – इस जगह को देखकर नाक-भौं मत चढ़ाओ। इतनी खराब जगह नहीं है यह।

      27) नाक पर मक्खी न बैठने देना – अपने ऊपर किसी भी प्रकार का आक्षेप न लगने देना
      वाक्य – जो अपनी नाक पर मक्खी तक नहीं बैठने देता, वह इस बेईमानी के धंधे में हमारी मदद करेगा, यह तो संभव ही नहीं।

       प से शुरू होने वाले 24 मुहावरे- उनके अर्थ और वाक्य 

      1) पेट काटना – अपने भोजन तक में बचत
      वाक्य – अपना पेट काटकर वरुण अपने छोटे भाई को पढ़ा रहा है।

      2) पेट में चूहे कूदना – जोर की भूख
      वाक्य – पेट में चूहे कूद रहे हों तो खाने के अलावा कहीं ध्यान नहीं जाता।

      3) पट्टी पढ़ाना – बुरी राय देना
      वाक्य – किसी को भी पट्टी पढ़ाना गलत बात है।

      4) पगड़ी रखना – इज्जत बचाना
      वाक्य – हल्दीघाटी में झाला सरदार ने राजपूतों की पगड़ी रख ली।

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      5) पगड़ी उतारना – अपमानित करना
      वाक्य – दहेज-लोभियों ने सीता के पिता की पगड़ी उतार दी।

      6) पर्दाफाश करना – भेद खोलना
      वाक्य – महेश मुझे बात-बात पर धमकी देता है कि यदि मैं उसकी बात नहीं मानूँगा तो वह मेरा पर्दाफाश कर देगा।

      7) पाँव तले से धरती खिसकना – अत्यधिक घबरा जाना
      वाक्य – बस में जेब कटने पर मेरे पाँव तले से धरती खिसक गई।

      8) पानी का बुलबुला – क्षणभंगुर, थोड़ी देर का
      वाक्य – संतों ने ठीक ही कहा है- ये जीवन पानी का बुलबुला है।

      9) पत्थर की लकीर – पक्की बात
      वाक्य – पंडित जी की बात पत्थर की लकीर है।

      10) पलकों पर बिठाना – बहुत अधिक आदर-स्वागत करना
      वाक्य – रामू ने विदेश से आए बेटों को पलकों पर बिठा लिया।

      11) पलकें बिछाना – बहुत श्रद्धापूर्वक आदर-सत्कार करना
      वाक्य – नेताजी के आने पर सबने पलकें बिछा दीं।

      12) पाँव धोकर पीना – अत्यन्त सेवा-शुश्रुषा और सत्कार करना
      वाक्य – रमा अपनी सासुमाँ के पाँव धोकर पीती है।

      13) पीठ ठोंकना – शाबाशी देना
      वाक्य – कक्षा में फर्स्ट आने पर अध्यापक ने राजू की पीठ ठोंक दी।

      14) प्राण हथेली पर लेना – जान खतरे में डालना
      वाक्य – सैनिक प्राण हथेली पर लेकर देश की रक्षा करते हैं।

      15) पंथ निहारना/देखना – प्रतीक्षा करना
      वाक्य – गोपियाँ पंथ निहारती रहीं पर कृष्ण कभी वापस न आए।

      16) पलकों में रात बीतना – रातभर नींद न आना
      वाक्य – रात को कॉफी क्या पी, पलकों में ही सारी रात बीत गई।

      17) पसीने की कमाई – मेहनत से कमाई हुई संपत्ति
      वाक्य – माँ-बाप अपने पसीने की कमाई को बिना सोचे-समझे अपने बच्चों पर खर्च कर देते हैं।

      18) पाँव में बेड़ी पड़ना – स्वतंत्रता नष्ट हो जाना
      वाक्य – मल्लिका का विवाह क्या हुआ बेचारी के पाँवों में बेड़ी पड़ गई है, उसके सास-ससुर उसे कहीं आने-जाने ही नहीं देते।

      19) पापड़ बेलना – कष्टमय जीवन बिताना, बहुत परिश्रम करना
      वाक्य – कितने पापड़ बेले हैं, तब जाकर यह छोटी-सी नौकरी मिली है।

      20) पासा पलटना – स्थिति उलट जाना
      वाक्य -क्या करें पास ही पलट गया। सोचा कुछ था हो कुछ गया।

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      21) पूरा न पड़ना – कमी पड़ना
      वाक्य – मेहमान अधिक आ गए हैं, शायद इतना खाना पूरा न पड़ेगा।

      22) पेट पीठ एक होना – बहुत दुर्बल होना
      वाक्य – तीन माह की बीमारी में रमेश के पेट-पीठ एक हो गए हैं।

      23) पेट में दाढ़ी होना – बहुत चालाक होना
      वाक्य – उसे सीधा मत समझना। उसके पेट में दाढ़ी है, किसी भी दिन चकमा दे सकता है।

      24) पौ फटना – प्रातः काल होना
      वाक्य – पौ फटते ही पिता जी घर से निकल पड़े।

       फ से शुरू होने वाले 8 मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग 

      1) फूलना-फलना – धनवान या कुलवान होना
      वाक्य – बड़े हमेशा आशीर्वाद देते है कि सदा फूलो-फलो।

      2) फटे में पाँव देना – दूसरे की विपत्ति अपने ऊपर लेना
      वाक्य – शर्मा जी की फटे में पाँव देने की आदत है।

      3) फुलझड़ी छोड़ना – कटाक्ष करना
      वाक्य – गुप्ता जी तो कोई न कोई फुलझड़ी छोड़ते ही रहते हैं।

      4) फूँककर पहाड़ उड़ाना – असंभव कार्य करना
      वाक्य – धीरज फूँककर पहाड़ उड़ाना चाहता है।

      5) फूंक-फूंक कर कदम रखना – सोच-समझकर काम करना
      वाक्य – एक बार नुकसान उठा लिया अब तो फूंक-फूंक कर कदम रखो।

      6) फूटी आँखों न सुहाना – तनिक भी अच्छा न लगना
      वाक्य – झूठ बोलने वाले लोग मुझे फूटी आँख नहीं सुहाते।

      7) फूल सूँघकर रहना – बहुत थोड़ा खाना
      वाक्य – लगता है राम फूल सूँघकर रहता है, जो इतना दुर्बल हो गया है।

      8) फ़ूलों से तौला जाना – अतीव कोमल होना
      वाक्य – रानी तो फूलों से तौली जाती है।

       ब, भ से शुरू होने वाले मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग 

      1) बीड़ा उठाना – दायित्व लेना
      वाक्य – गांधजी ने भारत को आजाद करने का बीड़ा उठाया था।

      2) बे-सिर-पैर की बात करना – व्यर्थ की बात करना
      वाक्य – राम को तो जब भी देखो, बेसिर-पैर की बात करता है।

      3) बगलें झाँकना – उत्तर न दे सकना
      वाक्य – अध्यापक के सवाल पर राजू बगलें झाँकने लगा।

      4) बगुला भगत – ढोंगी व्यक्ति
      वाक्य – वो साधु तो बगुलाभगत निकला, सबको लूट कर भाग गया।

      5) बोल-बाला होना – ख्याति होना
      वाक्य – शहर में सेठ रामचंदानी का बहुत बोल-बाला है।

      6) बात को गाँठ में बाँधना – स्मरण/याद रखना
      वाक्य – अध्यापकों की हर बात को गाँठ में बाँध लेना चाहिए, जीवन के किसी भी मोड़ पर कोई भी बात काम आ सकती है।

      7) बुद्धि पर पत्थर पड़ना – अक्ल काम न करना
      वाक्य – आज कर्ण की बुद्धि पर पत्थर पड़ गए तभी तो उसने 10 लाख का मकान 2 लाख में बेच दिया।

      8) बछिया का ताऊ – मूर्ख व्यक्ति
      वाक्य – धीरू तो बछिया का ताऊ है।

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      9) बहत्तर घाट का पानी पीना – अनेक प्रकार के अनुभव प्राप्त करना
      वाक्य – काका जी बहत्तर घाट का पानी पी चुके हैं, उनको कोई धोखा नहीं दे सकता।

      10) बाल की खाल निकालना – छोटी से छोटी बातों पर तर्क करना
      वाक्य – सूरज तो हमेशा बाल की खाल निकालता रहता है।

      11) बाल बाँका न होना – जरा भी हानि न होना
      वाक्य – जिसकी रक्षा ईश्वर करता है, उसका बाल भी बाँका नहीं हो सकता।

      12) बुढ़ापे की लाठी – बुढ़ापे का सहारा
      वाक्य – रामदीन का बेटा उसके बुढ़ापे का लाठी था, वह भी विदेश चला गया।

      13) बहती गंगा में हाथ धोना – समय का लाभ उठाना
      वाक्य – हर आदमी बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है चाहें उसमें क्षमता हो या न हो।

      14) बना बनाया खेल बिगड़ जाना – सिद्ध हुआ काम खराब हो जाना
      वाक्य – तुम्हारी एक छोटी-सी गलती से सारा बना बनाया खेल ही बिगड़ गया।

      15) बाज न आना – बुरी आदत न छोड़ना
      वाक्य – सब लोगों ने इतना समझाया फिर भी पंकज अपनी आदतों से बाज नहीं आता।

      16) बाल-बाल बचना – मुश्किल से बचना
      वाक्य – विमान दुर्घटना में सभी यात्री बाल-बाल बच गए।

      17) बेवक्त की शहनाई बजाना – अवसर के प्रतिकूल कार्य करना
      वाक्य – पूजा के अवसर पर सिनेमा के गीत सुना कर लोग बेवक्त की शहनाई बजाते हैं।

      18) भीगी बिल्ली होना – डर से दबना
      वाक्य – वह अपने शिक्षक के सामने भीगी बिल्ली हो जाता है।

      19) भानमती का कुनबा जोड़ना – अलग-अलग तरह की चीजें जोड़ना या इकट्ठा करना
      वाक्य – राजू ने अपने ऑफिस में भानमती का कुनबा जोड़ा हुआ है, उसमें सभी तरह के लोग हैं।

      20) भरी थाली में लात मारना – लगी लगाई नौकरी छोड़ना
      वाक्य – राजू ने भरी थाली में लात मारकर अच्छा नहीं किया।

      21) भेड़ की खाल में भेड़िया – देखने में सरल तथा भोलाभाला, पर वास्तव में खतरनाक
      वाक्य – कालू तो भेड़ की खाल में भेड़िया है।

      22) भैंस के आगे बीन बजाना – वज्र मूर्ख के सामने बुद्धिमानी की बातें करना
      वाक्य – राजू को कोई बात समझाना तो भैंस के आगे बीन बजाना है।

      23) भाड़े का टट्टू – किराए का आदमी
      वाक्य – मेहनत के काम भाड़े के टट्टुओं से नहीं होते। खुद मेहनत करनी पड़ती है।

       म से शुरू होने वाले मुहावरे 

      1) मुँह में पानी आना – लालच होना
      वाक्य – मिठाई देखते ही विद्या के मुँह में पानी भर आया।

      2) मैदान मारना – बाजी जीतना
      वाक्य – पानीपत की लड़ाई में आखिर काबुल के तैमूरी शासक ज़हीर उद्दीन मोहम्मद बाबर ही ने मैदान मारा।

      3) मैदान साफ होना – कोई रुकावट न होना
      वाक्य – जब रात को सब लोग सो गए और पुलिस वाले भी चले गए तो चोरों को लगा कि अब मैदान साफ है और सामने वाले घर में घुसा जा सकता है।

      4) मिट्टी के मोल बिकना – बहुत सस्ता
      वाक्य – जो चीज मिट्टी के मोल थी आज की मँहगाई में सोने के भाव बिक रही है।

      5) मीठी छुरी – छली-कपटी मनुष्य
      वाक्य – राधा तो मीठी छुरी है, मैं उसकी बातों में नहीं आती।

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      6) मगरमच्छ के आँसू – दिखावटी सहानुभूति प्रकट करना
      वाक्य – राम के फेल होने पर उसके साथी मगरमच्छ के आँसू बहाने लगे।

      7) मरने को भी छुट्टी न होना – अत्यधिक व्यस्त रहना
      वाक्य – आचार्य जी के पास तो मरने की भी छुट्टी नहीं होती।

      8) मस्तक ऊँचा करना – प्रतिष्ठा बढ़ाना
      वाक्य – डॉक्टरी पास करके रवि ने अपने माँ-बाप का मस्तक ऊँचा कर दिया।

      9) मिजाज आसमान पर होना – बहुत घमंड होना
      वाक्य – नई कार खरीदने के बाद शंभू का मिजाज आसमान पर हो गया है।

      10) मुँह चुराना – सम्मुख न आना
      वाक्य – चोरी का इल्जाम लगने पर सोहन सबसे मुँह चुराता फिर रहा है।

      11) मुँह में खून लगना – अनुचित लाभ की आदत पड़ना
      वाक्य – इस थानेदार के मुँह में खून लग गया है। बेचारे गरीब सब्जी वालों से भी हफ़्ता-वसूली करता है।

      12) मुँह मोड़ना – उपेक्षा करना
      वाक्य – जब ईश्वर ही मुँह मोड़ लेता है तब दुनिया में कोई सहारा नहीं बचता।

      13) मूँछों पर ताव देना – वीरता की अकड़ दिखाना
      वाक्य – ज्यादा मूँछों पर ताव मत दो, बजरंग आ गया तो सारी हेकड़ी निकल जाएगी।

      14) मूली-गाजर समझना – अति तुच्छ समझना
      वाक्य – आतंकवादी आम जनता को मूली-गाजर समझते हैं।

      15) म्यान से बाहर होना – अत्यन्त क्रुद्ध होना
      वाक्य – अशोक जरा-सी बात पर म्यान से बाहर हो गया।

      16) मन उड़ा-उड़ा सा रहना – मन स्थिर न रहना
      वाक्य – पति के आने के इंतजार में मधु का मन आजकल उड़ा-उड़ा सा रहता है।

      17) मजा किरकिरा होना – आनंद में विघ्न पड़ना
      वाक्य – बार-बार बिजली आती-जाती रही इसलिए फ़िल्म का सारा मजा किरकिरा हो गया।

      18) मन मसोस कर रह जाना – मन के भावों को मन में ही दबा देना
      वाक्य – जब मजदूरों की बातें सरकार ने नहीं मानी तो बेचारे मन मसोस कर रह गए।

      19) मन में चोर होना – मन में धोखा-फरेब होना
      वाक्य – जिसके मन में चोर होता है वही हमेशा अविश्वसनीय बातें करता है।

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      20) माथा-पच्ची करना – सिर खपाना
      वाक्य – हम लोग सुबह से माथा-पच्ची कर रहे हैं, पर कुछ सवालों को हल नहीं कर पाए हैं।

      21) मिलीभगत होना – गुप्त सहमति होना
      वाक्य – पुलिसवालों की मिलीभगत थी, इसलिए चोर जेल से गायब हो गए।

      22) मोर्चा लेना – युद्ध करना
      वाक्य – जब तक हमारी सेना दुश्मन की सेना के साथ मोर्चा नहीं लेगी तब तक ये लोग इसी तरह की आतंकवादी गतिविधियाँ करते रहेंगे।

      23) मोल-भाव करना – कीमत घटा-बढ़ा कर सौदा करना
      वाक्य – पिता जी ने समझाया था कि जब भी कुछ खरीदो मोल-भाव अवश्य कर लो।

      24) मुठभेड़ होना – सामना होना
      वाक्य – हुमायूँ और शेरशाह में चौसा के निकट मुठभेड़ हो गयी।

      25) मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ना – बिना काम किये दूसरों का अन्न खाना
      वाक्य – कुछ लोगों को मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ने की आदत होती है।

       य, र से शुरू होने वाले मुहावरे 

      1) यमपुर पहुँचाना – मार डालना
      वाक्य – पुलिस ने चोर को मारमार कर यमपुर पहुँचा दिया।

      2) युक्ति लड़ाना – उपाय करना
      वाक्य – अशोक हमेशा पैसा कमाने की युक्ति लड़ाता रहता।

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      3) यारी गाँठना – मित्रता करना
      वाक्य – पुलिस वालों से यारी गाँठना कभी-कभी महँगा पड़ जाता है।

      4) रंग में भंग पड़ना – बिघ्न या बाधा पड़ना
      वाक्य – मीरा की शादी में कुछ असामाजिक तत्वों के आने से रंग में भंग पड़ गया।

      5) रँगा सियार – धोखेबाज आदमी
      वाक्य – मैं सोहन पर विश्वास करता था पर वह तो रँगा सियार निकला, मेरा सारा पैसा लेकर भाग गया।

      6) रंगे हाथों पकड़ना – अपराध करते हुए पकड़ना
      वाक्य – पुलिस ने चोर को रंगे हाथों पकड़ लिया।

      7) रास्ते का काँटा – उन्नति या प्रगति में बाधक
      वाक्य – मोहन की कड़वी जुबान उसके रास्ते का काँटा हैं।

      8) राह में रोड़ा पड़ना – काम में बाधा आना
      वाक्य – राह में तमाम रोड़े पड़ने पर साहसी लोग कभी नहीं रुकते।

      9) रास्ते पर लाना – सुधारना
      वाक्य – महात्माजी ने अनेक पथ भ्रष्ट लोगों को रास्ते पर ला दिया है।

      10) रोशनी डालना – स्पष्ट करना
      वाक्य – अध्यापक कक्षा में सभी विषयों पर अच्छे से रोशनी डालते हैं।

      11) रहम खाना – दया करना
      वाक्य – राम ने दुकानदार से कहा बेचारी विधवा पर रहम खाओ और उसका कर्जा माफ कर दो।

      12) रामबाण औषधि – अचूक दवा
      वाक्य – प्राणायाम ही समस्त रोगों की रामबाण औषध है।

      13) रस लेना – आनंद लेना
      वाक्य – आजकल कोई भी कवि-गोष्ठियों में रस नहीं लेता।

      14) रस्सी ढीली छोड़ना – ढील देना
      वाक्य – जब से उसने रस्सी ढीली छोड़ दी, तब से उसका लड़का बिगड़ गया।

      15) रसातल को पहुँचना – बर्बाद करना
      वाक्य – यदि मुझसे भिड़ोगे, तो रसातल को पहुँचा दूँगा।

      16) रोंगटे खड़े होना – भय, शोक, हर्ष आदि के कारण रोमांचित होना
      वाक्य – रात को डर के मारे मेरी पत्नी के रोंगटे खड़े हो गए।

      17) रक्तपात मचाना – मार-काट करना
      वाक्य – महाभारत-युद्ध में बड़ा ही रक्तपात मचा।

       ल, व से शुरू होने वाले मुहावरे 

      1) लोहे के चने चबाना – कठिनाई झेलना
      वाक्य – भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना को लोहे के चने चबाने पड़े।

      2) लकीर का फकीर होना – पुरानी प्रथा पर ही चलना
      वाक्य – पिताजी अब तक लकीर के फकीर ही है। टेबुल पर नही, चौके में ही खायेंगे।

      3) लोहा मानना – किसी के प्रभुत्व को स्वीकार करना
      वाक्य – क्रिकेट के क्षेत्र में आज सारे देशों की टीमें भारतीय टीम का लोहा मानती हैं।

      4) लेने के देने पड़ना – लाभ के बदले हानि
      वाक्य – नया काम करते हुए सोच-समझकर आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि नए काम में लेने के देने भी पड़ जाते हैं।

      5) लुटिया डूबना – काम चौपट हो जाना
      वाक्य – रामू ने नया कारोबार किया था, उसकी लुटिया डूब गई।

      6) लगाम कड़ी करना – सख्ती से नियंत्रण करना/सख्ती करना
      वाक्य – प्रधानाचार्य ने लगाम कड़ी की तो सभी समय पर आने लगे।

      7) लाख टके की बात – अत्यंत उपयोगी और सारगर्भित बात
      वाक्य – आचार्य जी हमेशा लाख टके की बात कहते हैं।

      8) लोहा लेना – सामना करना
      वाक्य – 1857 के संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लोहा लिया।

      9) लहू का घूँट पीकर रह जाना – विवशतावश क्रोध को पीकर रह जाना
      वाक्य – गलती न करने पर भी जब उस दरोगा ने जेल में बंद करने की धमकी दी तो मैं लहू का घूँट पीकर रह गया।

      10) लीप-पोत कर बराबर करना – सर्वस्व बर्बाद कर देना
      वाक्य – जब से वह कंपनी का मैनेजर हुआ, उसने कंपनी का सारा हिसाब लीप-पोत कर बराबर कर दिया।

      11) वज्र टूटना – भारी विपत्ति आना
      वाक्य – रामू के पिताजी के मरने के पश्चात् उस पर वज्र टूट पड़ा।

      12) विष घोलना – किसी के मन में शक या ईर्ष्या पैदा करना
      वाक्य – राजू ने बनी-बनाई बात में विष घोल दिया।

      13) विष उगलना – कड़वी बात कहना
      वाक्य – कालू हमेशा राजू के खिलाफ विष उगलता रहता है।

      14) वेद वाक्य – सौ प्रतिशत सत्य
      वाक्य – हमारे शिक्षक की कही हर बात वेद वाक्य है।

      15) वीरगति को प्राप्त होना – मर जाना
      वाक्य – राणा प्रताप ने मुगल सेना का डट कर सामना किया और अंत में वीरगति को प्राप्त हुए।

      16) वक़्त पर काम आना – विपत्ति में मदद करना
      वाक्य – सच्चे दोस्त ही वक्त पर काम आते हैं।

      17) वार खाली जाना – चाल सफल न होना
      वाक्य – पाकिस्तान ने जब भी कश्मीर पर कब्ज़ा करना चाहा उसका वार खाली गया।

      (श, ष से शुरू होने वाले मुहावरे)

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      1) शैतान की खाला – बहुत ही दुष्ट स्त्री
      वाक्य – शांति तो शैतान की खाला है।

      2) शंख के शंख रहना – मूर्ख के मूर्ख बने रहना
      वाक्य – सबके इतना समझाने के बाद भी शंभू तो शंख का शंख ही रहा।

      3) शक़्कर से मुँह भरना – खुशखबरी सुनाने वाले को मिठाई खिलाना
      वाक्य – रमेश ने दसवीं पास होने पर अपने मित्रों का शक़्कर से मुँह भर दिया।

      4) शह देना – उत्साह बढ़ाना
      वाक्य – राम राधा को शह न देता तो उनकी मजाल थी कि वह गोपी को यूँ आँखें दिखाती।

      5) शेर होना – निर्भय और घृष्ट होना
      वाक्य – पुरानी कहावत है – अपनी गली में तो कुत्ते भी शेर होता है।

      6) शैतान का बच्चा – बहुत नीच और दुष्ट आदमी
      वाक्य – वह वकील तो शैतान का बच्चा है, गरीबों की मजबूरियों का फायदा उठाता है।

      7) शिकस्त देना – पराजित करना
      वाक्य – शतरंज के खेल में मुझे कोई शिकस्त नहीं दे सकता।

      8) शीशे में अपना मुँह देखना – अपनी योग्यता पर विचार करना
      वाक्य – पहले शीशे में अपना मुँह देखना चाहिए तब किसी और के बारे में राय बनानी चाहिए।

      9) शहीद होना – कुर्बान होना
      वाक्य – आजादी के लिए कितने दीवाने शहीद हो गये।

      10) श्रीगणेश करना – शुभारम्भ करना
      वाक्य – कोई शुभ दिन देखकर किसी शुभ कर्म का श्रीगणेश करना चाहिए।

      (स से शुरू होने वाले मुहावरे)

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      1) साँप-छछूंदर की हालत – दुविधा
      वाक्य – पिता अलग नाराज है, माँ अलग। किसे क्या कहकर मनाऊँ? इन दिनों मेरी तो साँप-छछूंदर की हालत है।

      2) समझ (अक्ल) पर पत्थर पड़ना – बुद्धि भ्रष्ट होना
      वाक्य – रावण की समझ पर पत्थर पड़ा था कि भला कहने वालों को उसने लात मारी।

      3) सवा सोलह आने सही – पूरे तौर पर ठीक
      वाक्य – राम की सेना में हनुमान इसलिए श्रेष्ठ माने जाते थे कि हर काम में वे ही सवा सोलह आने सही उतरते थे।

      4) सर धुनना – शोक करना
      वाक्य – रमा परीक्षा में असफल होने पर सर धुनने लगी।

      5) सफेद झूठ – सरासर झुठ
      वाक्य – यह सफेद झूठ है कि मैंने विद्या को गाली दी।

      6) सरकारी मेहमान – कैदी
      वाक्य – मुन्ना झूठे आरोप में ही सरकारी मेहमान बन गया।

      7) सराय का कुत्ता – स्वार्थी आदमी
      वाक्य – सब जानते हैं कि अभिषेक तो सराय का कुत्ता है तभी उसका कोई मित्र नहीं है।

      8) साँप लोटना – ईर्ष्या आदि के कारण अत्यन्त दुःखी होना
      वाक्य – राजू की सरकारी नौकरी लग गई तो पड़ोसी के साँप लोट गया।

      9) सिर आँखों पर बिठाना – बहुत आदर-सत्कार करना
      वाक्य – घर पर आए गुरुजी को छात्र ने सिर आँखों पर बिठा लिया।

      10) सिर पर कफ़न बाँधना – मरने के लिए तैयार रहना
      वाक्य – सैनिक सीमा पर सिर पर कफ़न बाँधे रहते हैं।

      11) सिर पर पाँव रख कर भागना – बहुत तेजी से भाग जाना
      वाक्य – पुलिस को देख कर डाकू सिर पर पाँव रख कर भाग गए।

      12) सिर पर आ जाना – बहुत नजदीक होना
      वाक्य – परीक्षा मेरे सिर पर आ गयी है, अब मुझे खूब पढ़ना चाहिए।

      13) सींकिया पहलवान – दुबला-पतला व्यक्ति, जो स्वयं को बलवान समझता है।
      वाक्य – शामू सींकिया पहलवान है फिर भी वह अपने आपको दारासिंह समझता है।

      14) सेर को सवा सेर मिलना – किसी जबरदस्त व्यक्ति को उससे भी बलवान या अच्छा व्यक्ति मिलना
      वाक्य – राजू अपने आप को बहुत बलवान समझता था, अब मोहन के आ जाने से सेर को सवा सेर मिल गया, अब राजू को मजा आएगा।

      15) सोने की चिड़िया – धनी देश
      वाक्य – हिन्दुस्तान इंग्लैण्ड के लिए सोने की चिड़ियाँ था।

      16) संतोष की साँस लेना – राहत अनुभव करना
      वाक्य – बच्चे को गोद में लेकर नदी पार कर ली तब जाकर संतोष की साँस ली।

      17) सठिया जाना – बुद्धि नष्ट हो जाना
      वाक्य – पंकज अब सठिया गया है, इसलिए बहकी बातें करने लगा है। उसकी बातों का बुरा मत मानो।

      18) समाँ बाँधना – रंग जमाना
      वाक्य – आज लता जी ने कार्यक्रम में समाँ बाँध दिया।

      19) सरपट दौड़ाना – तेज दौड़ाना
      वाक्य – राणा प्रताप का घोड़ा चेतक युद्ध में सरपट दौड़ता था।

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      20) साँप को दूध पिलाना – दुष्ट को आश्रय देना
      वाक्य – नेताजी ने अपनी सुरक्षा के लिए एक गुंडे को रख लिया पर एक दिन उसी गुंडे ने गुस्से में नेताजी का ही खून कर दिया, इसलिए कहा जाता है कि साँप को दूध पिलाना अक्लमंदी नहीं है।

      21) साँप सूँघ जाना – हक्का बक्का रह जाना
      वाक्य – दुष्ट लोग बहुत गुंडागर्दी कर रहे थे, जब थानेदार साहब को देखा तो साँप सूँघ गया।

      22) सात खून माफ करना – बहुत बड़े अपराध माफ करना
      वाक्य – श्याम तो पंडितजी का इतना प्यारा है कि उसे तो सात खून माफ हैं। वह कुछ भी कर दोगा तो भी कोई भी कुछ नहीं कहेगा।

      23) सात परदों में रखना – छिपाकर रखना
      वाक्य – सुशील ने सेठजी को धमकी दी थी कि यदि वे अपनी बेटी को सात परदों में भी छिपाकर रखेंगे तो भी वह उसे ले जाएगा और उसी से शादी करेगा।

      24) सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना – बहुत डर जाना
      वाक्य – जब उस लड़के ने पिस्तौल निकाल ली तो वहाँ खड़े सब लोगों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई।

      25) सिर पर तलवार लटकना – खतरा होना
      वाक्य – इस कंपनी में नौकरी करने पर हमेशा सिर पर तलवार ही लटकी रहती है कि कब कोई गलती हुई और नौकरी से निकाल दिए गए।

      26) सुईं का भाला बनाना – छोटी-सी बात को बढ़ाना
      वाक्य – आपसी झगड़े में हुई बात को वहीं समाप्त कर लेना चाहिए, सुईं का भाला बनाने से कोई फायदा नहीं होता।

      27) सोने पे सुहागा – बेहतर होना
      वाक्य – सेठ दीनानाथ पहले से ही करोड़पति थे और अब उनकी लॉटरी भी निकल आई। इसे कहते हैं सोने पे सुहागा।

      (ह से शुरू होने वाले मुहावरे )

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      1) हाथ पैर मारना – काफी प्रयास
      वाक्य – राम ने बहुत हाथ पैर मारे फिर भी वह परीक्षा में सफल नहीं हुआ।

      2) हाथ देना – सहायता करना
      वाक्य – नेता जी के हाथ दिये बिना राम का काम नहीं हो सकता था।

      3) हथियार डाल देना – हार मान लेना
      वाक्य – कारगिल की लड़ाई में पाकिस्तान ने हथियार डाल दिए थे।

      4) हड्डी-पसली एक करना – खूब मारना-पीटना
      वाक्य – बदमाशों ने काशी की हड्डी-पसली एक कर दी।

      5) हथेली पर सरसों जमाना – कोई कठिन काम तुरन्त करना
      वाक्य – जब सीमा ने राजू को दो घंटे में पूरी किताब याद करने को कहा तो राजू ने हथेली पर सरसों जमाने के लिए मना कर दिया।

      6) हवा उड़ना – खबर या अफवाह फैलाना
      वाक्य – एक बार हमारे गाँव में हवा उड़ी थी कि एक पहुँचे हुए महात्मा आए हैं, जो कि सच नहीं थी।

      7) हवा में किले बनाना – काल्पनिक योजनाएँ बनाना
      वाक्य – शंभू तो हमेशा हवा में किले बनाता रहता है।

      8) हवा से बातें करना – हवा की तरह तेज दौड़ाना
      वाक्य – राणा प्रताप का घोड़ा चेतक हवा से बातें करता था।

      9) हाथ का खिलौना – किसी के आदेश के अनुसार काम करने वाला व्यक्ति
      वाक्य – बेचारा राजू इन दुष्टों के हाथ का खिलौना बन गया है।

      10) हालत खस्ता होना – कष्टमय परिस्थिति होना
      वाक्य – बेरोजगारी में धरमचंद की हालत खस्ता है।

      11) होंठ काटना – क्रोधित होना
      वाक्य – रामू का जवाब सुनकर उसके पिताजी ने होंठ काट लिए।

      12) हरी झंडी दिखाना – आगे बढ़ने का संकेत करना
      वाक्य – नेता जी के घर में बिना हरी झंडी दिखाए कोई काम शुरू नहीं कर सकते।

      13) हाथ को हाथ न सूझना – घना अंधकार होना
      वाक्य – घर में पार्टी चल रही थी कि अचानक बिजली चली गई। चारों ओर अँधेरा छा गया, हाथ को हाथ भी नहीं सूझ रहा था।

      14) हुक्का पानी बंद करना – जाति से बाहर कर देना
      वाक्य – रमाकांत की बेटी ने अंतर्जातीय विवाह किया तो सारे गाँव के लोगों ने उसका हुक्का-पानी बंद कर दिया।

      15) हेकड़ी निकालना – अभिमान चूर करना
      वाक्य – यदि कोई रमेश से टक्कर लेता है तो वह सबकी हेकड़ी निकाल लेता है।

      16) होश सँभालना – वयस्क होना, समझदार होना
      वाक्य – बेचारे ने जब से होश सँभाला है तभी से गृहस्थी की चिंता में फँस गया है।

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      17) हौसला पस्त होना – हतोत्साहित होना
      वाक्य – जब बहुत मेहनत करने के बाद भी मनोनुकूल परिणाम नहीं मिलता तो हौसला पस्त होना स्वाभाविक ही है।

      18) हौसला बढ़ाना – हिम्मत बढ़ाना
      वाक्य – अध्यापकों को चाहिए कि वे बच्चों का हौसला बढ़ाते रहें तभी बच्चे कुछ अच्छा कर पाएँगे।

लोकोक्तियाँ एवं कहावतें

  1. बाँझ का जाने प्रसव की पीड़ा अर्थः पीड़ा को सहकर ही समझा जा सकता है।
  2. बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे अर्थः रक्षक का भक्षक हो जाना।
  3. बाप भला न भइया, सब से भला रूपइया अर्थः धन ही सबसे बड़ा होता है।
  4. बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़ अर्थः छोटे का बड़े से बढ़ जाना।
  5. बाप से बैर, पूत से सगाई अर्थः पिता से दुश्मनी और पुत्र से लगाव।
  6. बारह गाँव का चौधरी अस्सी गाँव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी-तैसी में जाव अर्थः बड़ा होकर यदि किसी के काम न आए, तो बड़प्पन व्यर्थ है।
  7. बारह बरस पीछे घूरे के भी दिन फिरते हैं अर्थः एक न एक दिन अच्छे दिन आ ही जाते हैं।
  8. बासी कढ़ी में उबाल नहीं आता अर्थः काम करने के लिए शक्ति का होना आवश्यक होता है।
  9. बासी बचे न कुत्ता खाय अर्थः जरूरत के अनुसार ही सामान बनाना।
  10. बिंध गया सो मोती, रह गया सो सीप अर्थः जो वस्तु काम आ जाए वही अच्छी।
  11. बिच्छू का मंतर न जाने, साँप के बिल में हाथ डाले अर्थः मूर्खतापूर्ण कार्य करना।
  12. बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती अर्थः बिना यत्न किए कुछ भी नहीं मिलता।
  13. बिल्ली और दूध की रखवाली? अर्थः भक्षक रक्षक नहीं हो सकता।
  14. बिल्ली के सपने में चूहा अर्थः जरूरतमंद को सपने में भी जरूरत की ही वस्तु दिखाई देती है।
  15. बिल्ली गई चूहों की बन आयी अर्थः डर खत्म होते ही मौज मनाना।
  16. बीमार की रात पहाड़ बराबर अर्थः खराब समय मुश्किल से कटता है।
  17. बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम अर्थः वय के हिसाब से ही काम करना चाहिए।
  18. बुढ़ापे में मिट्टी खराब अर्थः बुढ़ापे में इज्जत में बट्टा लगना।
  19. बुढि़या मरी तो आगरा तो देखा अर्थः प्रत्येक घटना के दो पहलू होते हैं – अच्छा और बुरा।
  20. लिखे ईसा पढ़े मूसा अर्थः गंदी लिखावट।
  21. अंडा सिखावे बच्चे को कि चीं-चीं मत कर अर्थः जब कोई छोटा बड़े को उपदेश दे।
  22. अन्त भले का भला अर्थः जो भले काम करता है, अन्त में उसे सुख मिलता है।
  23. अंधा क्या चाहे, दो आंखे अर्थः आवश्यक या अभीष्ट वस्तु अचानक या अनायास मिल जाती है।
  24. अंधा बांटे रेवड़ी फिर-फिर अपने को ही दे अर्थः अधिकार पाने पर स्वार्थी मनुष्य अपने ही लोगों और इष्ट-मित्रों को ही लाभ पहुंचाते हैं।
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  25. अंधा सिपाही कानी घोड़ी, विधि ने खूब मिलाई जोड़ी अर्थः जहां दो व्यक्ति हों और दोनों ही एक समान मूर्ख, दुष्ट या अवगुणी हों।
  26. अंधी पीसे, कुत्ते खायें अर्थः मूर्खों को कमाई व्यर्थ नष्ट होती है।
  27. अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवे अर्थः मूर्खों को सदुपदेश देना या उनके लिए शुभ कार्य करना व्यर्थ है।
  28. अंधे को अंधेरे में बहुत दूर की सूझी अर्थः जब कोई मूर्ख मनुष्य बुद्धिमानी की बात कहता है।
  29. अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा अर्थः जहां मालिक मूर्ख होता है, वहां गुण का आदर नहीं होता।
  30. अंधों में काना राजा अर्थः मूर्खों या अज्ञानियों में अल्पज्ञ लोगों का भी बहुत आदर होता है।
  31. अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग अर्थः कोई काम नियम-कायदे से न करना।
  32. अपनी पगड़ी अपने हाथ अर्थः अपनी इज्जत अपने हाथ होती है।
  33. अमानत में खयानत अर्थः किसी के पास अमानत के रूप में रखी कोई वस्तु खर्च कर देना।
  34. अस्सी की आमद, चौरासी खर्च अर्थः आमदनी से अधिक खर्च।
  35. अति सर्वत्र वर्जयेत् अर्थः किसी भी काम में हमें मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
  36. अपनी करनी पार उतरना –
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  1. अंत भला तो सब भला अर्थः परिणाम अच्छा हो जाए तो सब कुछ माना जाता है।
  2. अंधे की लकड़ी अर्थः बेसहारे का सहारा
  3. अपना रख पराया चख अर्थः निजी वस्तु की रक्षा एवं अन्य वस्तु का उपभोग
  4. अच्छी मति जो चाहो बूढ़े पूछन जाओ अर्थः बड़े बूढ़ों की सलाह से कार्य सिद्ध हो सकते हैं।
  5. अब की अब, जब की जब के साथ अर्थः सदा वर्तमान की ही चिन्ता करनी चाहिए
  6. अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागना अर्थः पूर्ण स्वतंत्र होना
  7. अपने झोपड़े की खैर मनाओ अर्थः अपनी कुशल देखो /
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  8. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता/फोड़ता अर्थः अकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता।
  9. अक्ल के अंधे, गाँठ के पूरे अर्थः निर्बुद्धि धनवान्
  10. अक्ल बड़ी की भैंस अर्थः बुद्धि शारीरिक शक्ति से श्रेष्ठ होती है।
  11. अटका बनिया दे उधार अर्थः जिस बनिये का मामला फंस जाता है, वह उधार सौदा देता है।
  12. अति भक्ति चोर के लक्षण अर्थः यदि कोई अति भक्ति का प्रदर्शन करे तो समझना चाहिए कि वह कपटी और दम्भी है।
  13. अधजल/अधभर गगरी छलकत जाय अर्थः जिसके पास थोड़ा धन या ज्ञान होता है, वह उसका प्रदर्शन करता है।
  14. अधेला न दे, अधेली दे अर्थः भलमनसाहत से कुछ न देना पर दबाव पड़ने पर या फंस जाने पर आशा से अधिक चीज दे देना।
    1. अनदेखा चोर बाप बराबर अर्थः जिस मनुष्य के चोर होने का कोई प्रमाण न हो, उसका अनादर नहीं करना चाहिए।
    2. अनमांगे मोती मिले मांगे मिले न भीख अर्थः संतोषी और भाग्यवान् को बैठे-बिठाये बहुत कुछ मिल जाता है परन्तु लोभी और अभागे को मांगने पर भी कुछ नहीं मिलता।
    3. अपना घर दूर से सूझता है अर्थः अपने मतलब की बात कोई नहीं भूलता। या प्रियजन सबको याद रहते हैं।
    4. अपना पैसा सिक्का खोटा तो परखैया का क्या दोष? अर्थः यदि अपने सगे-सम्बन्धी में कोई दोष हो और कोई अन्य व्यक्ति उसे बुरा कहे, तो उससे नाराज नहीं होना चाहिए।
    5. अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीख अर्थः अपना धन खोकर दूसरों से छोटी-छोटी चीजें मांगना।
    6. अपना हाथ जगन्नाथ का भात अर्थः दूसरे की वस्तु का निर्भय और उन्मुक्त उपभोग।
    7. अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है अर्थः मनुष्य स्वयं को सबसे बुद्धिमान समझता है और दूसरे की संपत्ति उसे ज्यादा लगती है।
    8. अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग अर्थः सब लोगों का अपनी-अपनी धुन में मस्त रहना।
    9. अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है अर्थः अपने घर या मोहल्ले आदि में सब लोग बहादुर बनते हैं।
    10. अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे अर्थः अपना दोष न देखकर दूसरे के छोटे अवगुण पर ध्यान देना।
    11. अपने घर में दीया जलाकर तब मस्जिद में जलाते हैं अर्थः पहले स्वार्थ पूरा करके तब परमार्थ या परोपकार किया जाता है।
    12. अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता अर्थः अपनी चीज को कोई बुरा नहीं कहता।
    13. अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं दिखता अर्थः अपने किये बिना काम नहीं होता।
    14. अपने मुंह मियां मिळू अर्थः अपने मुंह से अपनी बड़ाई करने वाला व्यक्ति।
    15. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत अर्थः काम बिगड़ जाने पर पछताने और अफसोस करने से कोई लाभ नहीं होता।
    16. अभी दिल्ली दूर है अर्थः अभी काम पूरा होने में देर है।
    17. अमीर को जान प्यारी, फकीर/गरीब एकदम भारी अर्थः अमीर विषय-भोग के लिए बहुत दिन जीना चाहता है, लेकिन खाने की कमी के कारण गरीब आदमी जल्द मर जाना चाहता है।
    18. अरध तजहिं बुध सरबस जाता अर्थः जब सर्वनाश की नौबत आती है तब बुद्धिमान लोग आधे को छोड़ देते हैं और आधे को बचा लेते हैं।
    19. अशर्फियों की लूट और कोयलों पर छाप/मोहर अर्थः बहुमूल्य पदार्थों की परवाह न करके छोटी-छोटी वस्तुओं की रक्षा के लिए विशेष चेष्टा करने पर उक्ति।
    20. अशुभस्य काल हरणम् अर्थः जहां तक हो सके, अशुभ समय टालने का प्रयत्न करना चाहिए।
    21. अहमक से पड़ी बात, काढ़ो सोटा तोड़ो दांत अर्थः मूर्खों के साथ कठोर व्यवहार करने से काम चलता है।
    22. आंख के अंधे नाम नयनसुख अर्थः नाम और गुण में विरोध होना, गुणहीन को बहुत गुणी कहना।
    23. आंखों के आगे पलकों की बुराई अर्थः किसी के भाई-बन्धुओं या इष्ट-मित्रों के सामने उसकी बुराई करना।
    24. आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होता अर्थः अपने कुटुम्बियों को खिलाना-पिलाना नहीं खलता। या काम की चीज महंगी नहीं जान पड़ती।
    25. आंसू एक नहीं और कलेजा टूक-टूक अर्थः दिखावटी रोना।
    26. आई है जान के साथ जाएगी जनाजे के साथ अर्थः वह विपत्ति या बीमारी जो आजीवन बनी रहे।
    27. आ गई तो ईद बारात नहीं तो काली जुम्मे रात अर्थः पैसे हुए तो अच्छा खाना खायेंगे, नहीं तो रूखा-सूखा ही सही।
    28. आई मौज फकीर को, दिया झोपड़ा फूंक अर्थः विरक्त (बिगड़ा हुए) पुरुष मनमौजी होते हैं।
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    1. आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास अर्थः जिस काम के लिए गए थे, उसे छोड़कर दूसरे काम में लग गए।
    2. आगे कुआं, पीछे खाई अर्थः दोनों तरफ विपत्ति होना।
    3. आगे नाथ न पीछे पगहा, सबसे भला कुम्हार का गदहा अर्थः जिस मनुष्य के कुटुम्ब में कोई न हो और जो स्वयं कमाता और खाता हो और सब प्रकार की चिंताओं से मुक्त हो।
    4. आठों पहर चौंसठ घड़ी अर्थः हर समय, दिन-रात।
    5. आठों गांठ कुम्मैत अर्थः पूरा धूर्त, घुटा हुआ।
    6. आत्मा सुखी तो परमात्मा सुखी अर्थः पेट भरता है तो ईश्वर की याद आती है।
    7. आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रहे न सारी पावे अर्थः अधिक लालच करना अच्छा नहीं होता; जो मिले उसी से सन्तोष करना चाहिए।
    8. आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए अर्थः जो आपका आदर न करे आपको भी उसका आदर नहीं करना चाहिए।
    9. आप जाय नहीं सासुरे, औरन को सिखि देत अर्थः आप स्वयं कोई काम न करके दूसरों को वही काम करने का उपदेश देना।
    10. आप तो मियां हफ्तहजारी, घर में रोवें कर्मों मारी अर्थः जब कोई मनुष्य स्वयं तो बड़े ठाट-बाट से रहता है पर उसकी स्त्री बड़े कष्ट से जीवन व्यतीत करती है तब ऐसा कहते हैं।
    11. आप मरे जग परलय अर्थः मृत्यु के बाद की चिन्ता नहीं करनी चाहिए।
    12. आप मियां मांगते दरवाजे खड़ा दरवेश अर्थः जो मनुष्य स्वयं दरिद्र है वह दूसरों को क्या सहायता कर सकता है?
    13. आ बैल मुझे मार अर्थः जान-बूझकर विपत्ति में पड़ना।
    14. आम के आम गुठलियों के दाम अर्थः किसी काम में दोहरा लाभ होना।
    15. आम खाने से काम, पेड़ गिनने से क्या काम? अर्थः जब कोई मतलब का काम न करके फिजूल बातें करता है तब इस कहावत का प्रयोग करते हैं।
    16. आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर अर्थः अमीर-गरीब सभी को मरना है।
    17. आरत काह न करै कुकरमू अर्थः दुःखी मनुष्य को भले और बुरे कर्म का विचार नहीं रहता।
    18. आस पराई जो तके, जीवित ही मर जाए अर्थः जो दूसरों पर निर्भर रहता है, वह जीवित रहते हुए भी मरा हुआ होता है।
    19. आस-पास बरसे, दिल्ली पड़ी तरसे अर्थः जिसे जरूरत हो, उसे न मिलकर किसी चीज का दूसरे को मिलना।
    20. इक नागिन अस पंख लगाई अर्थः किसी भयंकर चीज का किसी कारणवश और भी भयंकर हो जाना।
    21. इन तिलों में तेल नहीं निकलता अर्थः ऐसे कंजूसों से कुछ प्रप्ति नहीं होती।
    22. इच्छा है तो मिल जाएगी अर्थः इच्छा शक्ति और भगवान की कृपा से सब कुछ प्राप्त हो सकता है।
    23. इब्तिदा-ए-इश्क है, रोता है क्या, आगे-आगे देखिए, होता है क्या अर्थः अभी तो कार्य का आरंभ है; इसे ही देखकर घबरा गए, आगे देखो क्या होता है।
    24. इसके पेट में दाढ़ी है अर्थः इसकी अवस्था बहुत कम है तथापि यह बहुत बुद्धिमान है।
    25. इहां कुम्हड़ बतिया कोउ नाहीं, जो तर्जनि देखत मरि जाहीं अर्थः जब कोई झूठा रोब दिखाकर किसी को डराना चाहता है।
    26. इहां न लागहि राउरि माया अर्थः यहां कोई आपके धोखे में नहीं आ सकता।
    27. ईश रजाय सीस सबही के अर्थः ईश्वर की आज्ञा सभी को माननी पड़ती है।
    28. ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया अर्थः भगवान की माया विचित्र है। संसार में कोई सुखी है तो कोई दुःखी, कोई धनी है तो कोई निर्धन।
    29. उधरे अन्त न होहिं निबाह । कालनेमि जिमि रावण राहू।। अर्थः जब किसी कपटी आदमी को पोल खुल जाती है, तब उसका निर्वाह नहीं होता। उस पर अनेक विपत्ति आती है।
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    30. उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय अर्थः छोटे व्यक्ति के पास यदि कोई ज्ञान है, तो उसे ग्रहण करना चाहिए।
    31. उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई अर्थः जब इज्जत ही नहीं है तो डर किसका?
    32. उधार का खाना और फूस का तापना बराबर है अर्थः फूस की आग बहुत देर तक नहीं ठहरती। इसी प्रकार कोई व्यक्ति बहुत दिनों तक उधार लेकर अपना खर्च नहीं चला सकता।
    33. उमादास जोतिष की नाई, सबहिं नचावत राम गोसाई अर्थः मनुष्य का किया कुछ नहीं होता। मनुष्य को ईश्वर की इच्छा के अनुसार काम करना पड़ता है।
    34. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे अर्थः अपना अपराध स्वीकार न करके पूछने वाले को डांटने-फटकारने या दोषी ठहराने पर उक्ति(कथन)।
    35. उसी की जूती उसी का सिर अर्थः किसी को उसी की युक्ति(वस्तु)से बेवकूफ बनाना।
    36. ऊंची दुकान फीके पकवान अर्थः जिसका नाम तो बहुत हो, पर गुण कम हो।
    37. ऊंट के गले में बित्ली अर्थः अनुचित, अनुपयुक्त या बेमेल संबंध विवाह।
    38. ऊंट के मुंह में जीरा अर्थः बहुत अधिक आवश्यकता वाले या खाने वाले को बहुत थोड़ी-सी चीज देना।
    39. ऊंट-घोड़े बहे जाए, गधा कहे कितना पानी अर्थः जब किसी काम को शक्तिशाली लोग न कर सकें और कोई कमजोर आदमी उसे करना चाहे, तब ऐसा कहते हैं।
    40. ऊंट दूल्हा गधा पुरोहित अर्थः एक मूर्ख या नीच द्वारा दूसरे मूर्ख या नीच की प्रशंसा पर उक्ति(वाक्य/कथन)।
    41. ऊंट बर्राता ही लदता है अर्थः काम करने की इच्छा न रहने पर डर के मारे काम भी करते जाना और बड़बड़ाते भी जाना।
    42. ऊंट बिलाई ले गई, हां जी, हां जी कहना अर्थः जब कोई बड़ा आदमी कोई असम्भव बात कहे और दूसरा उसकी हामी भरे।
    43. एक अंडा वह भी गंदा अर्थः एक ही पुत्र, वही भी निकम्मा।
    44. एक आंख से रोना और एक आंख से हंसना अर्थः हर्ष(खुशी) और विषाद (दुःख) एक साथ होना।
    45. एक और एक ग्यारह होते हैं अर्थः मेल में बड़ी शक्ति होती है।
    46. एक जिन्दगी हजार नियामत है अर्थः जीवन बहुत बहुमूल्य होता है।
    47. एक तवे की रोटी, क्या पतली क्या मोटी अर्थः एक परिवार के मनुष्यों में या एक पदार्थ के कई भागों में बहुत कम अन्तर होता है।
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    48. एक तो करेला (कड़वा) दूसरे नीम चढ़ा अर्थः कटु या कुटिल स्वभाव वाले मनुष्य कुसंगति में पड़कर और बिगड़ जाते हैं।
    49. एक (ही) थैले के चट्टे-बट्टे अर्थः एक ही प्रकार के लोग।
    50. एक न शुद, दो शुद अर्थः एक विपत्ति तो है ही दूसरी और सही।
    51. एक पथ दो काज अर्थः एक वस्तु या साधन से दो कार्यों की सिद्धि।
      1. जो पी पी के खाय, उसी की लाठी काटे: जो व्यक्ति छोटी-छोटी चीजों पर लालच करता है, उसी को उनका दुष्परिणाम भोगना पड़ता है।
      2. जो फटकार के पैदा होता है वह बड़ा होकर लकड़ी ही खाता है: जिस बच्चे का संस्कार ठीक से न किया जाए, वह बड़ा होकर निकम्मा हो जाता है।
      3. जो मरजादा तुम्हारी, वही पैरवी मेरी: मैं तुम्हारी इज्जत के अनुसार ही व्यवहार करूंगा।
      4. जो मिले सो मैल, पाछे पछतावा हेल: जो कुछ मिल जाए उसी पर संतोष कर लेना चाहिए, बाद में पछताना व्यर्थ है।
      5. जो मीठा बोले, उसका मुंह मीठा होय: जो मीठी बातें करता है, उसका व्यवहार भी मधुर होता है।
      6. जो लोहा गरम है, उसी को कूटना चाहिए: जब समय अनुकूल हो तो काम करना चाहिए।
      7. जो हाथ दूध गंवाय उसी हाथ छाछ: जो अवसर गंवाता है, उसे दूसरा अवसर नहीं मिलता।
      8. झूठ बोलना मत सीखों क्योंकि बाद में उसी पर चलना पड़ेगा: अगर कोई झूठ बोलना शुरू कर देगा तो उसे आगे चलकर झूठ ही बोलना पड़ेगा।
      9. झूठे घर का बिछुआ न लेना, घिसटता फिरेगा: झूठे व्यक्तियों से सावधान रहना चाहिए, वे नुकसान पहुंचाते हैं।
      10. टपकता पानी भी पत्थर को छेद देता है: धैर्यपूर्वक लगातार प्रयास करने से कठिन से कठिन कार्य भी सम्पन्न हो जाता है।
      11. टाल मटोल करने से कोई काम नहीं बनता: कार्य को टालने से कुछ हासिल नहीं होता, जल्दी से काम करना चाहिए।
      1. ठंडा पड़ा तो सबके भाई, गरम हुआ तो सबके साथी छोड़ दिए: संकट के समय सब साथ छोड़ देते हैं, सुख में सब साथ देते हैं।
      2. ठेंगा दिखाकर मुसलमान को डराना: छल से किसी को डराना या धमकाना।
      3. डाल में कुछ काला है: किसी बात में गड़बड़ी है, कुछ ठीक नहीं है।
      4. डूबते को तिनके का सहारा: जब कोई बड़ी मुसीबत में फंस जाए तो छोटी-सी चीज का भी बहुत मोल हो जाता है।
      5. ढोल गंवार की खैर आंधी में बजी: अयोग्य व्यक्ति को अचानक कोई अवसर मिल गया हो।
      6. तलवार की धार पर चलना: बहुत बड़ा जोखिम उठाना।
      7. तू उसके मुंह की बात नहीं देखता: दूसरे की बातों पर विश्वास न करना चाहिए।
      8. थोथा चना बाजे घना: कुछ नहीं होने पर भी बहुत शोर मचाना।
      9. दाल में कुछ काला है: किसी बात में गड़बड़ है, कुछ अंदरूनी साजिश है।
      10. दिमाग की बत्ती जलनी चाहिए: बुद्धिमान होना चाहिए।
      11. दिल पर पत्थर रखकर चलना: अत्यंत निर्दयी होना।
      12. दीवार के कान होते हैं: गुप्त बातें फैल जाती हैं।
      13. दो आँखों में अंधा होना: सामने की बात न समझना।
      14. दो गज की जमीन भी गली नहीं गंवारने देती: छोटी-सी चीज भी स्वार्थी व्यक्ति नहीं छोड़ता।
      15. दो बैलों का बीच: किसी दो विरोधियों के बीच फंसना।
      16. दोनों गालों पर आंसू बहाना: दोहरा रोना।
      17. दौलत के आगे सब हार: दौलत के समक्ष सब कुछ लाचार होता है।
      18. धनी को मटकी और गरीब को छाछ: अमीरों को अच्छी चीजें और गरीबों को बुरी।
      19. धर में भी आग लगे और चुल्हे में भी: घर में और बाहर हर जगह मुसीबत हो।
      20. नगर बासी भोला नहीं: शहरवासी बहुत चालाक होते हैं।
      21. नाक के बल गिरना: बहुत निकट से बचना।
      22. नाक रगड़कर चलना: बहुत ही निर्धन होना।
      23. नाव अड़ी दो घाट पर: दो विरुद्ध स्थितियों के बीच फंसना।
      24. निगाह वालों से दरिया लहरावे: बहुत बुरी नजर वाले लोग नुकसान पहुंचाते हैं।
      25. नींद आई तो फिर क्या उजाला: जब मौत आ गई तो फिर कोई चिंता क्यों करें।
      26. नेता का कान खोलना: नेताओं के साथ पक्षपात करना शुरू कर देना।
      27. परदेसी निगुनिया गलहरिया में मिठाई: किसी अनजान से मिठाई लेना दूसरों को परेशानी में डालता है।
      28. परदेसी सांप को छिपकली समझना: अनजान को अपना समझना मूर्खता है।
      29. पराए घर की करनी आंगन की भरनी: दूसरे के घर का रिवाज देखकर उसे ही अपनाना चाहिए।
      30. Muhavren Evm Lokoktiyan
      31. जोरू न जांता, अल्लाह मियां से नाता: जो संसार में अकेला हो, जिसके कोई न हो।
      32. ज्यों-ज्यों भीजै कामरी, त्यों-त्यों भारी होय: जितना ही अधिक ऋण लिया जाएगा उतना ही बोझ बढ़ता जाएगा।
      33. ज्यों-ज्यों मुर्गी मोटी हो, त्यों-त्यों दुम सिकुड़े: ज्यों-ज्यों आमदनी बढ़े, त्यों-त्यों कंजूसी करे।
      34. ज्यों नकटे को आरसी, होत दिखाए क्रोध: जब कोई व्यक्ति किसी दोषी पुरुष के दोष को बतलाता है तो उसे बहुत बुरा लगता है।
      35. झगड़े की तीन जड़, जन, जमीन, जर: स्त्री, पृथ्वी और धन इन्हीं तीनों के कारण संसार में लड़ाई-झगड़े हुआ करते हैं।
      36. झट मँगनी पट ब्याह: किसी काम के जल्दी से हो जाने पर उक्ति।
      37. झटपट की धानी, आधा तेल आधा पानी: जल्दी का काम अच्छा नहीं होता।
      38. झड़बेरी के जंगल में बिल्ली शेर: छोटी जगह में छोटे आदमी बड़े समझे जाते हैं।
      39. झूठ के पांव नहीं होते: झूठा आदमी बहस में नहीं ठहरता, उसे हार माननी होती है।
      40. झूठ बोलने में सरफ़ा क्या: झूठ बोलने में कुछ खर्च नहीं होता।
      41. झूठे को घर तक पहुँचाना चाहिए: झूठे से तब तक तर्क-वितर्क करना चाहिए जब तक वह सच न कह दे।

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