भारत के पारंपरिक व्यंजन
(Traditional dishes of India)
मुया अवंड्रू:
- यह त्रिपुरा की प्राचीन परंपरा और खान-पान संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है।
- इसकी मुख्य विशेषता बांस के अंकुर हैं, जो त्रिपुरा में पाए जाते हैं और यहां के लोगों द्वारा भोजन में इस्तेमाल किए जाते हैं।
- बेरमा एक पारंपरिक किण्वित मछली है जिसका उपयोग इस व्यंजन में किया जाता है।
- अजमोद एक जंगली जड़ी-बूटी है जो स्वाद और पौष्टिकता दोनों देती है।
- चावल का आटा इसकी ग्रेवी को मजबूत बनाता है और पारंपरिक सामग्रियों से मिलकर विशिष्ट स्वाद देता है।
भूत जोलोकिया:
- इसकी खोज असम के नोंगप्रोंग गांव में हुई थी, जहां इसे परंपरागत रूप से उगाया जाता रहा है।
- इसकी तीव्रता और गर्माहट के कारण इसे “भूत” या “राक्षस” मिर्च भी कहा जाता है।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र की विभिन्न भाषाओं में इसके अलग-अलग नाम हैं जो इसके लोकप्रिय उपयोग को दर्शाते हैं।
- इसका उपयोग करी, अचार, चटनी आदि में किया जाता है और मांस व मछली के व्यंजनों को गर्मी देने के लिए भी।
लिट्टी चोखा:
- यह बिहार क्षेत्र की सदियों पुरानी रसोई परंपरा का प्रतीक है। इसकी उत्पत्ति मगध साम्राज्य के दरबारी भोजन से मानी जाती है।
- लिट्टी को बनाने की विधि गेहूं के आटे को लंबे समय तक पकाने और उसे बेलन से मुलायम करने की है।
- बैंगन भरता और आलू का उपयोग लिट्टी के साथ इसे और स्वादिष्ट बनाता है। ये भरते भी बिहार के पारंपरिक व्यंजन हैं।
- वर्तमान में लिट्टी चोखा दुनिया भर में बिहारी खान-पान की पहचान बन गया है।
- इसमें उच्च पोषक तत्व मौजूद हैं जो इसे स्वस्थ भोजन बनाते हैं।
उगादि पचड़ी(Traditional dishes of India)
उगादि पचड़ी एक विशिष्ट उत्तर भारतीय नाश्ता है जो कर्नाटक के लोगों द्वारा उगादि पर्व के अवसर पर बनाया जाता है। यह अनोखे स्वाद का प्रतीक है जिसमें मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, मसालेदार और कड़वा स्वाद शामिल होते हैं। इन छह विभिन्न स्वादों का मिश्रण जीवन के विभिन्न पहलुओं और अनुभवों का प्रतिनिधित्व करता है – सुख, दुख, क्रोध, घृणा, भय और आश्चर्य।
उगादि पचड़ी को नीम के फूल, कच्चे आम, गुड़, काली मिर्च पाउडर, नारियल और नमक से बनाया जाता है। इसमें कभी-कभी तले हुए चने भी मिलाए जाते हैं ताकि इसका स्वाद और भी बेहतर हो जाए। इस व्यंजन को बनाने की विधि में थोड़े-बहुत अंतर हो सकते हैं, लेकिन मूल सामग्रियां समान रहती हैं।
श्रीखंड
श्रीखंड पश्चिमी भारत, विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में बहुत लोकप्रिय दही आधारित मिठाई है। इसकी उत्पत्ति के बारे में एक पौराणिक कथा है कि इसे सबसे पहले भगवान कृष्ण के भाई भीमसेन ने बनाया था, जो पाक कला में महारथी थे।
‘श्रीखंड’ शब्द संस्कृत के ‘क्षीर’ (दूध) और पारसी भाषा के ‘खंड’ (मीठा कंद) से बना है। इसका मतलब है ‘मीठा दूध’। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण इस मिठाई के बहुत शौकीन थे।
श्रीखंड बनाने की विधि में, दही को लंबे समय तक धीमी आंच पर पकाया जाता है ताकि वह गाढ़ा और मीठा हो जाए। फिर इसमें मावा, घी, सुगंधित मसालों और ड्राय फ्रूट्स मिलाए जाते हैं।
**रबड़ी **(Traditional dishes of India)
रबड़ी एक बंगाली स्वादिष्ट मिठाई है जो गाढ़े दूध से बनी होती है। इसे धीमी आंच पर लंबे समय तक पकाया जाता है ताकि दूध का रंग हल्का पीला या ऑफ-व्हाइट हो जाए और गाढ़ापन आ जाए। बंगाल के अलावा रबड़ी पूर्वी भारत के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय है।
एक दूसरा व्यंजन बासुंदी भी इसी तरह से बनाया जाता है। रबड़ी में आमतौर पर चीनी, मावा, बादाम, किशमिश और खस-खस मिलाए जाते हैं ताकि इसका स्वाद और भी बेहतर हो जाए।
गुझिया
गुझिया एक फ्राइड स्वीट है जिसे उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में लोकप्रिय त्योहारों जैसे होली और दिवाली पर बनाया जाता है। इसे गुघरा, पेड़ाकिया, करंजी, कज्जिकयालु आदि नामों से भी जाना जाता है।
गुझिया को आटा, मैदा, चीनी, घी/तेल और मिठाइयों में इस्तेमाल होने वाले मसालों से बनाया जाता है। इसका गोल आकार होता है और यह गुलाबी या चमकीली लाल रंग का होता है।
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और बिहार गुझिया के मुख्य क्षेत्र हैं, जहां यह त्योहारों का अभिन्न अंग है।
दाल बाटी(Traditional dishes of India)
दाल बाटी एक पारंपरिक राजस्थानी व्यंजन है जिसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी बनाया जाता है। यह दो मुख्य भागों से मिलकर बना है – दाल और बाटी।
दाल आमतौर पर मसूर की दाल से बनी होती है जिसमें मसालों, प्याज, लहसुन और अन्य मसालों को मिलाया जाता है। दूसरी ओर, बाटी सूखे आटे की गेंदों को तलने से बनी होती है। इन गेंदों को चटनी या दही के साथ सर्व किया जाता है।
इस भोजन में दोनों, दाल और बाटी एक साथ मिलकर रसदार और कड़क व्यंजन बनाते हैं। यह पूरी तरह से शाकाहारी और संतुलित आहार है जिसमें प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
काफुली (साग): काफुली एक पारंपरिक उत्तराखंडी व्यंजन है जो पालक और मेथी के पत्तों से बनी गाढ़ी और स्वादिष्ट करी है। इसे लोहे की कढ़ाई में पकाया जाता है और घी के साथ गर्म चावल के साथ परोसा जाता है। यह राज्य का सबसे पौष्टिक और स्वास्थ्यप्रद व्यंजन माना जाता है।
बालचाओ और सोरपोटेल: ये गोवा के पारंपरिक झींगे के व्यंजन हैं। बालचाओ एक मसालेदार झींगा करी है जिसमें प्याज, टमाटर, लहसुन, अदरक, लाल मिर्च, जीरा, सरसों के बीज, दालचीनी, लौंग, चीनी, सिरका और नमक शामिल होते हैं। सोरपोटेल एक गरमागरम झींगा स्नैक है जो बारीक कटे प्याज, टमाटर, लहसुन और मसालों के साथ बनाया जाता है।
आलू पोस्तो: यह पश्चिम बंगाल से उत्पन्न एक पारंपरिक आलू व्यंजन है। इसमें खसखस के पेस्ट में पके हुए आलू होते हैं और यह आलू, खसखस, लाल मिर्च पाउडर, नींबू का रस, वनस्पति तेल और नमक से बनता है। यह स्वादिष्ट और क्रंची व्यंजन बंगाली रसोई का एक अभिन्न अंग है।
यखनी: यह जम्मू और कश्मीर का एक पारंपरिक दही-आधारित मटन ग्रेवी व्यंजन है। यह एक हल्की करी या शोरबा है जिसे दही, केसर और अन्य मसालों से बनाया जाता है। कश्मीरी व्यंजन मांस की विशेष तैयारी के लिए प्रसिद्ध है जिसमें मसालों और स्वाद बढ़ाने वाले कारकों की एक श्रृंखला का उपयोग किया जाता है।
किरिबाथ: किरिबाथ एक पारंपरिक श्रीलंकाई व्यंजन है जिसे नारियल के दूध के साथ पके चावल से बनाया जाता है और केक के आकार में परोसा जाता है। यह सिंहली नववर्ष समारोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और शिशुओं को दिया जाने वाला पहला ठोस आहार माना जाता है। मूंग किरीबाथ और इमबुल किरीबाथ इसके विभिन्न रूप हैं।